आखिर क्यों साइकिल से कन्धों पर झोला टांगें हाथ में स्टील का गिलास लिए ये सरकारी कर्मचारी निकलता है लखनऊ की सड़कों पर

आखिर क्यों साइकिल से कन्धों पर झोला टांगें हाथ में स्टील का गिलास लिए ये सरकारी कर्मचारी निकलता है लखनऊ की सड़कों पर

लखनऊ डेस्क - सौरभ शुक्ल - कहते है की अगर इंसान के अन्दर कुछ कर गुजरने की ललक हो तो वो बहुत कुछ कर सकता है चाहे वो अकेला ही क्यों न हो कुछ ऐसी ही कहानी है प्रदुषण विभाग में अकाउंटेंट पड़ पर तैनात "कृष्णा नन्द राय" की है मूल रूप से गाजीपुर जिले के रहने वाले राय सामन्य परिवार से आते है लेकिन संस्कार के मामले में इनका परिवार बहुत आगे रहा, घर में ऐसा माहोल मिला और कुछ कर गुजरने की चाहत ने हाथो में साइकिल और कंधे पर एक झोला टंगवा दिया, कपडे के झोले और उस झोले में स्टील का ग्लास इनकी पहचान बन गयी है.

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काम कुछ ऐसा की लोगों को शर्म आ जाए लेकिन वो है की अपने इस काम को अपने जीवन का लक्ष्य बना चुके है और कहते है की बस अब इस जीवन में इस काम को किसी मुकाम पर पहुचाना है पेशे से सरकारी नौकर और वो भी प्रदुषण विभाग में लेकिन विभाग का साली काम राय साहब ही कर रहे है. वो पर्यावरण को स्वच्छ करने को लेकर उन्होंने एक नया तरह का प्रयोग किया है पिछले कई सालों से काम कर आरहे है और लोगों को जागरूक कर रहे है.... आप पानी को तो साफ़ करके पी सकते है लेकिन हवा को आप साफ़ नहीं कर सकते है वो जैसी गरीब को मिलेगी वैसी अमीर को....

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कहते है की जिस तरह से हमारे समाज और देश में वाहनों की संख्या बढ़ रही है वो बहुत ही खतरनाक है अगर इसको सही समय पर नहीं रोका गया तो आने वाले समय में वायु प्रदुषण विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा इसके लिए वो साइकिल से चलते है और लोगों से अपील करते है की वो भी साइकिल से चले अपनी पीठ और सीने पर एक तख्ती लगा कर चलते है जिसमें लिख रहता है धरती मईया काप रही पर्यावरण को बचाना है प्रकृति की रक्षा बहुत ज़रूरी जन जन को बतलाना है. इसके अलावा वो अपनी साइकिल पर भी आगे पीछे तख्ती लगा कर चलते है जिसमें साइकिल को वो स्वस्थ सुधार से जोड़ते है और कहते है की साइकिल नहीं दवाई है स्वस्थ के लिए फलदाई है साइकिल चलाना है और पर्यावरण को बचाना है.

ये सब करने के पीछे उनका मकसद साफ़ है की सबकी सांस ठीक से चले और सबकी आखों में पानी रहे इसके लिए ज़रूरी है की लोग पेड़ों की रक्षा करें जिससे हम लोगों को ऑक्सीजन मिल सके साईकिल से या पैदल चलने से सड़क पर वाहनों का दबाव कम होगा और वाहनों के धुवे से प्रदुषण से होने वाले कैंसर के खतरे से भी निजात मिलेगी ऐसे लोग एक तरह से समाज की सेवा कर रहे है आशा है की और लोग भी वायु को शुद्ध रखने और पर्यावरण की रक्षा हेतु अन्य लोग भी पैदल वो साइकिल से ही चलने का प्रयास करेगें.

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