इस गुफा में छुपा है दुनिया खत्म होने का रहस्य जानिए

इस गुफा में छुपा है दुनिया खत्म होने का रहस्य जानिए

डेस्क-भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि जो जन्मा है उसकी मृत्यु भी निश्चत है। इस नियम से न तो सूर्य अलग हैं और न हमारी पृथ्वी। इनका भी एक दिन अंत होना तय है। समय-समय पर दुनिया खत्म होने की भविष्यवाणियां भी आती रहती हैं लेकिन लेकिन अभी दुनिया खत्म होने में काफी वक्त है। भारत के कुछ गुफाएं और मंदिर ऐसे हैं जहां यह रहस्य छुपा हुआ है

उसकी मौत का जन्म हुआ
भगवान कृष्ण कहते हैं।गीता है जो कि उसकी मौत का जन्म हुआ है। नियम हैं और न ही पृथ्वी के विभिन्न सूर्य वे एक दिन समाप्त करने के लिए बाध्य हैं। समय-समय पर की जाती है, लेकिन दुनिया के प्रारभिंक चौतीस वर्ष गुजरे हैं, बल्कि विश्व के अंत में यह एक लंबे समय से है। कुछ गुफा मंदिरों में और भारत में, जहां यह रहस्य छुपा हुआ है |



उत्तराखंड में है पातळ भुवनेश्वर गुफा उत्तरखंड के पातळ भुवनेस्वर गुफा इसके बारे में बताया जाता है यहाँ भगवान् शिव का निवास है डरते संभलते गुफ़ा में उतरते ही आप अपने को पाते हैं 33 करोड़ देवी-देवताओं की प्रतीकात्मक च्चिलाओं, प्रतिमाओं व बहते हुए पानी के मध्य और आपका हृदय गदगद् हो उठता है और आप सारी थकान भूल जाते हैं। जैसे ही गुफ़ा की मौन तन्द्रा को भंग कर पुजारी की आवाज गूंजती है कि आप शेष नाग के शरीर की हड्डियों पर खड़े हैं और आपके सिर के उपर शेष नाग का फ़न है तो आपको कुछ समझ नहीं आयेगा परन्तु जैसे ही उस गुफ़ा के चट्टानी पत्थरों पर गहन दृष्टिपात करें तो आपके शरीर में सिरहन सी दौड़ेगी और आप वास्तव में अनुभव करेगें की कुदरत द्वारा तराच्चे पत्थरों में नाग फ़न फैलाये है। स्वर्ग से समागत ऐरावत हाथी का शरीर उन चट्टानों में शायद न दिखे पर जमीन में बिल्कुल झुक कर भूमि से चन्द ईचों की दूरी पर चट्टानों में हाथी के तराशे हुए पैरों को देख कर आपको मानना ही पड़ेगा कि ईश्‍वर (विश्‍वकर्मा) के अलावा कोई भी मूर्तिकार इन पैरों को नहीं घड़ सकता है। (स्कन्द पुराण के मानस खण्ड 103 अध्याय के 155 वें श्लोक में इसका वर्णन है। श्लोक 157 में वर्णित परिजात व कल्पतरू वृक्षों के बारे में वर्तमान में भी पुजारी चट्टानों की ओर इंगित करके उनके स्थान को दिखाता है।सात करोड़ वर्षों में इसमें खम्भे बढ़ता है और जिस दिन यह ऊपर मिल जाएगा उस दिन महा प्रलय आ जायेगा |

अब जानते हैं मुरुधेस्वर शिवलिंग का जो गुजरात के गोधरा में स्थित है इस शिवलिंग के मान्यता है कि यह जिस दिन यह आकार में बढ़ता रहता है और शिवलिंग के पास जल की अविरल धरा बहती रहती है | और भी इसी तरह का रहस्य समेटे है यह शिवलिंग |


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