जानिए आषाढ़ गुप्त नवरात्री कब, क्यों और कैसे मनाएं .. (शनिवार- 24 जून 2017 से 03 जुलाई 2017) के लिए विशेष--

जानिए आषाढ़ गुप्त नवरात्री कब, क्यों और कैसे मनाएं .. (शनिवार- 24 जून 2017 से 03 जुलाई 2017) के लिए विशेष--


(शनिवार- 24 जून 2017 से 03 जुलाई 2017) के लिए विशेष--प्रिय पाठकों/मित्रों, हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। कहा जाता है कि मां के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। नौ शक्तियों के मिलन को ही नवरात्रि कहते हैं। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में 4 माह नवरात्रि के लिए निश्चित हैं। साल के पहले महीने यानी चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे महीने आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है जबकि वर्ष के ग्यारहवें महीने यानी माघ में चौथी नवरात्रि मनाने का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

इनमें आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को शारदीय और वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती,इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की महाकाल संहिता के अनुसार सतयुग में चैत्र नवरात्र, त्रेता युग में आषाढ़ नवरात्र,द्वापर योग में माघ नवरात्र एवं कलयुग में अश्विन नवरात्र की प्रमुखता/प्रधानता रहेगी |

इस साल आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र 24 जून 2017 से 3 जुलाई 2017 तक चलेगी। इस दफा इस दिन शनिचरी अमावस्या होने के साथ साथ त्रिपुष्कर योग और आर्द्रा नक्षत्र भी रहेगा |ज्यादातर देवी भक्त पूरे नवरात्र ही उपवास रहकर देवी की उपासना करते हैं, लेकिन जो भक्त पूरे नवरात्र देवी की उपासना नहीं कर सकते हैं। वह अष्टमी को पूरे दिन उपवास कर देवी के भद्रकाली रूप की उपासना करें। इससे पूरे नवरात्र के बराबर उपासना का पुण्य मिलता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। इन नवरात्रों में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं मां काली की पूजा का विधान है। गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त सिद्धियों को अंंजाम देते हैं और चमत्कारी शक्तियों के स्वामी बन जाते हैं।

इस गुप्त नवरात्री में पंडित दयानन्द शास्त्री की सभी साधकों से अपील है कि तंत्र साधना किसी प्रशिक्षित व सधे हुए साधक के मार्गदर्शन अथवा अपने गुरु के निर्देशन में ही करें। यदि साधना सही विधि से न की जाये तो इसके प्रतिकूल प्रभाव भी साधक पर पड़ सकते हैं।

गुप्त नवरात्र मां की कृपा और गुप्त सिद्धियां दिलाने वाला होता है | नवरात्रि में किए गए उपाय असफल नहीं होते हैं उनके पूरे होने की संभावना होती है | देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि वही इस चराचर जगत में शक्ति का संचार करती हैं।

इन गुप्त नवरात्र में देवी साधक और भक्त 'ऊं ऐं हीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे नम:' मंत्र जाप करें। मां काली के उपासक 'ऊं ऐं महाकालाये नम:' मंत्र का जाप करें। व्यापारी लोग 'ऊं हीं महालक्ष्मये नम:' मंत्र का जाप करें। विद्यार्थी 'ऊं क्लीं महासरस्वतये नम:' मंत्र जपें।
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ये रहेगा गुप्त नवरात्री हेतु घट स्थापना का शुभ मुहूर्त--

जिन साधकों के घरों में नवरात्रि पर घट-स्थापना होती है उनके लिए शुभ मुहूर्त 24 जून 2017 (दिन शनिवार) को श्रेष्ठ समय उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सुबह 07 बजकर 27 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक (शुभ का चौघड़िया) का है।
इसके अलावा दोपहर/अपराह्न में अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 06 मिनट से 13 बजकर 04 मिनट तक रहेगा ||
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वैसे तो नवरात्रि का शुभ वक्त तो पूरे दिन रहेगा लेकिन अगर शुभ मुहूर्त पर घट-स्थापना होगी तो जातक को फल अच्छा मिलेगा।ध्यान रखें, नवरात्री में देवी का आव्हान,देवी पूजन एवं विसर्जन प्रातः काल में ही उत्तम रहता हैं लेकिन चित्र नक्षत्र एवं वैधृति योग हो तो उन्हें टालना उचित रहता हैं ||
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शनिवार-24 जून 2017 : --- घाट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा
रविवार--25 जून 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
सोमवार--26 जून 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा
मंगलवार--27 जून 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा
बुधवार-- 28 जून 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा
गुरूवार-- 29 जून 2017 : मां कात्यायनी की पूजा
शुक्रवार--30 जून 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
शनिवार--01 जुलाई 2017 : दुर्गा अष्टमी एवं मां महागौरी की पूजा
रविवार--02 जुलाई 2017 : नवरात्री का पारणा और मां सिद्धदात्री की पूजा
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जानिए विभिन्न लग्नों में मंत्र साधना प्रारंभ किए जाने का फल भी भिन्न-भिन्न प्रकार से प्राप्त होता है---
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हमारे शास्त्रों में पूजा-पाठ या विशेष साधना हेतु स्थिर लग्न को विशेष महत्त्व दिया गया हैं, जैसे-- मेष लग्न,कर्क लग्न, कन्या लग्न, मकर एवं कुम्भ आदि |

