करवा चौथ पर सौ साल में पहली बार चार शुभ मुहूर्त एक साथ

करवा चौथ पर सौ साल में पहली बार चार शुभ मुहूर्त एक साथ

डेस्क -कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला करवा चौथ का व्रत 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 100 वर्षों में पहली बार करवा चौथ पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार यह पर्व बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में आ रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा और अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा वहीं बुध अपनी कन्या राशि में रहेगा। इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्णजी की रोहिणी नक्षत्र भी है। बुधवार गणेशजी और कृष्णजी दोनों का दिन है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इस बार यह त्योहार 19 अक्टूबर को है। अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें यह व्रत करती है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से संपन्न किया जाता है। इस व्रत को रखने से एक दिन पहले महिलाएं हाथों में मेंहदी रचाती है। व्रत के दिन महिलाएं नए कपड़े, आभूषण पहनकर सोलह श्रृंगार कर पूजा करने जाती है।
इस समय करें पूजा पूजा मुहूर्त– 05:43 से 06:59, चंद्रोदय– 08:51, चतुर्थी तिथि आरंभ– 10:47 (18 अक्तूबर), चतुर्थी तिथि समाप्त– 07:32 (19 अक्तूबर) करवा चौथ व्रत विधि:व्रत के दिन सुबह स्नानादि करने के पश्चात सुहागिनें यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’ विवाहित स्त्री पूरे दिन निर्जला (बिना पानी के) रहें।दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा बनाएं, इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलवा बनाएं, पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं।गौरी को बैठाने के बाद उस पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाए इसके बाद माता का भी सोलह श्रृंगार करें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें।नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।’ करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर महिलाओं को अपनी मां या सास का आशीर्वाद लेना चाहिए।तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति से आशीर्वाद लेकर उन्हें भोजन कराने के पश्चात ही खुद भोजन ग्रहण करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अद्भुत संयोग शुभ फलदायी
ये अद्भुत संयोग करवा चौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है। इसे करक करवा चौथ भी कहते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार अद्भुत संयोग तो कई बार बनते है लेकिन इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्ण जी का रोहिणी नक्षत्र भी है। यह अद्भुत संयोग करवाचौथ व्रत पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख प्रदान करेगा। करवा चौथ का व्रत अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए महिलाएं करेंगी।

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