सपा-कांग्रेस के गठबंधन में है दो प्रमुख वजहें
Jan 19, 2017, 06:06 IST
दिल्ली- कांग्रेस को 2012 के विधानसभा चुनाव में 29.15 प्रतिशत और कांग्रेस को 11.63 फीसदी वोट मिले थे। यदि इनके वोट जोड़ दिए जाएं तो 40.78 प्रतिशत बैठते हैं. 2017 के चुनाव में इस वोट बैंक में कुछ कमी आए तो भी सत्ता का रास्ता नहीं रुकेगा.
गठबंधन तभी लाभदायक होता है.
मौजूदा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन वोटों के इसी गणित को ध्यान में रखकर किया गया है. दोनों दलों के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर हो जाएं तो चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं, हालांकि उनका कहना है कि गठबंधन तभी लाभदायक होता है.
सपा ने बनाई थी पूर्ण बहुमत सरकार
जब जमीनी स्तर पर इसका माहौल बना हो, सपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन 2017 आते-आते उसे गठबंधन की जरूरत महसूस होने लगी। सपा ने कांग्रेस को गठबंधन में लगभग 100 सीटें दी हैं. इस गठबंधन की दो प्रमुख वजह मानी जा रही है.
मुस्लिम वोटों को सहेजने की कोशिश
19 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटों को सहेजने की कोशिश, जिन पर मायावती मजबूती से दावा जता रही हैं. दो सेकुलर दलों की दोस्ती से मुसलमानों में यह विश्वास पैदा करने की कोशिश की गई है. कि वे ही प्रदेश में भाजपा का विकल्प हैं, दूसरी, एक-दूसरे के वोटों को ट्रांसफर कराकर सीटों की संख्या बढ़ाना. प्रदेश में पिछली कई सरकारें 30 प्रतिशत के आसपास वोट लेकर बनी हैं. वोट बैंक में एक से डेढ़ प्रतिशत की कमी या बढ़ोतरी सीटों में बड़ा अंतर पैदा कर देती है, गठबंधन से इस वोट बैंक को बढ़ाया जा सकता है.
गठबंधन तभी लाभदायक होता है.
मौजूदा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन वोटों के इसी गणित को ध्यान में रखकर किया गया है. दोनों दलों के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर हो जाएं तो चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं, हालांकि उनका कहना है कि गठबंधन तभी लाभदायक होता है.
सपा ने बनाई थी पूर्ण बहुमत सरकार
जब जमीनी स्तर पर इसका माहौल बना हो, सपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन 2017 आते-आते उसे गठबंधन की जरूरत महसूस होने लगी। सपा ने कांग्रेस को गठबंधन में लगभग 100 सीटें दी हैं. इस गठबंधन की दो प्रमुख वजह मानी जा रही है.
मुस्लिम वोटों को सहेजने की कोशिश
19 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटों को सहेजने की कोशिश, जिन पर मायावती मजबूती से दावा जता रही हैं. दो सेकुलर दलों की दोस्ती से मुसलमानों में यह विश्वास पैदा करने की कोशिश की गई है. कि वे ही प्रदेश में भाजपा का विकल्प हैं, दूसरी, एक-दूसरे के वोटों को ट्रांसफर कराकर सीटों की संख्या बढ़ाना. प्रदेश में पिछली कई सरकारें 30 प्रतिशत के आसपास वोट लेकर बनी हैं. वोट बैंक में एक से डेढ़ प्रतिशत की कमी या बढ़ोतरी सीटों में बड़ा अंतर पैदा कर देती है, गठबंधन से इस वोट बैंक को बढ़ाया जा सकता है.