ये चमत्कारी शिवलिंग मृत व्यक्ति को भी जीवित कर देता है

ये चमत्कारी शिवलिंग मृत व्यक्ति को भी जीवित कर देता है

डेस्क - जन्म और मृत्यु अटल सत्य हैं, जब आत्मा एक शरीर को त्याग देती है तब वो उसी शरीर में पुन वापस नहीं जाति.....जन्म के बाद मृत्यु होना निश्चित है और मृत्यु के बाद शरीर त्यागकर आत्मा का दूसरे शरीर में प्रवेश कर पुन: जन्म लेना भी निर्धारित है.....

कहते हैं आत्मा एक बार जिस शरीर को छोड़ देती है, उसमें पुन: प्रवेश नहीं करती। वह अपने लिए एक नए शरीर की तलाश करती है। इसलिए मृत्यु के बाद किसी का वापस लौटकर आना संभव नहीं है, कम से कम उस शरीर में तो नहीं जिसे आत्मा पहले ही त्याग चुकी है....



अगर हम आपसे ये कहें कि मृत्यु के बाद भी लोग जीवित हो सकते हैं, तो आपको ये मजाक से ज्यादा और कुछ नहीं लगेगा। लेकिन एक स्थान ऐसा है जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में पुन: प्रवेश कर जाती है....

ईश्वर के चमत्कार के आगे प्रकृति को भी झुकना ही पड़ता है। जन्म और मृत्यु, इन दोनों पर ईश्वर का अधिकार है और ईश्वर चाहे तो वह प्रकृति के उस नियम को भी तोड़ सकता है जो मृत्यु के बाद व्यक्ति के पुन: जीवित होने से जुड़ा है.....

हम आपसे ये कहें कि मृत्यु के बाद भी लोग जीवित हो सकते हैं, तो आपको ये मजाक से ज्यादा और कुछ नहीं लगेगा। लेकिन एक स्थान ऐसा है जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में पुन: प्रवेश कर जाती है.....

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उत्तराखंड की राजधानी, देहरादून से कुछ दूरी पर लाखामंडल नामक स्थान है, इसके विषय में माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों को जीवित आग में भस्म करने के लिए उनके चचेरे भाई कौरवों ने यहीं लाक्षागृह का निर्माण करवाया था

ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान इस स्थान पर स्वयं युधिष्ठिर ने शिवलिंग को स्थापित किया था। इस शिवलिंग को आज भी महामंडेश्वर नाम से जाना जाता है...

जहां युधिष्ठिर ने शिवलिंग स्थापित किया था वहां एक बहुत खूबसूरत मंदिर बनाया गया था। शिवलिंग के ठीक सामने दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ मुंह करके खड़े हुए दिखते हैं....

ऐसी मान्यता है कि अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है.....

जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है.....

लेकिन इस मंदिर के पीछे दो द्वारपाल स्थित हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। अब ऐसा क्यों हैं यह बात आजतक एक रहस्य ही बना हुआ है....

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