Exclusive: ...मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे.ट्रेन में मिली कुपोषित बच्ची

Exclusive: ...मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे.ट्रेन में मिली कुपोषित बच्ची

लखीमपुर-खीरी।

देने वाला किसी को गरीबी न दे, मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे। जीआरपी मैलानी को ट्रेन में मिली दो साल की कुपोषित बच्ची को क्या माना जाए। इस बच्ची की बदनसीबी है या इसे जन्म देने वाली मां की बेबसी जो यह बच्ची आज अपनी मां-बाप से दूर उनके आने का इंतजार अपनी मासूम आंखों में सहेजे है। ट्रेन में जीआरपी को मिली बच्ची की हालत बेहद चिंताजनक थी। जिस हालत में जीआरपी ने उसे एक एनजीओ को सौंपा। आज इस बच्ची का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।

मैलानी रेलवे स्टेशन पर मिली बच्ची

आपको बता दें कि मैलानी रेलवे स्टेशन पर 11 तारीख की शाम करीब सात बजे ट्रेन की एक बोगी में एक लावारिस बच्ची के होने की सूचना गार्ड को मिली। जिसके बाद गार्ड जीआरपी मैलानी को बुलाकर बच्ची को उनके हवाले कर देता है। बच्ची की हालत बेहद नाजुक थी। बच्ची कुपोषण का शिकार थी और बेसुध हालत में थी। ऐसे में उसे तत्काल इलाज की आवश्यकता था। बिना देरी किए चौकी जीआरपी प्रभारी मैलानी ने पलिया में काम कर रहे चाइल्ड लाइन एनजीओ को सूचना दी। बच्ची को उनके हवाले किया। बच्ची को स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया। बच्ची की हालत नाजुक थी तो उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। बच्ची को पहले इमरजेंसी में रखा गया। हालत में सुधार के बाद चार दिन बाद कुपोषण वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि इन तीन दिनों में बच्ची की हालत में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है। मामले में आलम यह है कि जीआरपी से लेकर सिविल पुलिस व जिले के आलाधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई है। इसके बावजूद बच्ची की मदद को अभी तक कोई आगे नहीं आया है।

फरिश्ता बनकर पहुंचे मुकेश

बच्ची के बारे में मुकेश श्रीवास्तव को उनके मित्र रिंकु निगम ने बताया कि अस्पताल में भर्ती को सही इलाज नहीं मिल रहा है। न ही बच्ची को सही खाना दिया जा रहा है। बच्ची के पास कपड़े भी नहीं हैं। ऐसे में मुकेश श्रीवास्तव अपने साथी समाजसेवी कपिल श्रीवास्तव के साथ 12 अपै्रल की दोपहर कुछ जरूरी सामानों के साथ अस्पताल पहुंचे जहां उन्हें बच्ची को सही इलाज मिले इसके लिए डाक्टरों से बात की और लाया गया सामान बच्ची की देख-भाल कर रहे एनजीओ के कर्मचारी को दिया।, १७ अप्रैल को नोएडा से आये विवेक श्रीवास्तव भी बच्ची से मिलने पहुंचे और कुछ जरुरत का सामान लाये , जिलाधिकारी और पत्रकार मित्रो को भी सुचित किया , करीब पांच दिन तक मुकेश नि:स्वार्थ भाव से बच्ची की सेवा में लगे हैं। वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि बच्ची सकुशल अपने मां-बाप तक पहुंच जाए


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