करीबियों से धोखा न मिला होता तो विधानसभा चुनाव का रिजल्ट कुछ और होता..

करीबियों से धोखा न मिला होता तो विधानसभा चुनाव का रिजल्ट कुछ और होता..
लखनऊ-सौरभ शुक्ला--अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर साफ कर दिया है कि संगठन पर अब उनकी पूरी पकड़ होगी। मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक भले ही रहेंगे पर नंबर दो की हैसियत प्रो. रामगोपाल की होगी। शायद इसीलिए पहली बार प्रमुख महासचिव का नया पद राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बनाया गया है.....
  • संगठन को मिलेगा विस्तार
  • राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से यह साफ संकेत निकल कर आ रहे हैं कि सपा संगठन का राष्ट्रीय स्तर पर और विस्तार होगा। पार्टी संगठन पर सीधा उनका नियंत्रण होगा। पार्टी संविधान में अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ एक उपाध्यक्ष व एक कोषाध्यक्ष, छह महासचिव, छह सचिव के साथ 51 कार्यकारिणी सदस्य की व्यवस्था थी। अखिलेश ने इसमें संशोधन कर यह संकेत दिया है कि पार्टी अब उनके हिसाब से चलेगी। साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी 2017 को जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित विशेष अधिवेशन में पार्टी की कमान मिलने के बाद अखिलेश ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 31 लोगों को स्थान दिया था। इसके पहले मुलायम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 46 लोग हुआ करते थे। अखिलेश ने कार्यकारिणी की बैठक में जो संकेत दिए हैं उससे लग रहा है कि संगठन का विस्तार होगा और काम करने वालों को मौका मिलेगा। यही नहीं कई लोगों पर गाज गिरना भी तय है...

  • अखिलेश के इशारों को समझा जाए तो पार्टी संगठन में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है। कुछ बड़े नेताओं को किनारे भी लगाया जा सकता है और अखिलेश के करीबियों को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी मिल सकती हैं। अखिलेश का यह कहना कि उन्हें करीबियों से धोखा न मिला होता तो विधानसभा चुनाव का रिजल्ट कुछ और होता....
  • यह अपने आप में काफी कुछ इशारा कर रहा है। अखिलेश कौन से करीबियों की ओर इशारा कर रहे हैं...
  • यह कौन से लोग हैं यह तो समय बताएगा, लेकिन इससे साफ है कि राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश संगठन में बहुत कुछ बदलने वाला है..
  • कार्यकारी अध्यक्ष की भी चर्चा तो यह भी चल रही है कि 30 सितंबर से पहले अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे...

  • चर्चाओं के मुताबिक इस चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह व कार्यकारी अध्यक्ष अखिलेश यादव हो सकते हैं, लेकिन पार्टी संविधान में संशोधन करके सारा अधिकार कार्यकारी अध्यक्ष को दिया जा सकते है। यह तो समय बताएगा कि इन चर्चाओं में कितना दम है, लेकिन संगठन में पूरी पकड़ अखिलेश के हाथों में ही होगी इसकी ध्वनि साफ सुनाई दे रही है....


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