हनुमान चालीसा पाठ में बदलाव बदल देगा आपकी दुनिया

हनुमान चालीसा पाठ में बदलाव बदल देगा आपकी दुनिया

पंडित दयानंद शास्त्री की जुबानी

एक दिन एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि पण्डित जी एक बात बताइये हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने लिखा है कि इसकेसौ बार पाठ करने से सिद्धि प्राप्त होती है और हर प्रकार के बंधन से छूट जाता है तथा महासुख मिलता है। मैंने एक सौ नहीं हजारों पाठ कर चुका हूँ पर ऐसा कुछ नहीं मिला जैसा लिखा है।क्यों??लिखा गया बात झूठ है या सच??
मैंने कहा भाई मुझे एक बार पाठ करके बताओ तब मैँ कुछ बता सकूँगा।उसने पाठ प्रारम्भ किया-
श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधार।
बरनउँ रघुवर विमल यश जो दायक फल चार।।
मैंने कहा भाई यह प्रथम दोहा संकल्प मन्त्र है जो अयोध्या कांड का प्रथम दोहा है। इसमें संकल्प किया गया है कि "बरनउँ रघुवर विमल यश" अयोध्या कांड में रघुवर राम का विमल यश वर्णित है इसलिए यह ठीक दोहा है।
हनुमान चालीसा में रघुवर राम का नहीं हनुमान के विमल यश का वर्णन है और पाठ करते हो कि बरनउँ रघुवर विमल यश यह पाठ अयोध्या कांड के लिए सही है पर हनुमान चालीसा के लिए गलत है इसलिए गलत पाठ करते हो।इस तरह संकल्प को गलत करने से हजारों नहीं लाखों बार पाठ करने से भी सिद्धि नहीं प्राप्त होगी न सुख मिलेगा। सही संकल्प ले कर केवल एक पाठ करने से सिद्धि मिल जायेगी।
हनुमान चालीसा में तुलसी दास जी ने सही संकल्प दोहा लिखा है -
श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ कपिवर विमल यश जो दायक फल चारि।।
आज बाजार में मिलने वाले पुस्तकों में और हजारों विद्वानों के मुख में गलत संकल्प मन्त्र का उच्चारण हो रहा है इसलिए किसी को सिद्धि नहीं मिलती।
हनुमान चालीसा के पुराने पांडु लिपियों में कपिवर लिखा है और आज के प्रिंटिंग में रघुवर लिखा होता है।
अयोध्या कांड के लिए रघुवर सही है और हनुमान चालीसा के लिए कपिवर शब्द सही है। सही पाठ करो तो सिद्धि मिलेगी।
उस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ और सही पाठ करने का संकल्प ले कर चला गया।
कुछ दिन बाद वही व्यक्ति फिर मेरे पास आया। उसके चेहरे पर प्रसन्नता और तेज झलक रहा था।वह बहुत खुश था। उसे वह सब कुछ मिल गया था जिसकी उसे इच्छा थी।

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