जानिए सही दिशा में कैसे सोना चाहिए (शयन करना चाहिए) वास्तु अनुसार

जानिए सही दिशा में कैसे सोना चाहिए (शयन करना चाहिए) वास्तु अनुसार
---जानिए सही दिशा में शयन/सोने के प्रभाव.परिणाम एवं दुष्प्रभाव---
(इस लेख में वास्तु नियम,वैज्ञानिक और चिकित्स्कीय/मेडिकल कारण भी शामिल हैं)--
प्रिय पाठकों/मित्रों, कोई माने या ना माने लेकिन वास्तु का हमारे जीवन और हम पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है | वास्तुशास्त्र असल में भवन निर्माण और मानव जीवन से सम्बंधित नियमों-कायदों का दिशाओं पर आधारित एक शास्त्र है. जिसका सही से पालन करने पर जीवन सुख-शांतिमय बनाया जा सकता है | वास्तुशास्त्र में हर चीज के लिए दिशानुसार नियम निर्धारित किये गए हैं| सही दिशा में सोना भी उन्हीं में से एक है | इस बारे में विस्तार से जानिये उज्जैन के वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के इस लेख में |
प्रिय पाठकों, उज्जैन के वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हमारे जीवन मे दिशाओ का बहुत महत्व है। हमारे जीवन मे अनेक कष्ट एवं कठिनाइयाँ केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण ही आती है। आप अपनी दिशाएं बदल के अपने जीवन मे सुख शांति ला सकते हैं।
वास्तु का भी हमारे जीवन में विशेष प्रभाव रहता है.मानसिक हालत कमजोर होने की स्थिति में हम डिप्रेशन या अवसाद का शिकार हो जाते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति के विचारों, व्यवहार, भावनाओं और दूसरी गतिविधियों पर असर पड़ता है। डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति अक्सर उदास रहने लगता है, उसे बात-बात पर गुस्सा आता है, भूख कम लगती है, नींद कम आती है और किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता। लंबे समय तक ये हालत बने रहने पर व्यक्ति मोटापे का शिकार बन जाता है, उसकी ऊर्जा में कमी आने लगती है, दर्द के एहसास के साथ उसे पाचन से जुड़ी शिकायतें होने लगती हैं। कहने का मतलब यह है कि डिप्रेशन केवल एक मन की बीमारी नहीं है, यह हमारे शरीर को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। डिप्रेशन के शिकार किसी व्यक्ति में इनमें से कुछ कम लक्षण पाए जाते हैं और किसी में ज्यादा।
वास्तु को अपना कर जीवन को और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है | वास्तु शास्त्र में हर चीज़ को लेकर कुछ न कुछ बताया गया है |
जैसे सोते समय अगर वास्तु का ध्यान रखा जाये तो टैंशन और कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है | वास्तुशास्त्र के अनुसार गलत दिशा में सोने से आप नींद न आने के साथ ही अन्य कई समस्याओं से भी ग्रस्त हो सकतें हैं इसलिए वास्तुशास्त्र में सोने से सम्बंधित कुछ नियम दिए गए हैं, जिनका पालन करने से अच्छी नींद के साथ ही आप कई लाभों को भी अर्जित के सकतें हैं |
तो किस दिशा में सिर करके सोना सबसे अच्छा होता है? पूर्व सबसे अच्छी दिशा है। पूर्वोत्तर ठीक है। पश्चिम चलेगा। नींद के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हम लेटे कैसे? हमारा सिर और पैर किस दिशा में होना चाहिए? यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति को गहरी और अच्छी नींद प्राप्त होती है। सोने की सही अवस्था व्यक्ति को काफी ऊर्जा प्रदान करती है। गलत अवस्था में सोने पर कई प्रकार की बीमारियां होने की संभावनाएं रहती हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार में इंसान की सोने की अवस्था भी ऊर्जा को प्रभावित करती है। सोते समय हमारा सिर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। इन दिशाओं के विपरित सोना अशुभ माना गया है।अगर कोई विकल्प नहीं है तो दक्षिण। उत्तर बिल्कुल नहीं। जब तक आप उत्तरी गोलार्ध में हैं, यही सही है – उत्तर के अलावा किसी भी दिशा में सिर करके सोया जा सकता है। दक्षिणी गोलार्ध में, दक्षिण की ओर सिर करके न रखें।पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से दीर्घ आयु एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। जबकि पश्चिम या उत्तर दिशा में सिर रखकर सोने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं और इसे अशुभ भी माना जाता है।
