अमिताभ, जया, अभिषेक को यूपी सरकार देगी 50-50 हज़ार रुपये पेंशन

अमिताभ, जया, अभिषेक को यूपी सरकार देगी 50-50 हज़ार रुपये पेंशन
लखनऊ: बॉलिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया बच्चन, बेटे अभिषेक बच्चन समेत सभी यश भारती सम्मान पाने वालों को उत्तर प्रदेश सरकार अब 50,000 रुपये मासिक पेंशन देगी। यूपी कैबिनेट ने मंगलवार को इस फैसले पर अपनी मुहर भी लगा दी है। इस तरह से यह देश का सबसे ज्यादा पेंशन देने वाला पुरस्कार भी बन गया है।अमिताभ, जया बच्चन और अभिषेक बच्चन को राज्य सरकार से पहले ही यश भारती सम्मान मिल चुका है। इस तरह, हर महीने बच्चन परिवार के 3 सदस्य इस योजना के तहत राज्य सरकार से पेंशन हासिल करेंगे।ये विचित्र है कि जिस राज्य की प्रति व्यक्ति सालाना आय केवल 40,000 रुपये है वह यश भारती सम्मान पाने वालों को 50,000 रुपये मासिक पेंशन के तौर पर देने जा रहा है। वह भी तब जब कि सम्मान पाने वालों में ज्यादातर लोग बेहद संपन्न आर्थिक वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।
यश भारती पुरस्कारों की शुरुआत समाजवादी पार्टी की सरकार ने 1994 में की थी। यह पुरस्कार सिनेमा, कला, साहित्य व खेल में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को दिया जाता है, जो मूल रूप से उत्तरप्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। हालांकि, बसपा ने सरकार में आते ही इस पुरस्कार को बंद कर दिया था।अब तक लगभग 150 लोगों को यश भारती सम्मान दिया जा चुका है। 1994 में जाने-माने साहित्यकार व बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन को यह सम्मान दिया गया था। पहले पुरस्कार राशि 5 लाख रुपये थी जिसे बाद में बढ़ाकर 11 लाख रुपये कर दिया गया। इसके साथ ही एक शॉल व प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाता है।मौजूदा समय में जहां स्वतंत्रता सेनानियों (साथ में, उनकी पत्नी या पति) को 20,129 रुपये मासिक पेंशन के तौर पर मिलते हैं, वहीं पूर्व अंडमान राजनैतिक बंदियों को 23,309 रुपये का मासिक पेंशन दी जाती है। स्वतंत्रता सेनानियों की अविवाहित और बेरोजगार बेटियों को 4,770 रुपये का मासिक पेंशन दी जाती है।भारत सरकार की एक योजना के मुताबिक ऐसे बूढ़े और गरीब कलाकारों को जिन्होंने कम-से-कम 10 साल अपनी कला के दम पर आजीविका चलाई हो, 2,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलती है।खास बात यह है कि जिस राज्य की प्रति व्यक्ति सालाना आय केवल 40,000 रुपये है वह यश भारती सम्मान पाने वालों को 50,000 रुपये मासिक पेंशन के तौर पर देने जा रहा है। वह भी तब जब कि सम्मान पाने वालों में ज्यादातर लोग बेहद संपन्न आर्थिक वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।

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