यूपी में ये मुस्लिम योगी है पातंजलि का मुख्य ट्रेनर

यूपी में ये मुस्लिम योगी है पातंजलि का मुख्य ट्रेनर
रिपोर्ट - शारिक परवेज- पीलीभीत के मुस्लिम योगी की खबर आपको दिखाने जा रहे है। वह पांचों वक्त का नमाजी हैं। रमजान के महीने में पूरे रोजे भी रखता हैं। सहरी के तुरंत बाद प्रज्ञा पीठ परिसर में उनकी जुबां से ‘‘योगाश्चित प्रत्ति निरोधरू’’ यानी चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। जैसे सूत्र सुनकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। कैसे एक मुस्लिम युवक यह सब कुछ कह रहा और करके दिखा रहा है। इसके बाद शुरू हो जाता है। वक्रासन, मंडूक, अर्द्धसत्स्येन्द्र, हल, सर्वांग जैसे आसनों का दौर। कपालभाति, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम की एक-एक क्रिया को सिद्धहस्त योगी की तरह समझाते हैं, वो 50 से अधिक योग क्रियाओं मे माहिर हैं। तभी तो
पतंजलि योग समिति पीलीभीत ने इस बार विश्व योग दिवस पर कार्यक्रम के लिए उन्हें ही मुख्य ट्रेनर चयनित किया है।
  • आईये हम आपको बताते है इस पीलीभीत के योगी मोहम्मद यूसुफ की कहानी कैसे यह योगी बना। दरअसल 2004 में सेंट एलाइसिस कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले यूसुफ ने आगे रुहेलखंड विश्वविद्यालय से एमकाम की डिग्री हासिल की। 2008 में वह अग्नाशय संबंधी बीमारी से ग्रसित हो गए। शरीर में सीरम अमलोज, सीरम प्यूरियम व एसजीपीटी लगातार बढ़ता गया। जिला अस्पताल में इलाज न हो पाने की स्थिति में एक ख्यातिलब्ध निजी चिकित्सालय में भर्ती हुए। 15-15 दिन ड्रिप पर ही रहना पड़ता था। अंततः 2010 में निजी चिकित्सक ने भी जवाब देते हुए लखनऊ के एक चिकित्सक से इलाज के लिए सुझाया। वहां भी जांच के बाद ओरल डाइट पर ही रहने की सलाह दी गई। इसी पीड़ा के चलते एक निजी विद्यालय में चल रहा उनका अध्यापन का कार्य भी छूट गया और पाई-पाई को मोहताज हो गए। वर्ष 2015 में योग से जुड़े डॉ. एम पी सिंह व नरेन्द्र पाल सिंह से मुलाकात हुई तो उन लोगों ने योग की शरण में आने का सुझाव दिया।

  • मजहबी कारणों से पहले तो यूसुफ को कुछ झिझक हुई, लेकिन श्मरता क्या न करताश् की तर्ज पर योग कक्षा में जाना शुरू कर दिया। पहले योग-प्राणायाम के बारे में खुद के जीवन में तजुर्बा लिया, फिर उसी पथ के सच्चे राही हो लिए। सबसे पहले उन्होंने प्रज्ञा पीठ जाकर वक्रासन, मंडूक व अर्द्धमत्स्येन्द्र आसन शुरू किया। प्राणायाम में कपालभाति, अनुलोम-विलोम आदि शुरू किया। करीब आठ माह में धीरे-धीरे उनकी समस्या दूर होती गई। इस चैंकाने वाले परिणाम से यूसुफ इस कदर प्रभावित हुए कि कुमायूं विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा शुरू कर दिया। इसका पहला समेस्टर पूरा भी हो गया। दूसरे समेस्टर की परीक्षा भी इसी माह शुरू होने वाली है। यूसुफ पतंजलि योग पीठ हरिद्वार, गांधी स्मृति स्थल दिल्ली व मोरारजी देसाई प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र दिल्ली जैसे संस्थानों में जाकर 10-10 दिन के शिविरों में भी शामिल हुए। मोहम्मद यूसुफ को अब संस्कृत में लिखे पतंजलि योग दर्शन के सभी 195 सूत्र कंठस्थ हैं। खेरण्ड संहिता, हठ प्रदीपिका जैसे योग से जुड़े ग्रंथों का पूरा अध्ययन किया है। यहां तक कि वेद के श्लोक वह पूरी तल्लीनता से वाचन करते हैं। युसुफ का मानना है कि इसी मजहबी संकीर्णता से कतई नहीं जोड़ा जाना चाहिए। योग तो निरोग रहने का एकमात्र साधन है। अब पूरी तरह स्वस्थ होकर प्रज्ञा पीठ पीलीभीत व लिटिल एंजिल्स विद्यालय में योग की कक्षाएं लेने वाले मोहम्मद युसुफ को ही इस बार पतंजलि योग समिति ने विश्व योग दिवस कार्यक्रम में मुख्य ट्रेनर बनाया है।

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