लखनऊ की मनीषा ने लिया फैसला पहले वोट,फिर विदाई ।

लखनऊ की मनीषा ने लिया फैसला पहले वोट,फिर विदाई ।

लखनऊ- की मनीषा कश्यप में मतदान करने को लेकर जो ललक दिखी या और उसने अपने अधिकार को समझते हुए जो हिम्मत दिखाई ऐसी हिम्मत आज भी समाज में कम ही लड़कियां दिखा पाती हैं ।मनीषा की शादी 18 फरवरी को होनी थी और विदाई होनी थी लखनऊ में पोलिंग के दिन यानि कि 19 फरवरी लेकिन मतदान करने पर अड़ी मनीषा ने अपने मताधिकार को समझते हुए अपनी विदाई का कार्यक्रम ही स्थगित करवा दिया।

लखनऊ के इंदिरानगर इलाके में रहने वाले और आवास विकास में ड्राइवर की।मामूली नौकरी करने वाले जगदीश चंद्र की बेटी की बारात गुजरात से 18 फरवरी को आनी थी और विदाई होनी थी उसके अगले दिन यानि की 19 फरवरी की सुबह लेकिन एक दिन चुनावों में वोट देने को जागरूक करने निर्वाचन आयोग के कर्मचारी क्या आएं उनकी बातें सुनकर मनीषा ने अपनी मंशा ही बदल दी ।मनीषा ने फैसला लिया कि क्योंकि उसकी विदाई के दिन ही इलाके में वोट डाले जाने हैं तो वो 19 को अपनी ससुराल नहीं जाएगी फिर क्या था मनीषा ने ये बात अपने माता पिता के सामने रखी ।शुरू में मनीषा के माता पिता उसकी ये बात मानने को जरा भी तैयार न थें लेकिन मनीषा ने उन्हें बहुत समझाया बुझाया और बाद में मनीष की जिद के आगे उन्हें मानना ही पड़ा ।मनाने का ये सिलसिला यहीं नहीं थमने वाला था। मनीषा के घर वालों को उसकी ससुराल वालों के आगे भी उसकी ये सारी बातें रखनी पड़ी ।पहले तो ससुराल वालों ने भी विदाई की तारीख आगे बढ़ाए जाने से मना कर दिया लेकिन आखिकार मनीषा और उसके घर वालों के बहुत समझाने पर वो भी राजी हो गए ।मनीषा के इस फैसले से जब जहाँ उसके घर वाले बहुत खुश हैं तो वहीँ उसकी सहेलियां भी उसके इस फैसले को पूरे नारी समाज को प्रेरणा देने वाला फैसला मानती हैं ।

मनीषा कश्यप,दुल्हन:मेरे घर में मतदान करने को जागरूक करने चुनाव कार्यालय के अधिकारी आए थे ।उनकी बातें सुनकर मैंने फैसला लिया कि मुझे वोट करना है ।घर वालों के आगे ये बात रखी कि मैं वोट डालना चाहती हूँ फिर विदाई ।पहले तो घर वाले तैयार नहीं थें इसके लिए लेकिन बाद में उन्हें बहुत मनाया तो वो मान गए ।उसके बाद ससुराल वालों को समझाना पड़ा लेकिन मेरे होने वाले पति का इसमें बहुत सहयोग मिला ।

जगदीश चंद्र,मनीषा के पिता :-मेरी बेटी ने बहुत बड़ा फैसला लिया है।बहुत अच्छा है ।पहले हमें ठीक नहीं लगा लेकिन बाद में जब उसने हमें समझाया तब हमने भी उसके ससुराल वालों को समझाया जिसमे मेरे दामाद ने बहुत सहायता की ।

,राजदेवी कश्यप,मनीषा की माँ :- मैंने अपनी बेटी से कहा कि वोट जरूरी है कि शादी और विदाई ,तो उसने कहा मेरे लिए वोट डालना ज्यादा जरूरी है ।ससुराल वालों को भी समझाया फिर मनाने पर वो माने और कहा कि लड़की को वोट डालने दीजिए ।मुझे मेरी लड़की पर गर्व है कि उसने फैसला लिया कि मुझे वोट डालना ही है ।

पल्लवी पांडेय,मनीषा की सहेली :- मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरी सहेली ने ऐसा फैसला लिया। उसने अपना हक समझा ।सभी लड़कियो को ऐसा फैसला लेना चाहिए ।शायद मेरा अगर ऐसा मौका होता तो मैं भी यहीँ कहती कि मुहहे पहले वोट डालना है फिर ससुराल जाना है ।

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