क्या आपने देखा बाहुबली 2 में नए इंटेलिजेंस सिनेमा का अवतार
मुंबई: (सिद्दीका रिज़वी)- फिल्म 'बाहुबली 'द कन्क्लूज़न' का इंतज़ार आखिरकार ख़त्म हुआ और आज इस फिल्म को रिलीज़ कर दिया गया है जिसे देखने के लिए बाहुबली फैन्स की भीड़ उमड़ी पड़ी है. बाहुबली फिल्म देखने के लिए रविवार तक सभी मल्टीप्लेक्स हाउसफुल हैं जिसकी वजह से अभी भी ज़्यादातर लोगों को इस सवाल का इंतज़ार करना पड़ेगा की आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा. लेकिन इसके साथ ही हम आपको फिल्म के कई खास बातें बताएँगे जिससे शायद आप अंजान हैं.
फ़िल्म की डबबिंग--
बाहुबली 'द कन्क्लूज़न' बेहद भव्य स्तर पर बनाई गई है. इसके निर्देशक एसएस राजामौली हैं. इस तेलुगू फिल्म को अपनी आवाज़ देने वाले जाने-माने टीवी और फिल्म अभिनेता शरद केलकर ने बाहुबली के किरदार की हिंदी डबिंग की है. आपको बता दें कि इस फिल्म को राजामौली और उनकी टीम ने फिल्म को बनाने में 5 साल लगा दिए.
बाहुबली 'द बिगिनिंग' ने ब्लॉकबस्टर किया था धमाल--
आपको बताते चलें कि 'बाहुबली, द बिगिनिंग', ने पहले भी ब्लॉकबस्टर फिल्म कहलाने के सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले थे, और उसे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था, लेकिन लोगों में फिल्म के दुसरे भाग से कुछ ज्यदा ही उम्मीदें हैं. दूसरी ओर इस रहस्य से पर्दा उठने का भी इंतज़ार सारा देश कर रहा है कि क्यों माहिष्मती के सेनापति कटप्पा (सत्यराज) ने बाहुबली (प्रभास) को मार डाला था.
फिल्म की ख़ासियत--
1. फ़िल्म का ज़्यादातर हिस्सा इतना भव्य दिखाया गया है कि अगर गलती से भी आपने एक फ्रेम के देखने से चुक गए तो बेहद अफ़सोस होगा.
2. फिल्म 'बाहुबली : द कन्क्लूज़न' को 'बाहुबली : द बिगिनिंग' से बेहतर बताया जा रहा है. फिल्म का शुरूआती पार्ट ज़्यादा बेहतर दिखाया गया है, क्योंकि उसमें हास्य भी है, और भावनात्मक स्तर पर बेहतर तरीके से बांधे रखती है. लेकिन इंटरवल के बाद
कटप्पा का चरित्र ऐसे रूप में ढला हुआ नज़र आया है, जो पहले भाग से काफी अलग है, और इस कारण वह चरित्र भी अमरेंद्र बाहुबली के रूप में प्रभास के साथ-साथ हास्य उत्पन्न करता है.
3. फिल्म में महिलाओं का बेहद मजबूत चरित्र दिखाया गया, जिसे देखकर लोगों के दिल में उनके लिए सम्मान पैदा होना स्वाभाविक है. वहीँ 'शिवगामी' के रूप में रम्या कृष्ण को बेहद प्रभावी दिखाया गया. राजसी, सुंदर तथा भव्य - बहुत कुछ उन्होंने सिर्फ अपनी आंखों से ही कह डाला है. दूसरी तरफ 'देवसेना' के रूप में अनुष्का शेट्टी की भूमिका भी काफी दमदार है. वह खूबसूरत और गरिमापूर्ण दिखी हैं, और पहले भाग में निभाई ज़ंजीरों से जकड़ी बूढ़ी मां की भूमिका से कतई उलट रही हैं.
4. इस फिल्म में विशेष ध्यान रखा है कि महिला चरित्रों को बुद्धिमान, स्पष्टवक्ता और निर्णय लेने में सक्षम दर्शाया जाए. इस भाग में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों तथा यौन उत्पीड़न जैसे विषयों की ओर इंगित किया जाना यह भी दिखाता है कि निर्देशक लिंगभेद के प्रति काफी संवेदनशील हैं.
5. 5 साल तक इस फिल्म पर कड़ी म्हणत करने बावजूद इस फिल्म में अत्याधुनिक तकनीक, दिल को छू लेने वाले, और कहीं-कहीं सांसों को थाम देने वाले दृश्यों और रंगों का समावेश को बेहद प्रभावी तो दिखाया गया, लेकिन फिर भी ये कहना पड़ेगा इस फिल्म को नए युग का 'इंटेलिजेंट' सिनेमा के रूप में कुछ खास नहीं कर पाई.
6. फिल्म की कहानी तो पुराणी है लेकिन फिर भी ऐसा बहुत कुछ है, जो पहली बार किया गया, और काफी प्रभावी रहा - ट्रांसमीडिया का अभूतपूर्व प्रयोग किया गया, लाइसेंस व फ्रैंचाइज़ी रिलेशनशिप्स, तथा मर्चेंडाइज़ का स्तर अभूतपूर्व रहा, जिसमें पुस्तकें तथा एनिमेशन सीरीज़ भी शामिल हैं - कुल मिलाकर 'बाहुबली' को ऐसी फिल्म बना डालते हैं कि थिएटर से बाहर निकलने के बाद भी 'बाहुबली' मन में बसे रहते हैं.
पूरी तरह से ये कहा जाएगा की फिल्म की कहानी तो पुरानी है लेकिन फिल्म का अंदाज़, किरदार और दृश्य सबकुछ डिजिटल, एनीमेशन और ग्राफ़िक्स पर निर्भर है यु कहा जाए की ये फिल्म इंटेलिजेंस सिनेमा के साथ-साथ पैसा वसूल फिल्म है.
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