पहचानती हूँ आपको मैं इसी पहचान से
Jun 22, 2017, 06:15 IST
आइये आप से बातें करूँ
आप शायद थक गये हो काम से ,
नाम और गाँव शायद है अमुक
पहचानती हूँ आपको
मैं इसी पहचान से
मेरी आँखों का समन्दर देखिये
किस क़दर रोती हूँ मैं ज़ुबान से
कल की मालिक थी मैं
अपने बाग़ और असबाब की
बेदख़ल हूँ आज अपने
खेत और खलिहान से
छोड़ कर जाना नहीं
इस गाँव का दस्तूर है
पूर्वजों को पिण्ड देना है
इसी मकान से ll
सत्या सिंह