पीयूसीएल की बैठक

पीयूसीएल की बैठक
लखनऊ -उत्तर प्रदेश पीयूसीएल की बैठक आज राज्य कार्यालय-301 विधायक आवास स्थित कार्यालय पर आज अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर संपन्न हुयी. पीयूसीएल उत्तर प्रदेश की आज की बैठक में प्रदेश महामंत्री वंदना मिश्र ने बोलते हुये कहा कि वर्तमान का निजाम लगातार निरंकुश होता जा रहा है , बड़े पैमाने पे संस्थानिक हत्याए हो रही है जिसमे सरकार लगातार उनपर लगाम लगाये जाने की बजाये उस छात्र की जाति ढूँढने में लग जाती है. देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में एक छात्र पिछले कई दिनों से गायब है पर विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार अपनी जवाबदेही से न सिर्फ बच रहा है बल्कि इस मुद्दे पर दबाब बनाने वाले छात्रो को लगातार धमकाने और नोटिस देने का काम कर रहा है . बैठक में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मौजूदा वक़्त में एक तरफ जहाँ एक ख़ास तरह की इमरजेंसी लागू है तो वही दूसरी तरफ दलित और वंचित वर्ग पर लगातार हमलो में तेजी आई है. प्रोंन्नती में आरक्षण वाले मामले से दोनों राज्य और केंद्र सर्कार की मंशा साफ़ झलकती है. बड़े पैमाने पर आकादमिक संस्थानों में संघ के लोगो को नियुक्त किया जा रहा है जिनका उस क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं है . उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि इस पुरे दौर ने सत्ता तंत्र लगातार निरंकुश हुआ है और लोकतंत्र का दयेरा लगातार सीमित किये जाने के सोचे समझे प्रयास हो रहे है . बैठक में बलिया से आये हुए पीयूसीएल के राज्य उपाध्यक्ष अखिलेश सिंह ने नोट बंदी का सवाल उठाया और कहा सरकार के इस तानाशाही रवैय्ये से देश की अल्पआय वर्ग जैसे दिहाड़ी मजदूर असंगठित क्षेत्र के मजदूर गरीब मुसलमान घरेलु कामगार महिलाए सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है . तमाम जगह असंगठित मजदूर ख़ुदकुशी कर रहे है . काला धन जिसके आने की बात थी वो कहीं दिख नहीं रहा है , सरकार कभी कैशलेस तो कभी प्लास्टिक करेंसी के नाम पर गुमराह कर रही है . इस पूरी कवायाद से किसानो की कमर टूट गयी है . अंतिम वक्ता के रूप में बोलते हुए राज्य उपाध्यक्ष रामकुमार ने कहा वर्तमान में केंद्र सरकार नोट बंदी से लोगो को मार रही है तो वही दूसरी तरफ प्रदेश सरकार अपनी मांगो के लिए शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे अपने ही कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज कर रही है जिसके चलते एक कर्मचारी की विधानसभा के सामने मौत हो जाती है .

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