पुरानी किताबों के सहारे नौनिहाल सरकार के दावों का यह है हाल

पुरानी किताबों के सहारे नौनिहाल सरकार के दावों का यह है हाल
रायबरेली--उत्तर प्रदेश सरकार निजी स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए नित नये नये उपाये कर रही है । और सरकारी विद्यालयो में मिड-डे-मिल के साथ साथ फल दूध आदि की व्यवस्था भी कराई गयी लेकिन उसके बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता राम भरोसे है। यही नहीं मिड डे मिल तो बच्चो को मिल भी रहा है पर पढ़ने के लिए बच्चो को किताबे अभी तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है जिससे छात्रो की पढाई मे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और टीचर बच्चो को पुरानी ही किताबो के सहारे ज्ञान बांटने में जुटे है परिषदीय विद्यलायो में सत्र शुरू होने के चार माह बाद भी अभी तक छात्रो को किताबे उपलब्ध नहीं कराई गयी है। मामला रायबरेली जिले का है यहा पर अभी तक बच्चो को पढ़ने के लिए किसी भी विद्यालय में पुस्तके उपलब्ध नहीं हुई है। छात्रो की माने तो पुरानी किताबे हम लोगो के पास है उसी को हम लोग पढ रहे हैं उसमें हम लोगो का पढने में मन नहीं लग रहा है। मजबूरी में हम लोग वह किताबे पढ़ रहे है। वहीं स्कूल में पढाने वाले शिक्षको की माने तो अब तक शासन की तरफ से विद्यालयों में पुस्तके उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है जिसके चलते हम लोग पुरानी किताबो में बच्चो को पढ़ा रहे है जबकि शिक्षण सत्र शुरू हुए चार माह हो रहे है लेकिन शासन की तरफ से अभी तक पुस्तके उपलब्ध नहीं हमे लग रहा है अक्टूबर माह तक पुस्तके मिल ही जायेगी। वहीं स्कूलो में पुस्तके न होने के संबंध में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से बात की गयी तो उनका कहना है कि जल्द ही छात्रो को पुस्तके उपलब्ध करा दी जायेगी। अभी तक शासन ने पुस्तके नहीं दी है। सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद छात्रो को पुस्तके उपलब्ध कराई जायेगी ? क्या ऐसे ही शिक्षा व्यवस्था दुरूस्त होगी? यही है सरकार का सपना? क्या जिम्मेदारो की इस तरफ निगाहे नहीं जा रही है? क्या यह एक बड़ा सवाल नहीं है क्या ये सर्कार के खोखले वादे नहीं है

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