वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा

वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा
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वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की किसी भी भवन का जब निर्माण किया जाए तब उसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का भलीभांति पालन करना चाहिए चाहे वह निवास स्थान हो या व्यवसायिक परिसर है। इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय से जुड़ गई हैं और छात्र-छात्राएं व्यवसाय की तैयारी के रूप में ही इसे ग्रहण करते है। अधिकांश अभिभावकों एवं विद्यार्थियों की चिंता यह रहती हें कि क्या पढा जाएं ताकि अच्छा केरियर निर्मित हो आज के युग को देखते हुए ज्योतिष के माध्यम से शिक्षा का चयन उपयोगी हो सकता हैं । आज का भवन तो आलीशान होता है, सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होता है फिर भी उसके अनुशासन व पढाई के स्तर में निरंतर गिरावट आती चली जाती है बच्चे भी अध्ययन के प्रति रूचि नहीं दिखाते हैं। भवन का निर्माण करते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की प्राचीन काल में शिक्षा का मुख्य उद्धेश्य ज्ञान प्राप्ति होता था । विद्यार्थी किसी योग्य विद्वान के निर्देशन में विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करते थे । इसके अतिरिक्त उसे शस्त्र संचालन एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता था । किन्तु वर्तमान समय मंे यह सभी प्रशिक्षण लगभग गौण हो गये । शिक्षा की महत्ता बढ़ने व प्रतिस्पर्धात्मक युग में सजग रहते हुए बालक के बोलने व समझने लगते ही माता-पिता शिक्षा के बारे में चिंतित हो जाते हैं ।
प्रतियोगिता के इस युग में लगभग सभी परिवार अपने बच्चों के कैरियर को लेकर काफी परेशान नजर आते हैं।बच्चों का न तो पढ़ने में मन लगता है और बड़ी मुश्किल से ही पास हो पाते हैं, स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। इस कारण पढ़ने में काफी पिछड़ता जा रहा है।हम देखते हैं कि कई बच्चे खेलते-कूदते व मस्ती करते रहते हंै ज्यादा अध्ययन भी करते हुए नहीं पाए जाते हैं पर जब उनका परीक्षा परिणाम आता है तो वह बच्चे अच्छे नम्बरों से पास होते हंै। इसके विपरीत कई बच्चे अपना अत्यधिक समय अध्ययन में लगाते हैं। उन्हें परिवार के लोग भी काफी सहयोग करते हैं पर परीक्षा में या तो अनुत्तीर्ण हो जाते हैं या कम नंबरांे से पास होते हैं।
जहां भी वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत अध्ययन कक्ष की बनावट हो तो उस कमरे मे पढ़ने वाले विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं और पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं। बच्चों का कैरियर उनकी अच्छी पढ़ाई लिखाई पर ही निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में यदि माता-पिता एवं विद्यार्थी थोड़ी सी सतर्कता बरतें एवं वास्तु के कुछ साधारण से नियमों का पालन करें तो कम मेहनत कर अच्छे नंबरों से पास होंगे। उनका भविष्य भी उज्जवल होगा।वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व , उत्तर एवं ईशान ;छण्म्ण्द्ध दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ कहलाती हैं अतः पढ़ते समय हमें उत्तर , पूर्व एवं ईशान दिशा की ओर मुँह करके पढ़ना चाहिए।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की परिस्थिती वश यदि हमारा अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में भी हो तो पढते समय हमारा मुँह उपरोक्त दिशाओं की ओर ही होना चाहिए। विज्ञान के अनुसार इंफ्रा रेड किरणें हमें उत्तरी पर्वी कोण अर्थात ईशान कोण से ही मिलती हैं, ये किरणें मानव शरीर तथा वातावरण के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं जो शरीर की कोशिकाओं को शक्ति प्रदान करती हैं , और शरीर में एकाग्रता प्रदान करती हैं।
