मौनी अमावस्या दुबकी लगाने वालों को मिलेगा लाभ ही लाभ

मौनी अमावस्या दुबकी लगाने वालों को मिलेगा लाभ ही लाभ

इलाहाबाद - यह भारत देश है यहाँ हर पर्व और त्योहारों का अपना अलग ही महत्व है | धार्मिक परम्पराएँ आज भी जिन्दा है और यही कारण है की आज मौनी अमावस्या में गंगा में दुबकी लगाने के लिए लाखों लोग पहुचते ही जाते हैं और इस स्नान का पुण्य लाभ लेने के लिए गुरुवार से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है। मौनी अमावस्या की शुरुआत गुरुवार शाम पांच बजे से ही हो गई है। स्नान का मुहूर्त शुक्रवार को शाम साढ़े चार बजे तक रहेगा। इसलिए पिछले दो दिन से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। परेड में अस्थायी पांच सौ रैन बसेरे बनाए गए हैं। इनमें से तीन सौ शिविरों में श्रद्धालु डेरा डाल चुके हैं। मेले में भीड़ पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

-माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगा में डुबकी लगाने वालों को खास लाभ मिलते हैं। कहा जाता है कि इस मास में देवताओं का वास होता है। ऐसे में गंगा घाटों पर मेले भी लगते हैं।
-इलाहाबाद में इस दिन के लिए 19 घाटों पर कुछ खास इंतजाम किए गए हैं।
-26 जनवरी भोर 4:47 बजे से ही अमावस्या शुरू हो जाएगी, जो 27 जनवरी को भोर 5:33 बजे तक रहेगी। स्नान का मुहूर्त 27 जनवरी को भोर में 4:47 बजे से पूरे दिन रहेगा लेकिन सुबह 11 बजे तक स्नान का सर्वोत्तम समय माना गया है।
गंगा स्नान का है खास महत्व
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र जलाशय, नदियों में स्नान व पितरों का तर्पण करने से पितरों कों शांति मिलती है व कई गुना पुण्य मिलता है।
-कहा जाता है कि यह दिन मुनियों के लिए अनंत पुण्यदायक है। इस दिन मौन रहने से पुण्य लोक, मुनि लोक की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन काल विशेष रूप से प्रभावी रहता है इस दिन चांद पूरी तरह अस्त रहता है। चंद्रमा जो की जीवन का पूर्ण कारक है इसीलिए इस दिन मदिरा पान, मांस आदि से बचना चाहिए। यात्रा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करना चाहिए।

-माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन गंगा में डुबकी लगाने वालों को खास लाभ मिलते हैं। कहा जाता है कि इस मास में देवताओं का वास होता है। ऐसे में गंगा घाटों पर मेले भी लगते हैं।
- स्नान का मुहूर्त शुक्रवार को शाम साढ़े चार बजे तक रहेगा। इसलिए पिछले दो दिन से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। परेड में अस्थायी पांच सौ रैन बसेरे बनाए गए हैं। इनमें से तीन सौ शिविरों में श्रद्धालु डेरा डाल चुके हैं। मेले में भीड़ पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा।


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