अगर आप ग्रीन टी पीते हैं तो हो जाएँ सावधान

अगर आप ग्रीन टी पीते हैं तो हो जाएँ सावधान
डेस्क- ग्रीन टी पीना आज कल लोग खूब फैशन समझ रहे है और इसे पीने से कई सारे फायदे भी हैं। ग्रीन टी आपके मोटापे पर लगाम लगाती है स्किन को चमकदार बनाने से लेकर पाचन क्रिया के लिए भी फायदेमंद साबित होती है। हालांकि इसे पीने के कई गंभीर नुकसान भी हैं और कई बीमारियों में इसे पीना बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता हैग्रीन टी के बारे में बताये 1.शायद आपको पता न हो लेकिन ग्रीन टी में भी कैफीन होता है। ग्रीन टी में मौजूद कैफीन से भी कई हेल्थ समस्या होने लगती हैं। ग्रीन टी की 227 ग्राम चाय में 24 से 45 मिलीग्राम तक कैफीन होती है। बाकी चाय की ही तरह अगर आप ग्रीन टी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कैफीन आपकी हार्टबीट अनियमित कर देती है।
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. ज्यादा ग्रीन टी पीना आपके पाचन तंत्र के लिए भी नुक्सान पहुंचा सकता है। ज्यादा कैफीन आपके पाचन रस के बैलेंस को बिगाड़ देता है ग्रीन टी में मौजूद टैनिन आपके पेट को खराब कर सकता है क्योंकि ग्रीन टी पीने से पेट में एसिड अधिक बनने लगती है। खासतौर पर एसिडिटी होती है उन्हें ग्रीन टी पीने से बचना चाहिए 3. गर्भवती महिलाओं को दिन में दो बार से ज्यादा ग्रीन टी नहीं पीना चाहिए इसके पीछे भी कारण कैफीन ही है। कैफीन का सेवन मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक बन सकता है इसलिए अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान ग्रीन टी पीना चाहती हैं तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें
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अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत है या फिर हड्डियों से जुड़ी कोई भी बीमारी है तो भी ग्रीन टी आपके लिए नुकसान का कारण बन सकती है किसी भी समस्या से बचने के लिए आपको दिनभर में 4-5 कप से ज्यादा ग्रीन टी का सेवन नहीं करना चाहिए। 5. डॉक्टरों का कहना है की जिन लोगों को एनीमिया की समस्या है उन्हें भी ग्रीन टी से बचना चाहिए एनीमिया के कारण ही आयरन की कमी हो जाती है हिमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती हैं। अगर पहले ही आयरन की कमी है तो ग्रीन टी ना लें। अगर पीनी भी है तो बल्कि खाना खाने के दौरान बीच में ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं ताकि बॉडी आयरन ऑब्सर्व कर ले। 6. डॉक्टरों का कहना है की मोतियाबिंद से पीड़ित लोग यदि ग्रीन टी पीते हैं तो 30 मिनट के अंदर-अंदर उनकी आंखों पर दबाव पड़ने लगता है। इस बीमारी में ग्रीन टी का सेवन करने से ये और बढ़ सकती है। मोतियाबिंद आंखों से संबंधित ऐसी बीमारी है जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है। इसके बढ़ने पर अंधापन भी हो सकता है।

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