साहब नहीं है डीजिटल वाटर कैसे लगाइए इंजेक्शन

साहब नहीं है डीजिटल वाटर कैसे लगाइए इंजेक्शन
कानपुर,। उत्तर प्रदेश के कानपुर के जिला अस्पताल उर्सला में कहने को तो प्रबधन द्वारा मरीजों को हर सुविधा व उपचार के लिए प्रत्येक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन हकीकत को कुछ और ही बयां हो रही है,जहां मरीजों को इंजेक्शन में उपयोग होने वाला डीजिटल वाटर स्टाफ नर्सो को मुहैया नहीं हो पा रहा है। जिससे स्टाफ नर्सें डीएनएस ग्लुकोज के जरिए मरीजों को इंजेक्शन लगा रही है और उन्हें राइगर जैसी बीमारी का खतरा बना रहता है।बता दे कि जिला अस्पताल उर्सला में पिछले माह आर्थों वार्ड नंबर चार में स्टाफ नर्सोें द्वारा मरीजों को इंजेक्शन लगाया गया। इंजेक्शन लगते ही मरीजों के शरीर अकड़ने लगा और तेज बुखार हो गया। दो मरीजों की हालत तो ऐसी हो गई कि डाक्टर को फौरन उन मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। मामले की गंभीरता से लेकर उर्सला के निदेशक ने जांच टीम गठित कर स्टापों पर कार्यवाही का आदेश दिया। सूत्रों की माने तो जांच टीम निर्दोष स्टाफ पर कार्यवाही करने का फैसला ले लिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस पर स्टाफ ने जब अस्पताल की हकीकत को बयां करने लगी तो उर्सला की जांच टीम के पैरों तले जमीन खिसक गई और माथे पर पसीने आने लगे। कुछ स्टापों ने नाम न छपने के शर्त पर यह बताया कि अस्पताल प्रबधन मरीजों को इंजेक्शन लगाने में उपयोग होने वाला डीजिटल वाटर नहीं दे रहे है। वहीं मानकों के अनुसार मरीजों की संख्या अधिक है और दवाएं अन्य महत्वपूर्ण उपचार सम्बंधी समाग्रियां उपलब्ध नहीं है और कम दवाओं में मरीजों को उपचार करने के लिए स्टाफ नर्से बेबस है वहीं भर्ती मरीजों का कहना हैं कि महंगी दवाओं का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं और अन्दर से प्रयाप्त दवाएं नहीं मिलती है। ऐसे में अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं। क्या बोले जिम्मेदार- डा. उमाकांत का कहना है कि डीजिटल वाटर अस्पताल में आ रहा है कि नहीं इसके बारे में उनको जानकारी नही है। अगर अस्पताल में नहीं आ रहा है तो फार्मेेसिस्ट अपनी समस्यां बताए और डीजिटल वाटर मंगाए जिससे मरीजों को कोई समस्या न उत्पन्न हो सके।

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