जानिए क्या है अनंत चतुदर्शी और जानिए भगवान गणेश के उपयोगी मन्त्रों को

जानिए क्या है अनंत चतुदर्शी और जानिए भगवान गणेश के उपयोगी मन्त्रों को
डेस्क - गुरुवार-15 सितंबर 2016 को अनन्त चतुर्दशी व्रत और श्री अपने भगवान श्री गणेश जी को ग्यारह दिन पूजा करने के बाद गणेश विसर्जन का दिन आएगा || आज सभी भक्त अपने आँखों में आंसू लिए अपने भगवान को विदा करने की तयारी में लगे हुए है आज ग्यारह दिन से लगातार करते आ रहे भक्ति, पूजन, अर्चन, आरती, कीर्तन आज पूर्ण रूप से संपन्न हुआ बस आज श्री गणेश जी को यहीं कहना है के हे गणेश अगले बरस फिर जल्दी आना। इस गणेश चतुर्दशी आपकी जिंदगी खुशिओं से भरी हो, दुनियां उजालों से रोशन हो, घर पर गणेश चतुर्दशी का आगमन हो! ... आपको गणेश चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनायें । गणपति बाप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया। गणपति बाप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया। जानिए क्‍या है अनंत चतुदर्शी? भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन अनंत के रूप में श्री हरि विष्‍णु की पूजा होती है तथा रक्षाबंधन की राखी के समान ही एक अनंत राखी होती है, जो रूई या रेशम के कुंकुम से रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं। ये 14 गांठें, 14 लोक को निरूपित करते हैं और इस धागे को वे लोग अपने हाथ में बांधते हैं, जो इस दिन यानी अनंत चतुदर्शी का व्रत करते हैं। पुरुष इस अनंत धागे को अपने दाएं हाथ में बांधते हैं तथा स्त्रियां इसे अपने बाएं हाथ में धारण करती हैं। अनंत चतुर्दशी का व्रत एक व्यक्तिगत पूजा है, जिसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता, लेकिन अनन्‍त चतुर्दशी के दिन ही गणपति-विसर्जन का धार्मिक समारोह जरूर होता है जो कि लगातार 10 दिन के गणेश-उत्‍सव का समापन दिवस होता है और इस दिन भगवान गणपति की उस प्रतिमा को किसी बहते जल वाली नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जिसे गणेश चतुर्थी को स्‍थापित किया गया होता है और गणपति उत्‍सव के इस अन्तिम दिन को महाराष्‍ट्र में एक बहुत ही बडे उत्‍सव की तरह मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और ऐसी मान्‍यता भी है कि इस दिन व्रत करने वाला व्रती यदि विष्‍णु सहस्‍त्रनाम स्‍तोत्रम् का पाठ भी करे, तो उसकी वांछित मनोकामना की पूर्ति जरूर होती है और भगवान श्री हरि विष्‍णु उस प्रार्थना करने वाले व्रती पर प्रसन्‍न हाेकर उसे सुख, संपदा, धन-धान्य, यश-वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं।अनंत चतुर्दशी व्रत रखने से मिलने वाला पुण्य, कभी समाप्त नहीं होता। यह काम्य व्रत है, जिसे सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी व्रत सामान्‍यत: नदी-तट पर किया जाना चाहिए और श्री हरि विष्‍णु की लोककथाएं सुननी चाहिए, लेकिन यदि ऐसा संभव न हो, तो उस स्थिति में घर पर स्थापित मंदिर के समक्ष भी श्री हरि विष्‍णु के सहस्‍त्रनामों का पाठ किया जा सकता है तथा श्री हरि विष्‍णु की लोक कथाऐं सुनी जा सकती हैं। जानिए अनंत चतुर्दशी व्रत की महिमा--- -पांडवों को अनंत चतुर्दशी व्रत से मिला खोया राज्य -श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था -पांडवों ने द्रौपदी सहित रखा था अनंत चतुर्दशी व्रत कैसे खुश करें अपनी राशि अनुसार भगवन गणेश को,गणेश चतुर्दशी के दिन..?? राशि‍यों के अनुसार कि‍तने लडडुओं का भोग कि‍स चीज में लगाकर करें और कि‍स मंत्र का जाप करें जि‍ससे गणेश जी प्रसन्‍न हो जायें और सभी के बि‍गडे हुये काम भी बनने लगेा बात मेष राशि की करें इसके जातक9 लडडू शहद में लपेट कर चढ़ातें हैं और ऊॅ गणेशाय नम: का जाप करते हैं तो उनके बि‍गड़े काम बनने लगेंगेा इसी प्रकार वृष राशि के जातक यदि 6लडडू का भोग गणेशजी को लगाकर ऊॅ वि‍घ्‍नाशाये नम: का मंत्र पढ़ते हैं तो उनके भी बि‍गड़े काम बनने शुरू हो जायेंगेा मि‍थुन राशि के जातक गणेश जी को 5 लडडू पान के पत्‍ते पर रखकर चढा़ते हुये ऊॅ लम्‍बोदराय नम:मंत्र का जाप करते हैं तो गणेशजी उनकी सारी परेशानि‍यों को हर लेंगे कर्क राशि के लोग गणेश जी को खुश करने के लिए 4लडडू दूध में लगाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ पार्वती नम: मंत्र का जाप करते हैं तां उनके भी दुख दूर होने लगेंगेा सिह राशि के लोग 10लडडू शहद में मि‍लाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ एकदंताये नम: मंत्र का जाप करते हैं तो उनके भी अच्‍छे दि‍न शुरू हो जायेंगेा कन्‍या राशि के लोग 5 लडडू दूर्वा घास मि‍लाकर गणेश जी को अर्पित करते हैं और ऊॅ वटवै नम:मंत्र जपते हैं तो उनकी भी सारी परेशानी गणेशजी दूर कर देंगेा त

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