जेएनयू मामले में काजी की सरकार को सलाह

जेएनयू मामले में काजी की सरकार को सलाह
नई दिल्ली -एक काजी साहब हैं जिन्होंने अपने आपको किसी संस्था का अध्यक्ष बताया और इन्हें सबसे बड़ा दुःख हुआ कि इनके अनुसार युवा जो देश चलाने का हुनर रखते हैं उनसे भावुकता में भूल हुई है देश हित में इनकी भावुकता कभी नहीं काम आई लेकिन जो काम दुश्मन को करना था वो युवा छात्र नेता ने कर डाला राजनीतिज्ञों तो काजी साहब ने राजनीती न करने की नसीहत दे डाली लेकिन इस मामले पर जटिलता दिखाने के बजाय सहानुभूति पूर्वक विचार करने की नसीहत दी है आप भी पढ़ें और सोचें क्या होना चाहिए ........ न्यूयॉर्क । यूथ कोलिशन ऑफ इंडिया के फाउंडर जुनेद क़ाज़ी ने दिल्ली के जवाहर लाल यूनिवर्सिटी प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि राजनैतिक दल छात्रों को अपने राजनैतिक फायदे के लिए इस्तेमाल न करें । उन्होंने कहा कि जेएनयू में जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है उसे देश द्रोह से जोड़कर नही देखा जा सकता । जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं वाले छात्र छात्राएं पढ़ते हैं ऐसे में छात्रों के बीच राजनैतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन देश और राष्ट्रवाद को लेकर कोई मतभेद नही होता । उन्होंने कहा कि यह बेहद दुखद है कि एक छात्र नेता को बिना पुख्ता सबूतों के देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया । उन्होंने कहा कि पहले इस मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए थी और इस मामले को राजनैतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए था । जुनेद क़ाज़ी ने पुलिस की मौजूदगी में पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में छात्र नेता कन्हैया कुमार, उनके समर्थक छात्रों और मीडिया पर वकीलों द्वारा किये गए हमले की निंदा की है । उन्होंने कहा कि छात्र नेता कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में जो कुछ भी हुआ वह और ज़्यादा निराशाजनक है । वकीलों को कानून का पैरोकार कहा जाता है । उन्हें इस मामले को राष्ट्रवाद और देशद्रोह में बाँटने की कोशिश नही करनी चाहिए थी। जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि राजनैतिक दल छात्रों को अपने राजनैतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते आये हैं और जेएनयू मामले में भी ऐसे ही है । जेएनयू में जो कुछ भी हुआ उसे शांत करने के वजाय उस पर राजनीति की जा रही है । उन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीति होने की वजाय विश्वविधालय के कुलपति को सौंप देना चाहिए था । यदि छात्रों से भावुकतावश कोई भूल भी हुई थी तो उसे विश्वविधालय स्तर पर ही सुधारने के प्रयास होने चाहिए थे न कि छात्र नेता पर देश द्रोह का मुकदमा । उन्होंने कहा कि समाज में छात्रों का भी उतना ही योगदान है जितना कि अन्य लोगों का । उन्हें भी अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने की आज़ादी होनी चाहिए । सरकार को चाहिए कि छात्रों के मुद्दो पर जटिलता दिखने की वजाय सहनुभूति पूर्ण व्यवहार करे जिससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने से बचाया जा सके ।

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