मासूमियत से परे, प्रोफेशनलिज्म से घिरते बच्चे

मासूमियत से परे, प्रोफेशनलिज्म से घिरते बच्चे

मासूमियत से परे, प्रोफेशनलिज्म से घिरते बच्चे"
कॉमर्स में अकाउंट के फॉर्मूला से खुद को अपडेट करने से ज़्यादा इन्हें अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपडेट रहना पसंद है। खुद से मुकाबला करने से ज़्यादा इनमें दूसरों को हराने की होड़ है। भले ही एग्जाम्स में कितने भी मार्क्स आए इन्हें कोई फर्क नही पड़ता, लेकिन अगर जजेस से कम मार्क्स मिले तो इसे वे दिल से लगा लेते है।

आजकल के बच्चों में ऐसे बदलाव से "इमोशनली दिस्ट्रब" पिकु मूवी के डायरेक्टर " सुजीत सरकार" ने एक ट्वीट के जरिए बच्चों के रिएलिटी शोज को बैन करने की मांग की है।

सुजीत ने अथॉरिटीज से उन रिएलिटी शोज को बैन करवाने की मांग की है, जिसमें बच्चे हिस्सा ले रहे है। उनका मानना है कि इस तरह के रिएलिटी शोज बच्चों को "इमोशनली हर्ट और वीक" बनाते है।आजकल के रिएलिटी शोज एक "अदालत" की तरह हो गए हैं, जहां सात से दस साल के बच्चों को "कटघरे" में खड़ा कर दिया जाता है। जिसके बाद जजेस एक एक करके अपना जजमेंट पास करते है। इससे दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती है। पहली ये की अगर निर्णय "सकारात्मक" है, तो या तो बच्चा और अच्छा करेता है या फिर अतिआत्मविश्वासी हो जाता है और अगर निर्णय "नकारात्मक" है तो इस स्तिथि में या तो बच्चा इससे सीख लेकर आगे बढ़ता है या फिर उसका आत्मविश्वास कम हो जाता है। इससे बच्चों पर इमोशनल और साइकोलॉजिकल असर पड़ता है।

आजकल कितने ही रियलतिय शोज आते है, जिसमें रिएलिटी कम और नेम-फेम और ग्लैमर का डोज़ ज़्यादा नजर आता है। अगर टैलेंट दिखाना है तो बच्चों को परफॉर्म करवाओ, जज नहीं।

बच्चों का सिंगिंग रिएलिटी शो " सा रे गा मा पा", आजकल काफी लोकप्रिय है, लेकिन इस शो की कुछ चीजें रिएलिटी से "प्योरली परे" है, क्यूंकि इसमें एक 6 साल के बच्चे को 23 या 24साल के इंसान से किसी लड़की को "इंप्रेस" कैसे करते है इसका मुकाबला करवाया जाता है। जिस बच्चे को ठीक तरह से इसका मतलब भी ना पता हो, उससे इस तरह की चीजे करवाना। सिर्फ शो की "टी.आर.पी" के लिए तो ये एक रिएलिटी के नाम पर पैसे कमाने का नया धांधा है।

इस तरह की चीजे बच्चों को उम्र से पहले ही बड़ा बना देती है।भले ही शो में उन्हें "सुरों का, राग का" ज्ञान दिया जाता है। लेकिन इस तरह की चीजे उन्हें "मानसिक रूप से परिपक्व" बना रही है। अगर बच्चे में टैलेंट है, तो उसे सही दिशा में बढ़ावा दे, उन्हें आगे बढ़ाए, ना कि घंटों "मेकअप करवा के बैठ दे" और "कई बार प्रैक्टिस" करवाए। सिर्फ शो के एक परफेक्ट शॉट के लिए।


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