पाकिस्तान की गुडविल ख़राब प्रधानमंत्री मोदी ने सिन्धु जल समझौते मामले में अधिकारियों से मागा फीडबैक
Sep 25, 2016, 18:30 IST
नई दिल्ली- पकिस्तान की गुडविल अब खराब हो गई है |पाकिस्तान की हेकड़ी अब उसपर भारी पड़ने वाली है प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों की बैठक बुलाकर सिन्धु नदी के जल के बारे में फीडबैक माँगा है | 1960 में हुए इस सिंधु जल समझौता से पकिस्तान की छह नदियों को जल मिलता है जिससे उनकी बिजली परियोजना चलती है और सिचाई होती है | अगर भारत सिन्धु नदी का जल रोक दे तो पाकिस्तान के सामने बहुत बड़ा संकट आ सकता है | उड़ी आतंकी हमले में 18 जवानों के शहीद होने के बाद भारत पाकिस्तान को हर तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है। अब आगे की कार्यवाई अधिकारियों द्वारा दिए गए फ़ीड बैक पर निर्भर करती है | स्वरूप ने सरकार के इरादों की तरफ इशारा करते हुए कहा- "इस समझौते की प्रस्तावना में ही साफ लिखा है कि ये गुडविल पर काम करेगा।" स्पोक्सपर्सन से जब ये पूछा गया कि क्या भारत इस समझौते को रद्द कर सकता है, तो विकास ने कहा- "इस बारे में विस्तार से नहीं बताया जा सकता। डिप्लोमेसी में हर चीज को समझाया नहीं जाता।"क्या है सिंधु जल समझौता?- सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) 1960 में हुआ। इस पर जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान ने दस्तखत किए थे। - समझौते के तहत छह नदियों- ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी भारत और पाकिस्तान को मिलता है। पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि भारत उसे समझौते की शर्तों से कम पानी देता है। वो दो बार इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में शिकायत भी कर चुका है।- समझौते के मुताबिक, सतलज, व्यास और रावी का अधिकतर पानी भारत के हिस्से में रखा गया जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का अधिकतर पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया।
सिचाई और बिजली पर होगा असर इस समझौते को भारत अगर रद्द कर देता है तो वहां का एक बड़ा हिस्सा प्यासा रह जाएगा। सिंधु और बाकी पांच नदियां पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से की प्यास बुझाती हैं। पाकिस्तानी अखबार ट्रिब्यून ने पिछले दिनों कहा था कि सिंधु के पानी के बगैर देश का एक हिस्सा रेगिस्तान बन जाएगा। सिंधु, झेलम और चेनाब में वाटर बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट चल रहे हैं। बिजली की पाकिस्तान में वैसे ही भारी परेशानी है। अगर यह समझौता रद्द हो गया तो पाकिस्तान में बिजली को लेकर हाहाकार मच सकता है। इसके अलावा इन तीनों नदियों से सिंचाई भी की जाती है। समझौता रद्द होने पर बिजली तो कम होगी ही, पाकिस्तान के किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। इससे निपटना करीब-करीब नामुमकिन हो सकता है। पहले ही कर्ज में गले तक डूबे पाकिस्तान के लिए फाइनेंशियल लेवल पर ये झटका सहन करना बेहद कठिन होगा। पकिस्तान के भारत में उच्चायुक्त ने भी अपने बयान में माना था कि पाकिस्तान कि स्थिति बहुत ख़राब है और अगर भारत द्वारा सिन्धु के जल को भी रोक दिया जाता है तो उनकी माली हालत बाद से बदतर हो सकती है |