जब बेटे ने खुली आंखों से देखा ख्वाब को कर दिया पूरा!

जब बेटे ने खुली आंखों से देखा ख्वाब को कर दिया पूरा!
कानपुर -साहब उम्र पचास के पार हो गई है, हाथ पर हल और बैलों ती लगाम तीस साल तक रही। कभी अपनी खेत की मेड़ पार नहीं की।लेकिन बच्चे ने आज दुनिया अपनी मुट्ठी में कर ली है। आज खुली आंखों से देखा गया ख्वाब सच में पूरा हुआ।यह कहना है आईआईटियन अमित के पिता रणजीत सिंह ने कही।सिंह ने बताया कि वह सोनीपत हरियाणा के रहने वाले हैं।गांव में खेती करते हैं।खुद तो आठवीं तक पढ़ सके लेकिन बेटे की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत कर उसे आगे बढ़ रहे कदम पर कभी पैसों की कमी आने नहीं दी।मेहनत रंग लाई और आज मेरे लाल ने नाम ऊंचा कर दिया।आईआईटी कानपुर में चल रहे दीक्षान्त समारोह में केमिस्ट्री से एमएससी करने के बाद पीएचडी की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले अमित सिंह तो खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।तो वहीं बच्चे की उपलब्धि देख पिता के चेहरे की झुर्रिया गायब हो गई।यही नहीं बेटे ने मानद उपाधि के दौरान मिलने वाली ड्रेस को भी पिता को पहना दिया।खास बातचीत में रणजीत सिंह ने बताया कि हल चलाते-चलाते एक ही सपना देखा था कि बेटा पढ़ लिखकर आगे बढ़े और यह देख कर यही लग रहा है कि खुली आंखों से देखा गया सपना साकार हो गया।उन्होंने बताया कि 30 वर्ष तक हल चलाया और इस दौरान कभी शहर के दर्शन भी नहीं हुए।यहां तक अपने रिश्तेदारों के यहां भी कभी कभार ही जाना होता था।उन्होंने कहा कि आज बेटे की वजह से इतने बड़े संस्थान में मुझ जैसे किसान को इज्जत मिल रही है।

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