सूर्यदेव की कृपा बिना संभव नहीं हैं मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता ---

सूर्यदेव की कृपा बिना संभव नहीं हैं मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता ---
डेस्क (पंडित दयानंद शास्त्री) - सूर्य और मंगल सोच और साहस के परम शुभ ग्रह माने गए हैं. सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह कहा गया है और शोधपरक, आविष्कारक, रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित कार्यों में इनका खास दखल रहता है. मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता सूर्यदेव के बगैर संभव ही नहीं है. जब यही सूक्ष्म कार्य मानव शरीर से जुड़ जाता है तो शुक्र का रोल आरंभ हो जाता है, क्योंकि मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में शुक्र तंत्रिका तंत्र विज्ञान के कारक हैं. यानी शुक्र को न्यूरोलॉजी और गुप्त रोग का ज्ञान देने वाला माना गया है. सजीव में शुक्र का रोल अधिक रहता है और निर्जीव में सूर्य का रोल अधिक रहता है. यदि शुक्र और सूर्य आपकी कुंडली में एक साथ हैं और दस अंश की दूरी पर हैं तो यह मानकर चलें कि इनका फल आपके ऊपर अधिक घटित होगा. तीसरे भाव, पांचवें भाव, दशम भाव और एकादश भाव में इनकी स्थिति आपके कुशल वैज्ञानिक, आविष्कारक, डॉक्टर, संगीतज्ञ, फैशन डिजाइनर, हार्ट अथवा न्यूरो सर्जन बना सकती है. इन दोनों की युति में शुक्र बलवान हो, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ बना सकते हैं. साथ ही ललित कला और फिल्म उद्योग में संगीतकार आदि बन सकते हैं. जब सूर्य के साथ मंगल मिले हैं, तो पुलिस, सेना, इंजीनियर, अग्निशमन विभाग, कृषि कार्य, जमीन-जायदाद, ठेकेदारी, सर्जरी, खेल, राजनीति तथा अन्य प्रबंधन कार्य के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा सकते हैं. यदि इनकी युति पराक्रम भाव में दशम अथवा एकादश भाव में हो इंजीनियरिंग, आईआईटी वैज्ञानिक बनने के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी और प्रशासक बनना लगभग सुनिश्चित कर देती है. अधिकतर वैज्ञानिक, खिलाडिय़ों और प्रभावशाली व्यक्तियों की कुंडली में यह युति और योग देखे जा सकते हैं. आज के प्रोफेशनल युग में इनका प्रभाव और फल चरम पर रहता है. यदि कुंडली में मंगल, सूर्य तीसरे, दसवे या ग्याहरवें भाव में हो तो अन्य ग्रहों के द्वारा बने हुए योगों को ध्यान में रखकर उपरोक्त कहे गए क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाना चाहिए. यदि इनके साथ बुध भी जुड़ जाएं तो एजुकेशन, बैंक और बीमा क्षेत्र में किस्मत आजमा सकते हैं. लेकिन, इसके लिए कुंडली में बुध ओर गुरु की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है. वास्तुकला तथा अन्य नक्काशी वाले क्षेत्रों के दरवाजे भी आपके लिए खुल जाएंगे, इसलिए कुंडली में अगर सूर्य, मंगल की प्रधानता हो तो इनके कारक अथवा संबंधित क्षेत्र अति लाभदायक और कामयाबी दिलाने वाले रहेंगे, इसलिए जो बेहतर और आपकी प्रकृति को सूट करें वही क्षेत्र चुनें.

Share this story