जानिए शनि क्या डालने जा रहा है आपके जीवन पर प्रभाव

जानिए शनि क्या डालने जा रहा है आपके जीवन पर प्रभाव
शनि की ढैय्या ---मेष राशि पर शनि का अष्टम ढैय्या,वही 2 नवम्बर से आरंभ है और लगभग अढ़ाई साल रहेगा। इस राशि के लोगों के खर्चे बढ़ सकते हैं।
सिंह राशि में चतुर्थ ढैय्या शुरू हुआ है जो 26 अक्तूबर ,2017 तक रहेगा।
कुल मिला कर तुला राशि की साढ़ेसाती की अवधि 9 सितम्बर,2009 से 26 अक्तूबर 2017 तक है। वृश्चिक में इसका प्रभाव 15 नवम्बर 2011 से आरंभ हुआ है और 24 जनवरी 2020 तक रहेगा। इसी प्रकार धनु राशि की साढ़ेसाती जो 2 नवम्बर 2014 से शुरु हुई है, वह 17 जनवरी 2023 तक रहेगी।
इन राशियों या इनसे संबंधित तिथियों के अलावा यदि कोई आपको साढ़ेसाती या ढैय्या के बारे कुछ और बताता है तो वह गलत है।
2017 वर्ष मे शनि का गोचर बहुत अस्थिर रहेने वाला है क्योकि यह कुछ समय के लिये वक्री हो कर पुनः वृश्चिक राशि मे आ जायेगा और दोबारा लगभग ऑक्तूबर तक मार्गी होकर धनु राशि मे प्रवेश करेगा । शनि का गोचर केवल चंद्र राशि से 3,6,11 भावो मे ही शुभ फल देता है इस प्रकार शनि के धनु राशि मे आने से कुम्भ ,वृष तथा तुला राशि के जातको को शुभ फल मिलने सम्भव है ।
जानिए शनिदेश का प्रभाव ---शनि देव एक न्याय प्रिय ग्रह है ,शनि के नक्षत्र हैं,पुष्य,अनुराधा, और उत्तराभाद्रपद.यह दो राशियों मकर, और कुम्भ का स्वामी है।तुला राशि में २० अंश पर शनि परमोच्च है और मेष राशि के २० अंश प परमनीच हैनीलम शनि का रत्न है।शनि की तीसरी, सातवीं, और दसवीं द्रिष्टि मानी जाती है। आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है। किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्मकुंडली दिखा कर ही उपाय करे ।भारतीय ज्योतिष में शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह माना गया है। शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है। पाश्चात्य ज्योतिष भी है। अगर व्यक्ति धार्मिक हो, उसके कर्म अच्छे हों तो शनि से उसे अनिष्ट फल कभी नहीं मिलेगा। शनि से अधर्मियों व अनाचारियों को ही दंड स्वरूप कष्ट मिलते हैं।शनि सूर्य,चन्द्र,मंगल का शत्रु है , बुध,शुक्र को मित्र तथा गुरु को सम मानता है।शारीरिक रोगों में शनि को वायु विकार,कंप, हड्डियों और दंत रोगों का कारक माना जाता है, रोग , शोक ,भय , दंड , न्याय , धन , कर्ज , दुःख , दारिद्र्य , सम्पन्नता और विपन्नता , असाध्य रोग , अत्यंत सज्जनता और दुर्दांत अपराधी , अति इमानदार और अत्यंत धोखेबाज इत्यादि का कारक शनि देव को माना गया है।
