जानिए मंगल दोष क्या और कैसे बनता हैं तथा मंगल दोष निवारण के कुछ सामान्य प्रभावी उपाय/टोटके----

जानिए मंगल दोष क्या और कैसे बनता हैं तथा मंगल दोष निवारण के कुछ सामान्य प्रभावी उपाय/टोटके----
प्रिय पाठकों/मित्रों, यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो आपको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे विवाह संबंधी परेशानिया, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियां आदि | पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार मंगल दोष एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है, जो जिस किसी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, खासकर कन्याओ को तो कही जादा....उनके जीवन में या उनके आस पास किसी भी प्रकार की अशुभ घटना को उनसे जोड़ कर देखा जाता है...तरह तरह के ताने दिए जाते है....
आइये समझे के मंगल दोष है क्या और बनता कैसे है...?
लग्ने व्यये च पाताले यामित्रे चाष्टमे कुजे . कन्या भर्तु विनाशाय भर्तु कन्या विनाशकृत ॥
जन्म लग्न मे (1,4,7,8,12)स्थानो मंगल होने से वर – कन्या मंगली होते है॥
यह सम्पूर्णत: ग्रहों की स्थति पर आधारित है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक के जन्म चक्र के 1, 4, 7, 8 और 12 वे घर में मंगल हो तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहा जाता है | यह स्थति विवाह के लिए अत्यंत विनाशकारी और अशुभ मानी जाती है | संबंधो में तनाव व बिखराव, कुटुंब में कोई अनहोनी व अप्रिय घटना, कार्य में बाधा और असुविधा तथा किसी भी प्रकार की क्षति और दंपत्ति की असामायिक मृत्यु का कारण मांगलिक दोष को माना जाता है | पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में एक मांगलिक को दुसरे मांगलिक से ही विवाह करना चाहिए | यदि वर और वधु मांगलिक होते है तो दोनों के मंगल दोष एक दुसरे से के योग से समाप्त हो जाते है | मूल रूप से मंगल की प्रकृति के अनुसार ऐसा ग्रह योग हानिकारक प्रभाव दिखाता है, लेकिन वैदिक पूजा-प्रक्रिया के द्वारा इसकी भीषणता को नियंत्रित कर सकते है | मंगल ग्रह की पूजा के द्वारा मंगल देव को प्रसन्न किया जाता है, तथा मंगल द्वारा जनित विनाशकारी प्रभावों, सर्वारिष्ट को शांत व नियंत्रित कर सकारात्मक प्रभावों में वृद्धि की जा सकती है | मांगलिक व्यक्ति देखने में कठोर निर्णय लेने वाला, कठोर वचन बोलने वाला, लगातार काम करने वाला, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने वाला होता है।
कहा गया हैं की--
द्वितीय भौमदोषस्तु कन्यामिथुन योर्विना, चतुर्थ कुजदोषःस्याद्‍ तुलाबृषभयोर्विना।
अष्टमो भौमदोषस्तु धनु मीनद्व योर्विना, व्यये तु कुजदोषःस्याद् कन्यामिथुन योर्विना॥
आइये पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री से जानते है मंगल दोष का निवारण करने के लिए कौन-कौन से उपाय करने चाहिए-
01- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार मंगल दोष दूर करने के लिए हर मंगलवार के दिन मंगलदेव की पूजा करने से दोष दूर होता है. इसके अलावा मंगलवार को लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करने से भी मंगल दोष दूर होता है |
02- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार कुंडली में से मंगलदोष को दूर करने के लिए रोज या हर मंगलवार को कुमकुम से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करने से भी दोष खत्म हो जाता है |
03- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसारअगर आपकी कुंडली में मंगल भारी है तो हर मंगलवार के दिन लाल गुड़हल के फूलो से हनुमान जी की पूजा करे. इसके साथ ही हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाने से भी मंगल दोष दूर हो जाता है |
04--- यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करे, तत्पश्चात विवाह करे |
05 --- यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं।
06--- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है |
07----बृहस्पति या चन्द्रमा का मंगल से युति करना भी मांगलिक दोष का परिहार करता है।
08----अस्त मंगल किसी भी प्रकार का दोष उत्पन्न नहीं करते। शास्त्रों के अनुसार कुज दोष का परिहार पूरी तरह नहीं हो सकता केवल कम हो सकती है। यह शोध का विषय है।
09--- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसारयदि कन्या की कुंडली मै मांगलिक दोष का परिहार नही हो रहा हो तो उपाय के रूप मे कन्या का प्रथम विवाह -सात फेरे किसी घट (घडे) या पीपल के वृक्ष साथ कराए जाने का विधान है ।इस प्रकार के उपाय के पीछे तर्क यह है कि मंगली दोष का मारक प्रभाव उस घट या वृक्ष पर होता हे ,जिससे कन्या का प्रथम विवाह किया जाता है । वर दूसरा पति होने के कारण उस प्रभाव से सुरक्षित रह जाता है ॥घट विवाह शुभ विवाह मुहूर्त और शुभ लग्न मे पुरोहित द्वारा सम्पन्न कराया जाना चाहिये । कन्या का पिता पूर्वाभिमुख बैठकर अपने दाहिने तरफ कन्या को बिठाऐ॥ कन्या का पिता घट विवाह का सकल्प ले ।नवग्रह,गौरी गणेशादि का पूजन ,शांति पाठ इत्यादि करे ।घट कि षोडषोचार से पूजा करे ।शाखोचार,हवन,सात फेरे और विवाह कि अन्य रश्म निभाये ।बाद मे कन्या घट को उठाकर ह्र्दय से सटाकर भुमि पर छोड दे जिससे घट फूट जाये ।इसके बाद देवताओ का विसर्जन करे और ब्राह्मणो को दक्षिणा दे बाद मे चिरंजीवी वर से कन्या का विवाह करे॥
10----अगर मंगल ग्रह आपके जीवन में वैवाहिक समस्या खड़ी करता है और आप इस समस्या से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो मंगलवार को हनुमान जी को चोला के साथ चमेली का तेल, सिंदूर और चने के साथ सूरजमूखी के फूल चढ़ाएं।
11----शास्त्रानुसार मंगलवार के दिन हनुमानजी व मंगलदेव की उपासना में कुछ विशेष मंत्र और उपाय सफलता की ऐसी ही कामना को पूरा करने वाले माने गए हैं। मंगलवार को पूर्ण पवित्रता के साथ हनुमान मंदिर में श्री हनुमान को मंगल ग्रह का वैदिक मंत्र बोलते हुए सिंदूर व घी के लेप से चोला चढएं, लाल फूल, यज्ञोपवीत के साथ गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद श्री हनुमान को गुग्गल धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर आरती करें। तत्पश्चात गुड़, तांबे का बर्तन, मसूर दाल, लाल चंदन या वस्त्र का दान गरीबों को करें।
------मंगल के मंत्र---
मंगल के लिए वैदिक मंत्र --
ॐ अग्निमूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथि व्यांऽअयम्‌। अपागंद्भ रेतागंद्भसि जिन्वति॥
मंगल के लिए तांत्रोक्त मंत्र --
ॐ हां हंस: खं ख:
ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
मंगल का नाम मंत्र ---
ॐ अं अंगारकाय नम:
ॐ भौं भौमाय नम:"
मंगल का पौराणिक मंत्र ---
ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
मंगल गायत्री मंत्र | ॐ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात
===---इन उपाय/टोटके/टिप्स को अपनाने से आपको अपेक्षित परिणाम मिलेगा, यह देश,काल /परिस्थिति अथवा आपके द्वारा इन्हें प्रयोग में लेने के तरीके पर निर्भर होगा ।
कृपया आप इन्हें अपनाने से पहले किसी अनुभवी एवं विद्वान् विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,

Share this story