--- मेष लग्न- धन लाभ
---- वृष लग्न- मृत्यु
--- मिथुन लग्न- संतान नाश
---- कर्क लग्न- समस्त सिद्धियां
---- सिंह लग्न- बुद्धि नाश
---- कन्या लग्न- लक्ष्मी प्राप्ति
---- तुला लग्न- ऐश्वर्य
---- वृश्चिक लग्न- स्वर्ण लाभ
--- धनु लग्न- अपमान
--- मकर लग्न- पुण्य प्राप्ति
--- कुंभ लग्न--धन-समृद्धि की प्राप्ति
---- मीन लग्न- दुःख की प्राप्ति होती है।
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जानिए गुप्त नवरात्रि का महत्त्व:--
जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

ऐसे करें पूजा विधि: ---
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए। सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कार्य आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। पृथ्वी को कलश का रूप माना जाता है तत्पश्चात कलश में उल्लिखित देवी- देवताओं का आवाहन कर उन्हें विराजित किया जाता है। इससे कलश में सभी ग्रहों, नक्षत्रों एवं तीर्थों का निवास हो जाता है।ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कलश स्थापना के उपरांत कोई भी शुभ काम करें वह देवी-देवताओं के आशीर्वाद से निश्चिंत रूप से सफल होता है। प्रथम गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें। पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें। कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें।

आम, पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकर के पत्ते कलश के ऊपर सजाएं। जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें। अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र समर्थ है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।

जानिए कैसे करें कलश स्थापना---
सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजा स्थल पर पूर्वाभिमुख (पूर्व दिशा की ओर मुंह करके) आसन लगाकर बैठें. उसके बाद नीचे दी गई विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें-

1. नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण कर पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें--
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा.
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:
2. हाथ में अक्षत, फूल, और जल लेकर पूजा का संकल्प करें.
3. माँ शैलपुत्री की मूर्ती के सामने मिट्टी के ऊपर कलश रखकर हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर वरूण देव का आवाहन करें.
4. पूजन सामग्री के साथ विधिवत पूजा करें.
5. उसके बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें.
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जानिए गुप्त नवरात्र की पौराणिक कथा---
गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है कथा के अनुसार एक समय की बात है कि ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे कि भीड़ में से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि से बोली कि गुरुवर मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं जिसके कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य व्रत उपवास अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। मैं मां दुर्गा की शरण लेना चाहती हैं लेकिन मेरे पति के पापाचारों से मां की कृपा नहीं हो पा रही मेरा मार्गदर्शन करें। तब ऋषि बोले वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है सभी इससे परिचित हैं। लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं इनमें 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। यदि तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा। ऋषि के प्रवचनों को सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के बताये अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की स्त्री की श्रद्धा व भक्ति से मां प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ उसका घर खुशियों से संपन्न हुआ।
कुल मिलाकर गुप्त नवरात्र में भी माता की आराधना करनी चाहिये।
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इस गुप्त नवरात्री में करें ये सामान्य प्रयोग---

कैसे मिलेगा मनचाहा दूल्हा ?
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कुंवारी/अविवाहित लड़कियां गुप्त नवरात्रि में शिव मंदिर जरुर जाएं. वहां भगवान शिव और मां पार्वती पर जल और दूध चढ़ाएं साथ ही चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें. अब मौली से उन दोनों के बीच में गठबंधन करें. अब वहां बैठकर लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप 108 बार करें

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

इसके बाद तीन महीने तक रोज इसी मंत्र का जाप शिव मंदिर में या अपने घर के पूजाकक्ष में मां पार्वती के सामने 108 बार करें.
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शीघ्र विवाह के लिए-------
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुप्त नवरात्रि में शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजास्थल में रखें और उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात मंत्र का 3, 5 या 10 माला जाप करें. जाप के बाद भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें-

मंत्र- ऊं शं शंकराय सकल-जन्मार्जित- पाप-विध्वंसनाय,
पुरुषार्थ-चतुष्टय- लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।
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दांपत्य सुख के लिए उपाय---

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि जीवनसाथी से अनबन होती रहती है तो गुप्त नवरात्रि में प्रतिदिन नीचे लिखी चौपाई को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें. अब नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस चौपाई को 21 बार पढ़ें. यदि संभव हो तो अपने जीवनसाथी से भी इस चौपाई का जाप करने के लिए कहें-

चौपाई- सब नर करहिं परस्पर प्रीति।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
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मनचाही दुल्हन के लिए उपाय---

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की गुप्त नवरात्रि के दौरान जो भी सोमवार आए. उस दिन सुबह किसी शिव मंदिर में जाएं. वहां शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए उसे अच्छी तरह से साफ करें. फिर शुद्ध जल चढ़ाएं और पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर उसे साफ करें.

अब भगवान शिव की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करें. रात 10 बजे बाद अग्नि प्रज्वलित करके ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए घी से 108 आहुति दें. अब 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला जाप भगवान शिव के सम्मुख करें.


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