बेनामी संपत्ति को लेकर शिवसेना का बीजेपी पर तीखा हमला

बेनामी संपत्ति को लेकर शिवसेना का बीजेपी पर तीखा हमला
मुंबई - केंद्र की एनडीए सरकार में सहयोगी होने के बावजूद भी तमाम मुद्दों पर सरकार के लिए असमंजस की स्थिति पैदा करने वाली शिवसेना ने अब बेनामी संपत्ति के मामले में सरकार को नसीहत दी है। बीजेपी की इस पुरानी सहयोगी पार्टी ने प्रधानमंत्री से कहा है कि वे प्रस्तावित बेनामी संपत्ति कानून में सुनिश्चित करें कि यह कानून भी नोटबंदी की तरह मध्यवर्ग को चोट नहीं पहुंचाएगा। नोटबंदी के मुद्दे पर बात करते हुए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाते हुए सरकार अब जल्द ही बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी कठोर कानून को लागू करेगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा मोदी ने विदेशों में छिपे कालेधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक शुरू की लेकिन सच्चाई यह है कि एक नया पैसा भी वापस नहीं आ पाया है। नोटबंदी से देश के अमीरों को बिल्कुल भी नुकसान नहीं हुआ जबकि आम इंसान को परेशानी हुई है। शिवसेना ने इसमें पूछा अब बेनामी संपत्ति के खिलाफ सरकार की क्या कदम उठाएगी उम्मीद करते हैं कि इस मामले में सरकार के कठोर कदम उठाने से आम लोगों को उस तरह की परेशानी नहीं होगी जैसी नोटबंदी के कारण हुई। उम्मीद है कि असल में बेनामी संपत्ति के मालिक अपनी संपत्ति को कानूनी न करवा लें और इस कानून की भी मार आम इंसान को ही पड़े। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि अमीरों और कालेधन के मालिकों के खिलाफ उठाए गए कदमों का भी बुरा असर आम लोगों पर ही पड़ा है। शिवसेना ने कहा जैसे ही बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून बनेगा, वैसे ही वे लोग 24 घंटे के अंदर अपनी काली कमाई की संपत्ति को कानूनी जामा पहना देंगे। यह ठीक उसी तरह से होगा, जैसा नोटबंदी के बाद लोगों ने अपने कालेधन को सफेद करवाया था। इसमें आगे कहा गया है ऐसा लगता है जैसे कानून अमीरों को सुरक्षा देने और गरीबों को कुचलने के लिए हैं। शिवसेना ने कहा, जो लोग एलओसी पार की गई सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे थे वे अब चुप बैठे हैं जबकि सेना की उस कार्रवाई के बाद पड़ोसी देश की धरती से कई हमले हुए और हमारे 50 सैनिक शहीद हो गए हैं। शिवसेना ने तो सरकार से यह भी आश्वासन मांगा है कि वह बेनामी संपत्ति की गणना करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि कश्मीरी पंडितों को अपनी धरती पर अपनी उचित जगह मिले

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