हर कीमत पर विविधिता का हो संरक्षण: राष्ट्रपति

हर कीमत पर विविधिता का हो संरक्षण: राष्ट्रपति
नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को एकबार फिर कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण भारत समृद्ध हुआ है। मुखर्जी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में दिल्ली हाईकोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा, हमारा देश आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण समृद्ध हुआ है। हमारा बहुलवादी चरित्र समय पर खरा उतरा है।
उन्होंने कहा, भारत तीन जातीय समूहों -भारोपीय, द्रविड और मंगोल- से संबंधित 1.3 अरब लोगों का देश है जहां 122 भाषाएं और 1,600 बोलियां बोली जाती हैं और यहां सात धमों के अनुयायी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह का विषय सबके लिए न्याय है।
इस विषय के बारे में उन्होंने कहा,इसका अर्थ कमजोर को सशक्त बनाना और किसी की व्यक्तिगत पहचान के इतर कानून का समान प्रवर्तन करना। राष्ट्रपति ने कहा, विविधिता हमारी सामूहिक शक्ति है, जिसका किसी भी कीमत पर संरक्षण किया जाना चाहिए। हमारे संविधान के विभिन्न प्रावधानों में यह स्पष्ट है। प्रणब इससे पहले भी पीएम मोदी को सहिष्णुता का पाठ पढ़ा चुके हैं।

मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द किए जाने के मद्देनजर कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया स्थापित और पारदर्शी सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उन्होंने न्यायपालिका से आत्मावलोकन और आत्म सुधार के जरिए खुद में नयापन लाने को कहा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका स्वायत्त है और लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है।


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