नागा साधुओ की रहस्मयी दुनिया

नागा साधुओ की रहस्मयी दुनिया

डेस्क -(पीयूष त्रिवेदी) हिन्दू धर्म दुनिया का एक मात्र ऐसा धर्म है जो की पर्यावरण और मनुष्य के बीच शांतिपूर्ण सामंजस्य बिठाने का ज्ञान देता है.हिन्दू धर्म के मुताबिक जन्म और मृत्यु से तभी छूटा जा सकता है जब मनुष्य इस दुनिया में सचेत रहते हुए केवल अपनी अनतर आत्मा की और देखे. लेकिन हमारे साधू जो आज अपनी चेतना शक्ति इतनी उचाई पर लेजा चुके है कि आम आदमी ऐसे सौ जनम लेने के बाद भी इस उचाई पर अपनी चेतना शक्ति को पहुचने की कल्पना नहीं कर सकता है .

12 साल में एक बार दीखते है नागा साधु

  • नागा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है पहाड़ या वे लोग जो पहाड़ो में रहते है, नागाओ का इतिहास काफी समय पुराना है,इसका अंदाज़ा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि मोहन्जोदारो और हरप्पा की खुदाई के दौरान अर्चीओलोजिस्ट ने कई सिक्के पाए जिसमे नागाओ को भगवान शिव के पशुपथिनाथ रूप के दर्शन करते हुए देखा गया है
  • .इतना ही नहीं सिकंदर और उसके साथी सैनिको ने भी भारत में आते वक्त नागो के दर्शन किए थे.बुद्ध और महावीर भी नागाओ के द्वारा किये गए ताप से भी काफी प्रभावित थे. नागाओ का जीवन काफी रहस्मयी है वो केवल कुम्भ के मेले में जो की 12 सालो में केवल होता है तभी दिखाई देते है.
  • .कुम्भ मेले के ख़त्म होते ही वे फिर दुबारा दिखाई नहीं देते कहा जाता है कि वे फिर हिमालय में भौतिक वादी दुनिया से दूर ईश्वरीय ज्ञान को पाने के लिए चले जाते है.
  • मुगलों के भारत में प्रवेश के दौरान हिन्दुओ के पवित्र चिन्हों और सनातम धर्म पर काफी अक्रमण होने लगे थे,उस बीच नागा साधुओ ने हिन्दू धर्म को मुस्लिम आक्रमण से बचाने के लिए अखाड़ो का निर्माण किया जिसमें वे हिन्दू धर्म और देश की रक्षा करने के लिए हिन्दुओ को प्रशिहित किया करते थे.


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