तरस गई पर्यटन को अयोध्या नगरी

तरस गई पर्यटन को अयोध्या नगरी
अयोध्या -बड़ी दर्द भरी कहानी है अयोध्या की। अयोध्या में 200 से ज्यादा ऐतिहासिक भवन जर्जर है। इनका अस्तित्व समाप्त होने वाला है। जर्जर मंदिरों में दबकर मौते होती रहीं पर किसी भी नेता का बयान इसके पुर्ननिर्माण हेतु नहीं आया। अयोध्या की धरती यह गुमनाम दर्द लेकर जी रही है परन्तु उसे सुनने वाला कोई नहीं है। अयोध्या को घर घर मंदिर के लिये जाना जाता है। यहां पांच हजार राम मंदिर होने का दावा आदि काल से किया जा रहा है। कुछ मंदिरों का पौराणिक तथा अधिकांश का ऐतिहासिक महत्व है। राम की जन्मभूमि होने के कारण अयोध्या यूं तो हमेशा पूरी दुनिया के लिए जानी जाती थी परन्तु पिछले तीस वर्षो में ये राजनीति में सुर्खियों में आयी। इन तीस वर्षो में अयोध्या में बहुत कुछ बदल गया। इसकी नजीर यह है कि अयोध्या के कई मंदिर मरम्मत तक के लिए तरस गये। अब इनमें रहना मौत को दावत देना है। हमेशा अयोध्या के विकास के पयर्टन के दावे होते रहे। मंच से बड़ी बड़ी योजनाओं की घोषणाएं भी होती रही। परन्तु जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है। भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी तथा अटल बिहारी बाजपेयी अयोध्या आये परन्तु इन मंदिरों की ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया। तीस वर्षो में प्रदेश मुख्यमंत्रियों में कांग्रेस से एनडी तिवारी व वीर बहादुर सिंह, तीन बार मुलायम सिंह, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह रामप्रकाश गुप्ता भाजपा से मुख्यमंत्री रहे है। पिछले तीस सालों में राम मंदिर आन्दोलन में बडी भूमिका निभाने वाले विनय कटियार ने तीन बार सांसद का चुनाव जीता। दो बार कांग्रेस के निर्मल खत्री तथा विभिन्न पर्टियों से मित्रसेन यादव तीन बार यहां के सांसद रहे। विधायकों में सबसे ज्यादा भाजपा से पांच बार लल्लू सिंह यहां विधायक रहे। इसके अलावा कांग्रेस से एसपी सिंह जनता दल से जयशंकर पाण्डेय व वर्तमान समय में तेजनरायन पाण्डेय यहां से विधायक है। अभिषेक गुप्ता

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