ये होगा शनि देव का धनु राशि में गोचर का प्रभाव ----शनि देव के धनु राशि में गोचर का देश दुनिया पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा , इस प्रभाव के तहत विभिन्न देशों के राजनीतिक हलकों, उच्च शिक्षा से जुड़े विभिन्न संस्थान, धर्म, धार्मिक स्थल, दुर्घटना , दैवीय आपदा के साथ राजनितिक उथल पुथल देखने को मिलेगी।जब गोचर शनि चंद्र लग्न से चैथे, सातवें और दसवें स्थान में जाता है, तो उसे कंटक शनि कहते है तब साधारण रूप से कंटक शनि मानसिक दुःख की वृद्धि करता है, जीवन को अव्यवस्थित बनाता है और इस कारण नाना प्रकार के दुःखों का सामना करवाता है।जब गोचर का शनि चंद्र लग्न से चैथे स्थान में होता है, तब जातक के निवास स्थान में अवश्य ही परिवर्तन होता है और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है। चंद्र लग्न से जब गोचर का शनि सातवें स्थान में होता है, तब जातक का परदेश वास होता है और यदि वह सप्तम स्थान पर चर राशि का हो, तो यह फल अवश्य ही होता है।चंद्र लग्न से यदि गोचर का शनि दसवें स्थान में होता है, तब जातक के व्यवसाय एवं नौकरी आदि में गड़बड़ी होती है और असफलताएं मिलती हैं। इस प्रकार कुंडली में स्थित अशुभ शनि के प्रभाव, गोचर शनि के दुष्प्रभाव तथा दशा-अंतर्दशाओं में होती है
जानिए किस राशि पर कट होगा प्रभाव शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का :-शनि साढ़े साती की गणना चंद्र राशि के अनुसार अर्थात जन्म के समय जिस राशि में चंद्रमा होता है उससे वर्तमान में अर्थात गोचर में शनि की स्थिति के अनुसार होती है अर्थात जन्म कालिक चंद्र राशि से गोचर भ्रमण के दौरान शनि जब द्वादश भाव में आता है तो “साढ़े साती” का प्रारंभ हो जाता है और चंद्र राशि तथा चन्द्र राशि से दूसरे भाव में जब तक रहता है तब साढ़े साती बनी रहती है और जब तीसरी राशि में प्रवेश करता है तो साढ़े साती समाप्त हो जाती है।इस समय शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव तुला , वृश्चिक और धनु राशि पर है। मकर राशि के जातकों के लिए “शनि साढ़े साती” प्रारम्भ हो जाएगी|
तुला राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव अंतिम चरण है जो 26 जनवरी 2017 को समाप्त हो जाएगा।परंतु शनि की चाल वक्री व मार्गी होने के कारण तुला राशि वालों को इस प्रभाव से पूरी तरह मुक्ति 26 अक्तूबर 2017 को ही मिलेगी।तुला राशि की साढ़ेसाती की अवधि 9 सितम्बर,2009 से 26 अक्तूबर 2017 तक है |
वृश्चिक राशि :- इस राशि पर साढ़ेसाती 15 नवम्बर 2011 को आरंभ हुई थी और 2 नवम्बर 2014 से दूसरा चरण आरंभ हो गया है। यहां शनि अपनी शत्रु राशि में नीच चंद्रमा के साथ रहेगा। वृश्चिक में इसका प्रभाव 15 नवम्बर 2011 से आरंभ हुआ है और 24 जनवरी 2020 तक रहेगा।धनु राशि वालों की साढ़ेसाती 2 नवंबर 2014 को आरंभ हुई है यानी इसका प्रथम चरण शुरू हो चुका है। धनु राशि की साढ़ेसाती जो 2 नवम्बर 2014 से शुरु हुई है, वह 17 जनवरी 2023 तक रहेगी।
जानिए किस राशि पर होगा शनि की ढैय्या का प्रभाव---- वर्तमान में शनि देव की ढैया का प्रभाव मेष , सिंह राशि पर रहेगा , मेष राशि पर शनि का अष्टम ढैय्या,वही 2 नवम्बर से आरंभ है और लगभग अढ़ाई साल रहेगा। इस राशि के लोगों के खर्चे बढ़ सकते हैं।सिंह राशि में चतुर्थ ढैय्या शुरू हुआ है जो 26 अक्तूबर ,2017 तक रहेगा।
पंडित दयानंद शास्त्री



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