आइये जाने की वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा कहाँ और केसा होना चाहिए ताकी उनका मन पढ़ाई में लगा रहे और वे सभी अच्छे नंबरों से उत्त्तीर्ण हो जाएँ…
— अध्ययन कक्ष हो सके तो भवन के पश्चिम या ईशान कोण मे ही बनाना चाहिये। पर भवन के नैत्रत्य व आग्नेय मे कभी भी अध्ययन कक्ष नही बनाना चाहिए।
— विद्यार्थियों को पढ़ते समय मूॅह पूर्व या उत्तर की ओर रख कर ही अध्ययन करना चाहिए।
— विद्यार्थियों को दरवाजे की तरफ पीठ करके कभी भी अध्ययन नही करना चाहिये।
— विद्यार्थियों को किसी बीम या परछत्ती के नीचे बैठकर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
— विद्यार्थी चाहे तो अपने अध्ययन कक्ष मे सो भी सकते है। अर्थात् कमरे को स्टडी कम बेडरुम बनाया जा सकता है।
—- स्टडी रुम का दरवाजा ईशान, पूर्व, दक्षिण आग्नेय, पश्चिम वायव्य व उत्तर मे होना चाहिये। अर्थात् पूर्व आग्नेय, दक्षिण पश्चिम नैऋत्य, एवं उत्तर वायव्य मे नही होना चाहिये। स्टडी रुम मे यदि खिड़की हो तो पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार मे ही होना चाहिए। दक्षिण मे नही।
—- वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की विद्यार्थियों को सदैव दक्षिण या पश्चिम की ओर सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण में सिर करके सोने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और पश्चिम में सिर करके सोने से पढ़ने की ललक बनी रहती है।
—- अध्ययन कक्ष के ईशान कोण मे अपने आराध्य देव की फोटो व पीने के पानी की व्यवस्था भी रख सकते है।
—- किताबों का रॅक्स दक्षिण, पश्चिम मे रखे जा सकते है। पर नैत्रत्य व वायव्य मे नही रखना चाहिये। क्योकि नैऋत्य के रॅक्स कि किताबे बच्चे निकाल कर कम पढ़ते है व वायव्य मे किताबे चोरी होने का भय रहता है।
—- किताबे स्टडी रुम मे खुले रॅक्स मे ना रखें। खुली किताबे नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करती है इससे स्वास्थ्य भी खराब होता है अतः रॅक्स के उपर दरवाजा अवश्य लगाये।
—–वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि आप अच्छा केरियर बनाना चाहते हेै तो स्टडी रुम मे अनावश्यक पुरानी किताबे व कपड़े न रखें। अर्थात् किसी भी किस्म का कबाड़ा कमरे मे नही होना चाहिए।
—अध्ययन कक्ष की दीवार व परदे का कलर हल्का आसमानी, हल्का हरा, हल्का बदामी हो तो बेहतर है। सफेद कलर करने पर विद्यार्थियों पर सुस्ती छाई रहती है।
—-वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की अध्ययन कक्ष के साथ यदि टायलेट हो तो उसका दरवाजा हमेशा बन्द रखे। टायलेट को ज्यादा ना सजाये। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
—- यदि कमरे मे एक से अधिक बच्चे पढ़ते है तो उनके हँसते मुस्काते हुए सामूहिक फोटो स्टडी रुम मे अवश्य लगाये इससे उनमे मिल जुलकर रहने कि भावना विकसित होगी।
—- यदि विद्यार्थी अपने अध्ययन में यथोचित सफलता नहीं पा रहे हैं तो अध्ययन कक्ष के द्वार के बाहर अधिक प्रकाश देने वाला बल्ब लगाएं जो 24 घंटे जलता रहे।अध्ययन कक्ष में समुचित प्रकाश होना चाहिए। मंद रौशनी बच्चे की शिक्षा और विकास के लिए अच्छी नहीं है। कमरे में सूर्य की रौशनी पढ़ने में ऊर्जा प्रदान करती है। टेबल लैम्प भी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने के लिए मदद प्रदान करता है इसे टेबल के दक्षिण-पूर्व कोने में रखना चाहिए। पढ़ने के लिए नीले और लाल बल्ब का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दूधिया रौशनी में पढ़ना लाभदायक रहता है।
—-वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि विद्यार्थी वास्तु के उपरोक्त सामान्य नियमों का पालन करते है तो उन्हे बहुत ज्यादा समय स्टडी रुम मे बिताने की जरुरत नही रहेगी। उन्हे अन्य गतिविधियों जैसे खेलना कूदना इत्यादि के लिये समय भी मिलेगा साथ ही विद्यार्थी अच्छे नम्बरो से पास होकर अपने केरियर और अपना भविष्य उज्वल कर सकेंगे।
