जानिए मानसून का गर्भकाल का क्या होगा प्रभाव ओर कब से होगा प्रभावी 2017 में

जानिए मानसून का गर्भकाल का क्या होगा प्रभाव ओर कब से होगा प्रभावी 2017 में
सूर्य जब चन्द्र के नक्षत्र रोहिणी में जाता है तो सूर्य की तपन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। कहा जाता है कि यदि रोहिणी तपे व रोहिणी नक्षत्र के कम से कम 9 दिन के अन्तराल में बारिश ना हो तो वर्षा उस वर्ष अधिक होती है। सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मॉनसून गर्भ में आ जाता है और नौतपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है। जिस समय में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होते हैं उस समय चन्द्र नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं, यही कारण है कि इसे नौ तपा कहा जाता है। जब सूर्य वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण करते हैं, तब गर्मी तेज होती है चन्द्र की पत्नी माने जाने वाले रोहिणी नक्षत्र में गरम आंधियां ज्यादा प्रभाव दिखाती है|
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया इस वर्ष नोतपा या नवतपाअर्थाय रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव 25 मई 2017 को शुरू होगा और इस बार 8 जून 2017तक प्रभावी रहेगा। नौतपा कभी नौ दिनों का तो कभी ग्यारह दिनों का होता है।
इस वर्ष नोतपा 25 मई 2017 से 03 जुलाई 2017 तक रहेगा किन्तु गर्मी का असर 8 जून 2017 तक ज्यादा रहेगा। ऐसा माना जाता है कि यदि रोहिणी नक्षत्र में बारिश हो जाती है तो आने वाले बारिश के मौसम में वर्षा बहुत कम होती है। इस बार नौतपा के दौरान बारिश होने की भी संभावना है। सूर्य, राशि व ग्रहों की चाल के कारण कई वर्षों के पश्‍चात् समसप्‍तक योगकाल में नौतपा पड़ेगा।नवतपा में तेज हवा के साथ बवंडर और वर्षा का अंदेशा है। 20 जुलाई के बाद राहु और शनि के प्रकोप से तेज हवाएं व कमजोर वर्षा के संयोग बन रहे हैं।
नवतपा के दिनों में शादी-विवाह जैसे मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी रखना चाहिए। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश के पूर्व, पश्चिम व दक्षिण में प्राकृतिक आपदा का योग बन रहे हैं। जबकि ज्यादातर नवतपा के 23 मई से शुरू होकर 31 मई तक रहने को सही मान रहे हैं।
जानिए क्या है नौतपा --
साल में एक बार रोहिणी नक्षत्र की दृष्टि सूर्य पर पड़ती है। यह नक्षत्र 15 दिन रहता है लेकिन शुरू के पहले चन्द्रमा जिन 9 नक्षत्रों पर रहता है वो दिन नौतपा कहलाते हैं। इसका कारण इन दिनों में गर्मी अधिक रहती है।
वहीं वैज्ञानिक आधार पर बात करें तो मई माह के अंतिम सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है। इससे धूप और तीखी हो जाती है। नक्षत्रों के काल गणना को आधार मानने वाले लोग वैज्ञानिक आधार पर खगोलीय स्थितियों एवं प्राचीन ज्योतिष मत में परस्पर सामजस्य बिठाने का प्रयास कर रहे हैं जिनके अनुसार परिस्थितिगत सिद्धांत विकसित हो रहे हैं जिसे लोग कपोल कल्पित सिद्धांत भी कह देते हैं जैसे “कालसर्प सिद्धांत” हमारे किसी भी पौराणिक ज्योतिष शास्त्र में “कालसर्प योग” के रूप में विद्धमान नही है फिर भी इसका कितना हौआ और मान्यता है आप स्वयं जानते होंगे । ऐसे ही “नव तपा” के संबंध में हमारा ज्योतिष जो कहता है उसे देखें :
ज्येष्ठ मासे सिते पक्षे आर्द्रादि दशतारका ।
सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा ।।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिस हो तो वर्षा ऋतु में इन दसो नक्षत्रों में वर्षा नही होती, यदि इन्ही नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पडे तो वर्षा अच्छी होती है । भारतीय ज्योतिष में उपरोक्तानुसार “नवतपा” को परिभाषित कर लिया गया है यानी कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाती नक्षत्र तक के अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पडे, जो प्राय: होता है तो वह नवतपा है (हमारे वैदिक ज्योतिष मे “नवतपा” जैसे काल का कोई सैद्धान्तिक विवरण नही है)। इस अनुसार से नवतपा १९ मई से प्रारंभ हो चुका है।
