मैं हॉलिवुड में कोई झंडा गाडऩे नहीं गई थी: प्रियंका

मैं हॉलिवुड में कोई झंडा गाडऩे नहीं गई थी: प्रियंका
डेस्क - देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा देखते-देखते हॉलिवुड में बड़ी स्टार बन चुकी हैं। अपनी टीवी सीरीज च्ॉन्टिको से अमेरिकन टेलिविजन पर राज करने के बाद अब फिल्म बेवॉच से वो बड़े पर्दे पर आग लगाने को तैयार हैं। बावजूद इसके, प्रियंका का कहना है कि वो हॉलिवुड कोई झंडा गाडऩे के इरादे से नहीं गई थीं। उन्हें मौके मिलते गए और वो पूरी मेहनत से उसे करती गईं। पेश है दो बार की गोल्डेन ग्लोब विजेता प्रियंका से ये खास बातचीत:
आप अमेरिका में भारत और भारतीय फिल्मों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ऐसे में आप यहां की बेहतर इमेज के लिए कुछ खास प्रयास करती हैं?
पश्चिमी देशों में हम भारतीय और भारतीय फिल्मों को लेकर एक स्टीरियोटाइप सोच होती है। वह ऐसा सोचते हैं कि हमारी सड़कों पर हाथी चलते हैं या नहीं?, हम अच्छी इंग्लिश बोलते हैं या नहीं?, हमारी फिल्मों में अचानक नाच-गाना कहां से आ जाता है? तो एक एक्टर के तौर पर जब मैं सेट पर जाती हूं तो ये जरूर करती हूं कि अपना काम परफेक्ट करूं। मेरे हिसाब से अपने देश का सबसे सही प्रतिनिधित्व यही है कि हम अपना काम अच्छे से करते हैं। दूसरा, मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं कि हिंदी फिल्मों में गाना-बजाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हमारी कहानियां म्यूजिक के जरिए सुनायी जाती हैं। वैसे मेरा शो देखने वाले लोगों ने मेरी कई फिल्में देखी हैं तो इस तरह से एक कल्चरल एक्सचेंज हो रहा है।
जब आप अमेरिका गई थीं तो शुरू में वहां की मीडिया आपसे उतने अच्छे से पेश नहीं आई थी, शायद वो आपको पहचानती नहीं थी या फिर इंडियन होने के नाते। हालांकि बाद में उनका रवैया दोस्ताना हो गया। आपकी क्या राय है?
हम ऐसे नहीं कह सकते कि हम इंडिया में स्टार हैं तो हर देश में हमें वही स्टारडम मिलनी चाहिए। यह जायज नहीं है। हर देश में उसके अपने अलग सिलेब्रिटी होते हैं। मुझे खुद अपना परिचय देने में कोई झिझक नहीं है। वहां किसी ने मेरा काम नहीं देखा था। च्ॉन्टिको शुरू ही हुआ था, इसलिए मुझे नहीं लगता कि उनके इरादे गलत थे। एकाध लोगों को छोड़कर अमेरिकन मीडिया ने मुझे बहुत प्यार और मान दिया। मैंने कभी वहां खुद को छोटा महसूस नहीं किया।
अक्सर यह सवाल उठता है कि बॉलिवुड की एक्ट्रेसेज ही हॉलिवुड में काम कर रही हैं, ऐक्टर्स वहां नहीं जाते। आपकी इस पर क्या राय है?
यार, यह सवाल तो उन लड़कों से पूछो कि वह इंग्लिश पिक्चर क्यों नहीं करते! मैं अपनी बात करूं तो मैं वहां काम मांगने नहीं गई थी, वो मेरे पास आए थे। मेरा ऐसा कोई प्लान नहीं था कि मुझे हॉलिवुड जाकर कोई झंडा गाडऩा है। मैं सिर्फ अच्छा काम करना चाहती हूं, वो चाहे यहां हो या वहां। एबीसी मेरे पास आई थी कि मैं क्वॉन्टिको करूं। मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई। शुरू में वह 13 एपिसोड का ही होना था तो मैंने हां कर दी, लेकिन एपिसोड बढ़ते गए। फिर और ऑफर आए। बेवॉच का ऑफर आया तो वहां जो भी हुआ, बस होता गया और मैं मेहनत से काम करती गई। मुझे वहां भी अपनी शर्तों पर काम करने का मौका मिला और मुझे जहां भी अच्छा काम मिलेगा मैं वहां जाऊंगी।
आपने पहले अमेरिका में इंडियंस के प्रति भेदभाव की बात कही थी। अब आपने कुछ बदलाव महसूस किया या कुछ बदलाव लाना चाहती हैं?