—- यदि विद्यार्थी कम्प्यूटर का प्रयोग करते है तो कम्प्यूटर आग्नेय से लेकर दक्षिण व पश्चिम के मध्य कही भी रख सकते है। ध्यान रहै ईषान कोण में कम्प्युटर कभी न रखें। ईषान कोण में रखा कम्प्युटर बहुत ही कम उपयोग में आता है।
—-यदि सूर्य की सुबह की किरणे कमरे मे आती हो तो खिड़की दरवाजे सुबह के वक्त खोलकर रखना चाहिये। ताकि सुबह की लाभदायक सूर्य की उर्जा का लाभ ले सके। पर यदि सूर्य की शाम की किरणें आती है तो बिलकुल न खोले। ताकि दोपहर के वक्त के बाद की नकारात्मक उर्जा से बचा जा सके।
—- बच्चों का फेस पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
—–कमरे का ईशान कोण का क्षेत्र सदैव स्वच्छ रहना चाहिए और वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान, कूड़ा, कबाड़ा नहीं होना चाहिए। अलमारी, कपबोर्ड, पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
==वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है। कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। बच्चों के कक्ष के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें कि वहां पर बेवजह का सामान एकत्रित न हो। यह क्षेत्र सदैव स्वच्छ और बेकार के सामान से मुक्त होना चाहिए।
क्या आपके बच्चे का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता?
=== हो सकता है आपके बच्चों के स्डडी रूम में कहीं न कहीं से नकारात्मक ऊर्जा आ रही हो। पढ़ाई में कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करें।शायद आपकी चिंता दूर हो जाए…
====अध्ययन कक्ष स्वच्छ, अव्ययवस्था मुक्त, और शोर मुक्त होना चाहिए।
====अध्ययन कक्ष में टेलीविज़न नहीं रखना चाहिए इससे बच्चे की एकाग्रता भंग होती है।
====अगर अध्ययन कक्ष में सोने की व्यवस्था करनी हो तो सोते समय बच्चे को दक्षिण या पूर्व की तरफ सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण की ओर सिर शरीर या पृथ्वी के चुंबकीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है पूर्व की ओर सिर करके सोने से ज्ञान में वृद्धि होती है। अध्ययन कक्ष में बैड होने से बच्चा आलसी हो जाता है।
अधययन कक्ष में देवी सरस्वती की फोटो लगानी चाहये। अपने इष्ट की फोटो उत्तर-पूर्व में लगाएं। फ़िल्मी स्टार्स और जानवरों की तस्वीर अध्ययन कक्ष में नहीं लगानी चाहिए। आदर्श पुरुषों के चित्र लगाने से बच्चों का मनोबल बढ़ता है।
==वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की स्टडी रूम यानी जीवन का अहम् हिस्सा जहाँ यूथ अपना अधिक से अधिक समय बिताते हैं। यदि यह आपको सूट न करे तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है और आपका ध्यान पढाई से हट भी सकता है।
==स्डडी रूम व्यवस्थित रखें :– आपके बच्चों से कहें पुरानी किताबें, नोट्स, मेल्स, स्टेशनरी सभी स्टडी रूम से बाहर करें। रोज़ाना आपके बच्चों को स्टडी रूम को साफ करने की आदत डाल लें।
== टेबल के सामने अपने इष्ट देवता, माता-पिता या किसी महान व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते हैं, मगर फिल्म स्टार या बेहूदी फोटो न लगाएँ।
==केसा हो स्टडीरूम/अध्ययन कक्ष का कलर :-- वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की आपके बच्चों के स्डडी रूम में लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने में मददगार होते हैं। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारों और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा।
==कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करें। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करें। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करें।
वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि आप इन साधारण किंतु चमत्कारिक वास्तुशास्त्र सिद्धांतों के आधार पर यदि अध्ययन कक्ष का निर्माण किया जाऐ तो उत्तरोतर प्रगति संभव है।

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