अब परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर देखें मैने अपने चिट्ठे में ग्रहीय स्थितियों के साथ जो कविता दिया था उसमें वृष राशि में स्थित सूर्य की गर्मी का उल्लेख है जो कवि नें सामान्य ज्ञान के अनुसार (अनुभव के आधार पर) लिखा है भारत में ऐसे बहुत लोगों का मानना है कि सूर्य वृष राशि में ही पृथ्वी पर आग बरसाता है और खगोल शास्त्र के अनुसार वृषभ तारामण्डल में जो नक्षत्र हैं वे हैं कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा (वृषभो बहुलाशेषं रोहिण्योऽर्धम् च मृगशिरसः .. ) जिसमें कृतिका सूर्य, रोहिणी चंद्र, मृगशिरा मंगल अधिकार वाले नक्षत्र हैं इन तीनों नक्षत्रों में स्थित सूर्य गरमी ज्यादा देता है ।
अब प्रश्न यह कि इन तीनों नक्षत्रों में सर्वाधिक गरम नक्षत्र अवधि कौन होगा इसके पीछे खगोलीय आधार है इस अवधि मे सौर क्रांतिवृत्त में शीत प्रकृति रोहिणी नक्षत्र सबसे नजदीक का नक्षत्र होता है जिसके कारण सूर्य गति पथ में इस नक्षत्र पर आने से सौर आंधियों में वृद्धि होनी स्वाभाविक है इसी कारण परिस्थितिजन्य सिद्धांत कहता है कि जब सूर्य वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में आता है उसके बाद के नव चंद्र नक्षत्रों का दिन “नवतपा” है ।
ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार नौ तपा में अधिक गर्मी पड़ना अच्छी बारिश होने का संकेत माना जाता है। अगर नौ तपा में गर्मी ठीक न पड़े, तो अच्छी बारिश के आसर कम हो जाते हैं। शनि मंगल की स्थिति जल तत्व में होने से कहीं-कहीं बादल फटने के समाचार भी मिलेंगे। कहीं वर्षा से जन-धन की हानि के योग भी बनते हैं।मंगल जल तत्व की राशि वृश्चिक में होने से मंगल का अग्नि तत्व प्रभाव नष्ट होकर सौम्य असर देगा। इसी कारण वर्षा के योग उत्तम हैं।
इस तरह तपेगा नौ तपा---
25-26 मई 2017 को सूर्य उदय के समय चंद्रमा पृथ्वी तत्व की राशि वृषभ में रहने साथ ही सूर्यब मंगल किन युति के कारण से इन 2 दिनों तापमान अधिक रहेगा।
27-28 मई को सूर्य उदय के समय में चंद्रमा वायु तत्व की राशि मिथुन में रहेगा। शाम को आंधी आने की भी संभवना है।
इन दिनों में आसमान में बादल छाए रह सकते हैं और कहीं-कहीं बूंदाबांदी की संभावना है।
29 30-31 मई को प्रात: 11.13 तक चंद्रमा जल चर राशि कर्क में होने बारिश की संभावना है।
31 मई 1 - 2 जून शाम 06.19 तक चन्द्रमा अग्नि तत्व की राशि सिंह में रहने से तापमान अधिक रहेगा।
03 जून को चन्द्रमा पृथ्वी तत्व की राशी में रहने से तापमान में स्थिरता बनी रहेगी |
प्रभाव और परिणाम--/
विक्रम सम्वत 2074 के ज्येष्ठ माह ने 5 गुरुवार 5 शुक्रवार होने से शुभ माह है ।साथ ही अमावस्या गुरुवार को और पूर्णिमा शुक्रवार को होने से शुभ।गोचर में सभी ग्रह अच्छी कक्षाओं का में चल रहे है ।मानव में धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।सरकार जन सुविधा के लिए बड़ा फैसला ले सकती है। महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा ।शनि और मंगल सम सप्तक योग का निर्माण कर रहे है जो ज्येष्ठ महीने में अग्निकांड, जंगलज्वाला अर्थात जंगलो में आग ।तीव्र गर्मी के साथ अनेक संक्रमित बीमारियो का प्रसार करेंगे।साथ ही शनि सूर्य गुरु शुक्र का षडाष्टक योगराज काज में आपदा ।बड़े नेताओ में आपकी मतभेद करवा सकता है ।साथ ही ज्येष्ठ में मंगल मिथुन राशि पर अस्त होगा जो बादलो को लेकर आएगा ।ठंडी हवा प्रदेश में चलने की संभावना है I 11 मई को कार्तिका नक्षत्र में सूर्य का आगमन बादलो की गर्जना का द्योतक है ।आराधना तथा हवन आदि से सूर्य देवता को प्रसन्न किया जा सकता है।
श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
राष्ट्रीय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रीय पंडित परिषद्,
PT. DAYANAND SHASTRI,
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