आलौकिक नन,मौत के 141 साल बाद भी नहीं ख़राब हुई लाश विज्ञान को भी दी मात

आलौकिक नन,मौत के 141 साल बाद भी नहीं ख़राब हुई लाश विज्ञान को भी दी मात

डेस्क (पीयूष त्रिवेदी) इतिहास गवाह है की जब जब विज्ञानं ने कुदरत से टकराने की या आगे निकलने की कोशिश की है तब तब कुदरत ने कुछ ऐसा कारनामा कर दिखया की विज्ञानं को भी सोचने पर मजबूर कर दिया इन्ही में से एक असाधारण घटना है नन कैथरीन लेबौरई. जब कैथरीन नौ साल की थी तब ही उनकी माँ देहान्त हो गया था.

  • कहा जाता है की उनकी माँ की मौत के समय कैथरीन मैरी की मूरत हाथ में लिए खडी थी और उन्होंने उस मूरत से कहा कि आज से आप ही मेर माँ है.
  • 11 साल की उम्र में ही वो धर्म प्रचारक बन गयी थीं.समय बीतता गया एक दिन कैथरीन जब ध्यान कर रही थी तब उनको मर्री के होने का आभास हुआ .
  • कैथरीन ने अपना पूरा ज्कीवा दुसरो की भलाई में ही लगा दिया और १८७६ में 70 साल की उम्र उन्होंने अपने इस देह को त्याग दिया.
  • जब १९३३ में देह को जब दुबारा वैज्ञानिको ने पाया तो वोई अपनी पुरानी अवस्था में ही पाई गई. इस समय उनका देह पेरिस के एक गिलास कोफिन में बंद है.
  • आज भी कई साइंटिस्ट इस आशार्य जनक घटना को समझ ने में लगे है पर वो अभी तक कीसी नतीजे में नहीं पहुँच पाए है


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