मैं बदलने की कोशिश कर रही हूं। मेरी सोची-समझी कोशिश है कि इंडियन टैलंट या साउथ एशियन टैलंट को ग्लोबल सिनेमा में प्रतिनिधित्व मिले। हम दुनिया की जनसंख्या का एक बटे पांचवां हिस्सा है, फिर भी अमेरिकन फिल्म में एक या आधा एक्टर छोटे-छोटे रोल में दिखते हैं। वह सही बात नहीं है। इसलिए मैं ऐसे रोल करना चाहती हूं, जो इंडियन एक्टर के लिए न लिखे गए हों। जैसे बेवॉच का रोल एक हीरो के लिए लिखा गया था और वह बहुत बड़ा हॉलिवुड स्टार है जिसके लिए यह रोल लिखा गया था, इसलिए यह रोल मिलना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं चाहती हूं कि ग्लोबल सिनेमा में इंडियन टैलंट ज्यादा से ज्यादा दिखाई दे। आपको याद होगा कि दस साल पहले लैटिन ऐक्टर्स एकदम से हॉलिवुड पर छा गए थे। रिकी मार्टिन, जेनिफर लोपेज, पेनिलोपे क्रूज, सलमा हायक सब एक साथ नब्बे के दशक में वहां आए। हम क्यों नहीं वह झुंड बना सकते हैं? मैं चाहती हूं कि एक दिन ऐसा हो।
खबर है आपके टीवी शो च्ॉन्टिको का तीसरा सीजन नहीं आएगा?
ऐसा नहीं है, हर सीजन के बाद चैनल फैसला करता है कि कौन से शोज का नया सीजन आने वाला है या कैंसल होने वाला है। इसलिए मई तक इंतजार करना पड़ेगा, कि नया सीजन आ रहा है या नहीं।
च्ॉटिंको में आप काफी काफी बोल्ड अवतार में भी दिखीं?
हिंदी फिल्मों से ज्यादा क्या किया है मैंने? आपने जो देखा वह हिंदी फिल्मों में नहीं देखा क्या? बस अंतर यह है कि वहां मेरा बॉयफ्रेंड वाइट है। मैंने सनसनी फैलाने के लिए सेक्सुऐलिटी का सहारा कभी नहीं लिया। मैं एक ऐक्टर हूं लेकिन मेरी कुछ लिमिटेशन है, वह उन्हें पता है। इसलिए जितना मैंने हिंदी में किया है, उतना ही वहां किया।
हॉलिवुड डेब्यू के लिए बेवॉच जैसी कमर्शल फिल्म क्यों चुनी?
कई वजहें रहीं। वैसे तो च्ॉन्टिको की वजह से मुझे काफी इंट्रेस्टिंग ऑफर मिले, लेकिन मुझे बेवॉच सबसे बेहतर विकल्प लगा, क्योंकि एक तो यह बड़ी ग्लोबल मूवी है। दूसरे मैं बेवॉच की फैन रही हूं। इसके अलावा इसमें मुझे विलेन का रोल करने का मौका मिल रहा था। मैं चाहती थी कि अपनी पहली फिल्म में कुछ अलग करूं। मैंने हमेशा अपने करियर में कुछ अलग करने की कोशिश की है। अमेरिका ने मुझे एलेक्स पैरिक्स के रूप में देखा है, जो बहुत पॉजिटिव किरदार है। इसलिए इस फिल्म में मैं उन्हें एक बुरी औरत का दूसरा साइड दिखा रही हूं।
सुना है आप कल्पना चावला की बायोपिक करने वाली हैं। पद्मावती में भी आपके कैमियो करने की खबरें हैं। अपकमिंग प्रॉजेक्ट्स के बारे में कुछ बताइए?
कई फिल्मों में मेरा नाम आ रहा है और आता रहता है। संजय सर से दूसरी फिल्म के लिए बात हुई है, लेकिन पद्मावती के लिए कोई बात नहीं हुई है। मैं बहुत से फिल्ममेकर्स से मिल रही हूं। तीन फिल्में लॉक की हैं, लेकिन उसके बारे में अभी नहीं बता सकती। वो कब बनेगी वह भी पता नहीं।
गालियां देने में कान गर्म हो गए
बेवॉच में आपने गालियां भी बोली हैं। वह अनुभव कैसा था?
पहली बार जब मैंने बोला तो मैं बहुत शर्म आ रही थी। मेरे कान गरम हो गए थे क्योंकि मैं ऐसी इंसान नहीं हूं, जो कभी गाली देती हो, चाहे इंग्लिश में हो या हिंदी में हो। मैं अपने घर पर दोस्तों के बीच में ऐसे शब्द नहीं बोलती। फिल्मों में तो मैंने कभी गाली नहीं दी है। विशाल भारद्वाज सर ने बड़ी कोशिश की थी कि एक गाली दे दो पर मुझे शर्म आती थी। मुझसे नहीं होता पर यह फिल्म ऐसी है। विक्टोरिया लीड्स का किरदार ऐसा है और ऐक्टर होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपने किरदार को सही तरह से दिखाऊं।

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