प्रदूषित पानी पीकर जेलों में रह रहे हैं कैदी

प्रदूषित पानी पीकर जेलों में रह रहे हैं कैदी
लखनऊ-बन रहा है आज संवर रहा है कल वो भी प्रदुषित पानी पीकर जेल सुधार गृह के रूप माना जाता है और कई प्रयास करके यह कोशिश की जाती है कि लोगों की सोच बदले यही नहीं योग के जरिये लोगों को सुधारा जाता है लेकिन यह उत्तर प्रदेश के जेलों में बंद कैदियों के लिए नहीं है लेकिन आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने आज आदर्श कारागार, लखनऊ में बंद चंद्रभान पाण्डेय से मुलाकात कर उनके द्वारा कैदियों की बेहतरी के लिए किये गए प्रयासों के मुद्दों पर चर्चा की.

श्री पाण्डेय ने इनका पता डीजीपी कार्यालय से आरटीआई में प्राप्त करउन्हें इस कार्य में सहयोग के लिए बुलाया था.

वहां ज्ञात हुआ कि जहाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पानी में टीडीएस 106 पीपीएम निर्धारित किया है, वहीँ जिला कारागार, नारी बंदी निकेतन और आदर्श कारागार में टीडीएस का स्तर 760 पीपीएम है. श्री पाण्डेय जेल में आरओ लगाने के लिए लम्बे समय से प्रयासरत हैं और इसके लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक गुहार कर चुके हैं जिन्होंने 22 जनवरी 2016 को आईजी जेल को 22 मार्च तक इसपर कार्यवाही कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे लेकिनअब तक कार्यवाही नहीं हुई है.

इसी तरह श्री पाण्डेय उत्तर प्रदेश में कैदियों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा 2010 में निर्गत पेरोल नियमावली की तर्ज पर पेरोल नियमावली बनवाने को प्रयासरत हैं क्योंकि उनके अनुसार यूपी के 2007 की नियमावली मेंमनमानेपन की बहुत गुंजाइश है, जिसका विरोध करने पर उन्हें जेल प्रशासन से धमकियां तक मिली हैं.

ठाकुर दंपत्ति ने श्री पाण्डेय को उनके कामों में पूरी सहायता देने की बात कही है.

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