गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर गंभीर आरोप

गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर गंभीर आरोप
हिसार -गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार, हरियाणा के अधिकारी वाकई में गैर क़ानूनी कार्यवाहियों को अंजाम देने में भी किसी बहुत बड़े गुरु से कम नहीं हैं ! और तो और जिस काम को करने का अधिकार माननीय सुप्रीम कोर्ट की एकल बेंच तक किसी को भी नहीं था इसके अधिकारियों ने पूरी क़ानूनी जानकारी होते हुए व इसके अपने ही कानून अफसर के बार बार मना करने के बावजूद अपने पूरे होशो हवास में खुद ही कर डाला ! आइये जाने कैसे इस यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ा के रख दी ! माननीय सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दिसम्बर 13, 2012 को अपने दिए फैसले में तालिका बनाते हुए स्पष्ट आदेश दिए थे के किसी भी संसथान में तकनिकी कोर्सेज में दाखिले की अंतिम तारीख 15 अगस्त होगी व किसी भी कोटे से इस तारीख के बाद किसी भी विद्यार्थी को दाखिला नहीं दिया जायेगा व इसे अपने फैसले में फिर से सपष्ट करते हुए आदेश दिए थे कि 15 अगस्त के बाद किसी भी विद्यार्थी को दाखिला नहीं दिया जायेगा चाहे वजह किसी भी किस्म की या कोई भी क्यों ना हो ! इतना ही नहीं माननीय सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपने आदेश में ये भी साफ कर दिया था कि उपरोक्त आदेश को दरकिनार करने की ताकत या न्यायिक अधिकार किसी भी व्यक्ति या अधिकारी को नहीं होगा ! लेकिन आदेश चाहे सुप्रीम कोर्ट का हो या UGC का या किसी का भी हो, गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार,हरियाणा के अधिकारीयों के सामने उसकी क्या बिसात ! धरा का धरा रह गया सुप्रीम कोर्ट का उपरोक्त आदेश व यूनिवर्सिटी अधिकारीयों ने अपनी मर्जी मुताबिक एक विदेशी विद्यार्थी को दाखिला देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की सरेआम धज्जियाँ उड़ा के रख दी ! दरअसल एक विदेशी विद्यार्थी इस यूनिवर्सिटी में 15 अगस्त 2015 तक दाखिले की कार्यवाही पूरी नहीं कर पाया था लेकिन यूनिवर्सिटी के अधिकारी इस विद्यार्थी को दाखिला देने को उतारू थे व मामला यूनिवर्सिटी के ही लॉ अधिकारी के पास राय के लिए भेजा गया जिसने 21 अगस्त 2015 को दी अपनी क़ानूनी राय में साफ़ रूप से लिखित में बता दिया कि
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबित मेरी राय में हम किसी भी कीमत पर इस विद्यार्थी को दाखिला नहीं दे सकते हैं !
लेकिन यूनिवर्सिटी के अधिकारी तो इस विद्यार्थी को दाखिला देने को उतारू थे इसलिए वो इस राय को कैसे गले से उतर सकते थे इसलिए उन्होंने इस राय को भी दरकिनार करके फाइल को आगे बढाया व फाइल को फिर से यूनिवर्सिटी के ही लॉ अधिकारी के पास राय के लिए भेजा गया जिसने 17 सितम्बर 2015 को अपनी दी पुरानी क़ानूनी राय को ही ठीक ठहराया ! परन्तु यूनिवर्सिटी के अधिकारी तो इस विद्यार्थी को दाखिला देने को उतारू थे और उन्होंने ये कर भी दिखाया व अगले एक हफ्ते के अंदर ही विद्यार्थी के दाखिले को यूनिवर्सिटी के उपकुलपति व रजिस्ट्रार ने अपने मंजूरी दे दी ! मैं नहीं जानता कि हमारे मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ईमानदार हैं या नहीं, पर उपरोक्त सारा वाकया जिसमे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरेआम धजिय्याँ उडी हैं उन्ही की सरकार के कार्यकाल में घटित हुआ हैं ! क्या वे इसकी सीबीआई जांच करवा पाएंगे ! जिस यूनिवर्सिटी के ऐसे अधिकारी हों वो विद्यार्थियों को क्या शिक्षा देती होगी, ये तो आप समझ ही सकते हैं !
प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित

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