हजारों लाशों पर खड़ी की गई है यह दीवार

हजारों लाशों पर खड़ी की गई है यह दीवार

डेस्क - यह एक ऐसी किलेनुमा दीवार है जो मिट्टी और पत्थर से बनी हुई है या ये कहे की ये दीवारों का एक ऐसा समूह है जो आपस में जुड़कर इसे एक वृहद् स्वरुप प्रदान करता है। इस विशालकाय दीवार का निर्माण पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक उत्तरी देशों से बचाव के लिये चीन के विभिन्न शासको के द्वारा करवाया गया। यह दीवार लगभग लगभग 6400 किलोमीटर में फैली है हालाँकि इस के कुछ हिस्से आपस में नहीं जुड़े है अगर इन सभी को आपस में जोड़ दिया जाये तो इसकी कुल लम्बाई लगभग 8840 किलोमीटर तक पहुंचती है। विश्व का सबसे लम्बा हाइवे पैन अमेरिका भी चीन की इस दीवार से छोटा है। इस दीवार के निर्माण में लाखो लोगो ने अपना जीवन लगा दिया। इतिहासकारों की माने तो इस दीवार के निर्माण में जिन मजदूरों की मृत्यु हो जाती थी, उनको भी ईंट, पत्थर के साथ इसी में दफना दिया जाता था। सम्भवतः इसी लिए इसे विश्व की सबसे बड़ी कब्रगाह भी कहा जाता है।

हालंकि यह दीवार भी अभेद नहीं रह पायी। समय समय पर कई आक्रमणकारियों द्वारा इस दीवार को पार करने का प्रयास किया गया, इसमें एक नाम चंगेज खान का भी है, जिसने सन 1211 में चीन की इस महान दीवार को तोड़कर चीन में प्रवेश किया। मानव निर्मित इस दीवार की खासियत यह भी है इसे चाँद से भी देखा जा सकता है और यह विश्व के सात अजूबो में से एक है। इस दीवार में जगह जगह मीनारे भी बनवायी गयी है। जो आने वाले शत्रुओं पर नजर रखने के काम आती थी। अलग अलग जगहों पर इसकी अलग अलग ऊंचाई है। जो 8 फुट से लेकर 35 फुट तक है। पुरातन काल में इसका उपयोग शत्रुओं से रक्षा के लिए किया जाता था, परन्तु बाद में सदियों तक यह आवागमन, परिवहन और माल ढ़ोने के काम भी आती रही। परन्तु अब तो यह सैलानियों के लिए एक पर्यटन स्थल बन गया है, जहाँ प्रतिवर्ष हजारो लोग इसकी विशालता को देखना आते है।


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