15 साल बाद देश लौटी गीता

15 साल बाद देश लौटी गीता
नई दिल्ली: भारत की सरहद से भटककर 15 साल पहले पाकिस्तान पहुंची मूक-बधिर गीता सोमवार को पीआईएस के विमान से अपने वतन लौट आई है। गीता आज सुबह 8:35 बजे पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरवेज (पीआईए) के विमान से रवाना दिल्ली के लिए रवाना हुई और 10:40 पर गीता की फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंची। इससे पहले गीता की वापसी को लेकर दोनों देशों की सरकारों ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं। उसके साथ ईदी फाउंडेशन के पांच सदस्यों का दल भी है, जिसके संरक्षण में गीता ने 12 साल से ज्यादा का वक्त गुजारा है। यहां वह राजकीय मेहमान होंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारी और गीता के पिता होने का दावा करने वाले जनार्दन महतो ने उसका स्वागत किया। बहरहाल गीता को उनके परिवार के सुपुर्द न कर उसका डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। गीता को अपनी होने का दावा कर रहे परिवार से उसका डीएनए मेल खाने पर ही उनके सुपुर्द किया जाएगा। तब तक गीता सरकारी संरक्षण में रहेगी। भारत के लिए रवाना होने से पूर्व ईदी फाउंडेशन के सदस्यों ने बरसों से साथ रह रही गीता को भावभीनी विदाई दी। पंजाब के लुधियाना में रह रहे गीता के पिता होने का दावा कर रहे जनार्दन महतो ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। जब गीता यहां पहुंचेगी तो गांव में दिवाली मनायी जाएगी। पूरे गांव में त्योहार सा माहौल हो जाएगा। गीता के भाई विनोद ने कहा कि ऎसा लग रहा है कि खुद भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद घर लौट रहे हैं। दोनों लोग एयपोर्ट पर मौजूद हैं। 23 साल की गीता पाकिस्तान के कराची में ईदी फाउंडेशन के आश्रय स्थल में रहती है। ईधी फाउंडेशन के फहद ईधी ने बताया कि गीता सोमवार सुबह नई दिल्ली के लिए रवाना होगी। उन्होंने कहा, गीता के साथ मैं, मेरे पिता फैसल ईदी, मां तथा दादी भी भारत जाएंगे। फहद ने कहा कि डीएनए जांच से गीता के माता-पिता की पुष्टि होने तक वे भारत में रहेंगे। जांच में पुष्टि होने पर ही उसे परिवार वालों को सौंपा जाएगा। उन्होंने बताया कि डीएनए जांच नेगेटिव होने पर भारतीय अधिकारियों ने गीता को सुरक्षित जगह पर रखने का आश्वासन दिया है। गौरतलब है कि भारतीय उच्चाायोग द्वारा भेजे गए फोटो से गीता ने अपने परिवार वालों की पहचान की थी। इसके मुताबिक, उसका परिवार बिहार के सहरसा जिले में रहता है। गीता 15 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स के जवानों को लाहौर रेलवे स्टेशन पर खडी समझौता एक्सप्रेस में अकेली बैठी मिली थी, तब उसकी उम्र महज सात से आठ साल थी। गीता को भरोसा है कि वह अपने परिवार को पहचान लेगी। हालांकि डीएनए परीक्षण के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाएगी। गीता ने सांकेतिन भाषा में कहा कि जिन लोगों की पहचान अपने परिवार के रूप में की है, उसे लेकर वह शत प्रतिशत आश्वस्त नहीं है, लेकिन उसे भरोसा है कि वह अपने परिवार की पहचान कर लेगी। गीता ने कहा कि उसे याद है कि उसके घर के पास एक क्लिनिक है। इस बीच, गीता को उसके परिवार को सौंपने की प्रक्रिया ठीक तरह से् पूरी हो जाए, इसके लिए खुद ईदी फाउडेशन की अध्यक्ष बिलकीस ईदी भारत आई हैं। भावुक बिलकिस ने कहा कि गीता उनकी बेटी जैसी है और उसके जाने से वह खालीपन महसूस करेगी। उन्होंने कहा, गीता ने मुझे भरोसा दिलाया है कि वह मिलने पाकिस्तान आएगी। लेकिन मैं जानती हूं कि भारत और पाकिस्तान में आना-जाना कितना मुश्किल है। बिलकीस ने गीता को बेटी की तरह विदा किया है इसलिए फाउंडेशन की ओर से गीता को सोने का हार, घडी और साडियां बतौर उपहार दिया है। ईदी फाउंडेशन प्रमुख फैसल ईदी के मुताबिक हमें उम्मीद है कि हिंदुस्तान में में भी इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा। हिंदी में अपना नाम गुड्डी लिखती है। मम्मी ने इसे नाम दिया था गीता। ईदी फाउंडेशन सदस्य के सबा फैसल के मुताबिक कल सुबह 8 बजे की फ्लाइट से जाएंगे। दिन तक वहीं रहेंगे। हम खुश हैं कि वह अपने असल परिवार से मिलने जा रही है। बहुत सारे सूट दिए हैं, सोने का एक सेट दिया है। इससे पहले सोने की बालियां दी थी। 15 साल के इंतजार के बाद अपनों के बीच लौटने को लेकर गीता बेहद उत्साहित है। कराची से दिए अपने आखिरी इंटरव्यू में गीता ने न्यूज चैनल आईबीएन 7 को इशारों-इशारों बताया कि वो बहुत खुश है। गीता सुन-बोल नहीं सकती इसीलिए वह अपने घरवालों का पता बता पाने में असमर्थ थी। फिल्म बजरंगी भाईजान की कामयाबी के बाद गीता की घरवापसी की मुहिम ने जोर पकडा। विदेश मंत्रालय ने गीता के परिवार होने के दावा करने वाले तमाम लोगों की तस्वीरें पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग को भिजवाई थी। उन्हीं में से एक तस्वीर को गीता ने पहचाना और अपना परिवार बताया। इसी आधार पर गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया है।

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