पैसों से नहीं ग्रहों की स्थिति से बनता है अपना घर जानिए कैसे

पैसों से नहीं ग्रहों की स्थिति से बनता है अपना घर जानिए कैसे
डेस्क -अमीरी और गरीबी की रेखा पैसे तय नहीं करती है । लेकिन इंसान का रुतबा, शौरत उसके मकान को देख कर भी नापी जाती है । जैसे बॉलीवुड के स्टार एक्टर शाहरुख़ खान के बंगले की बात हो, या चाहे सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के मन्नत बंगले की बात हो । जिंदगी में इंसान कभी न कभी तो इतना सपना तो देखता ही है, की मेरा भी कही दुनिया में बड़ा नहीं हुआ तो भी एक छोटासा आशियाना जरूर हो । जिंदगी में ऐसे भी लोग मिलते है, जिनकी आय बहोत है, फिर भी वो अपना खुद का घर नहीं बना पाते है, जिंदगी में हमने ऐसे भी इंसान बहोत देखे है, उनके पास अपने खुद के घर तो कही है, लेकिन वो खुद कही किसी के किराए के घर में अपने दिन बिताते है । क्यों होता है ऐसा ? की इंसान पैसे होकर भी अपना घर नहीं बना पाता , या खुद का घर होने के बावजूद वो अपने मकान सुख नहीं ले पाता है । ज्योतिष में जनम कुंडली के चतुर्थ स्थान या भाव से जातक का हर किसी प्रकार का सुख देखा जाता है । चतुर्थ स्थान से माँ से मिलने वाली ममता का सुख, मकान का सुख, वाहन का सुख और कई प्रकार के सुख देके जा सकते है । चतुर्थ स्थान के साथी ही साथ लाभ भाव, व्यय भाव और धन भाव भी देखना जरुरी होगा, क्यूंकि मकान बनाने के लिए, पैसे या कर्ज की भी जरुरत होती है, आज कल तो बिना कर्ज लिए आम इंसान को खुद का मकान बनाना ना के बराबर है । इसलए कर्ज की उपलब्धि भी कुंडली से देखना जरुरी होता है । चतुर्थ स्थान का अधिपति ग्रह जितना जादा मजबूत होगा, उतना ही अच्छा और बड़ा घर जातक के जीवन में होता है । चतुर्थ स्थान का अधिपति ग्रह अगर कमजोर हो, पापग्रह के साथ हो, या दृष्टी में हो तो जातक को अपना घर बनवाने में या मिलने में उतनी ही कठिनाइयाँ होती है । चतुर्थ स्थान का अधिपति और चतुर्थ स्थान में जो ग्रह होता है, उससे आप आपके मकान कैसा होगा, यह ग्रह के या चतुर्थ स्थान की राशि नुसार स्वभाव नुसार बता सकते हो । चतुर्थ स्थान में अगर मंगल है, मंगल जमीन का करक ग्रह है इसलिए इंसान के पास जमीन और घर जरूर होता है । अगर यह मंगल शत्रु राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो, तो पडोसियों से झगडे जरूर करवाता है । और अगर शनि के साथ मंगल का सम्बन्ध आ जाये, तो यह झगड़े कोर्ट या पुलिस तक चले जाते है । चतुर्थ स्थान में अगर सुख का कारक शुक्र ग्रह हो, ऐसे जातक घर बड़ा आकर्षक होता है, जातक को अपना घर की सजावट करना बहोत ही अच्छा लगता है । चतुर्थ स्थान का शुक्र घर के आसपास बाग, बगीचा या पानी का तालाब, स्विमिंग पूल जरूर देता है । बहोत बार जातक अगर शहर में हो तो, यह शुक्र जातक को फ्लैट दिलाता है । चतुर्थ स्थान में अगर शनि ग्रह या राशि हो या दृष्टी सम्बन्द आ जाये तो, जातक घर अपनी उम्र के ४० साल के बाद होता है । ऐसे जातक का घर पुराना, अस्त व्यस्त घर में सामान होने वाला होता है । अगर यह शनि राजयोग कारक है तो जातक को पुराणी हवेली या महल का मालिक होता है । और राजनीती में बड़ी जगह दिलाता है । चतुर्थ स्थान में अगर रवि या सूर्य जैसा ग्रह है या सूर्य की सिंह राशि है तो ऐसे घर के रीती रिवाज, घर के नियम बड़े अच्छे होते है । वैसे सूर्य को यहाँ सुख का करक ग्रह नहीं माना जाता, सूर्य देव अपने गुणों को यहाँ पूर्ण रूप से न्याय नहीं दे पाते है । लेकिन ऐसे जातक के पास बड़ा घर हो सकता है । सूर्य ग्रह अगर रजयोग कारक है तो घर का कोई न कोई व्यक्ति राजनीती से जुड़ा हुआ हो सकता है । चतुर्थ स्थान में या चतुर्थ स्थान से अगर गुरु ग्रह सम्बन्ध बना रहे हो, तो जातक किसी बंगले का मालिक बनता है । ऐसे जातक का घर बड़ा और घर के लोग बड़े आदर्श वादी, और धार्मिक स्वभाव के होते है । चतुर्थ भाव में अगर चन्द्रमा जैसा शीतल ग्रह है, और वो अच्छे स्थिति में हो, तो जातक को जीवन में जल्दी मकान की प्राप्ति होती है । इस घर के लोग बड़े कोमल ह्रदय के होते है । घर में जातक के माँ का प्रभाव विशेष रूप से रहता है । चतुर्थ भाव में अगर राहु हो या दृष्टी सम्बन्ध रखता हो तो १२ साल में एक बार अपने छत को जरूर दुरुस्त करना पड़ता है । अगर यहाँ का राहु शत्रु राशि में हो तो घर का माहौल गम्भीर एव भय से भरा हुआ होता है । यहाँ का राहु अगर अच्छा योग कारक है तो, जातक जमीं जुमले वाला, लोगों को पैसे उधार देने वाला होता है । चतुर्थ भाव में अगर केतु हो या दृष्टी सम्बन्ध रखता हो तो घर में माहौल बहोत बार चिड़चिड़ा होता है । अगर यहाँ का केतु ख़राब हो जाता है, तो जातक के माँ की तबीयत हमेशा ख़राब रहती है । जातक को बहोत बार ऐसे स्थिति में माँ का सुख नहीं मिल पाता है । Source jyotish

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