जैसे सोते समय किस दिशा में पैर रखे जाये और किस दिशा में सर, इन सब से अपने जीवन में खुशियां लायी जा सकती हैं. आज हम आपको ऐसी ही कुछ वास्तु टिप्स देने जा रहे हैं---
जानिए वास्तु के अनुसार शयन/सोने के लिए नियम:----
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--जानिए पश्चिम में सिर करके सोने का प्रभाव् एवं परिणाम--
वास्तु के अनुसार, पश्चिम दिशा में सिर करके सोना भी अनुकूल है क्योंकि यह नाम, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा और समृद्धि को बढ़ाता है.
----जानिए दक्षिण में सिर करके सोने का प्रभाव् एवं परिणाम-- वास्तु के अनुसार, इस दिशा में सिर करके सोना सबसे अच्छा है. दक्षिण दिशा की ओर सिर के साथ सोना- धन, खुशी और समृद्धि को बढ़ाता है. दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से नींद की गुणवत्ता भी बढ़ती है |
-----जानिए दक्षिण-पश्चिम में सिर करके सोने का प्रभाव् एवं परिणाम--दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र वास्तु विज्ञान में सबसे शक्तिशाली चतुर्भुज है क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है जहां सकारात्मक ऊर्जा संग्रहित है. इस दिशा में सोना भी अच्छा माना जाता है.
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जानिए क्यों होता हैं हानिकारक उत्तर दिशा में सर रखकर सोना ????
शास्त्रों का मत है कि उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है। इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से उठते समय मुंह उत्तर की ओर होगा जिससे कुबेर की कृपा प्राप्त होगी। वहीं विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के दोनों सिरों उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच चुम्बकीय प्रवाह होता है। उत्तरी ध्रुव चुम्बक के पोजिटिव और दक्षिणी ध्रुव निगेटिव पोल की तरह काम करते हैं। हमारा सिर पोजेटिव और पैर निगेटिव एनर्जी प्रवाहित करता हैं।
सोते समय उत्तर की ओर मुंह करके सोने से सिरहाना दक्षिण की ओर होता है। इससे हमारा सिर वातावरण की निगेटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और पैर पॉजेटिव एनर्जी को अपनी ओर खींचता है। जिससे सोते समय मन में उथल-पुथल नहीं मचती है और अच्छी नींद आती है। जबकि इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर दिशा करके सोने से मन में हलचल मची रहती है और अच्छी नींद नहीं आती है। सुबह उठने पर सिर भारी लगता है। जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
विज्ञान के दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। इसी के आधार पर चुम्बक में भी दो पॉल साउथ (उत्तर) पॉल और नॉर्थ (दक्षिण) पॉल रहते हैं। यदि दो चुंबक के साउथ पॉल को मिलाया जाए तो वे चिपकते नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे से दूर भागते हैं। जबकि अपोजिट पॉल्स मिलाए जाए तो चुंबक चिपक जाती है।
यही सिद्धांत सोने के संबंध में हमारे शरीर पर भी लागू होता है। हमारे सिर की ओर धनात्मक ऊर्जा और पैर की ओर ऋणात्मक ऊर्जा रहती है। यदि हम उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो उत्तर दिशा का धनात्मक तरंगे और हमारे सिर की धनात्मक तरंगे एक-दूसरे को दूर भगाती हैं जिससे मस्तिष्क हलचल बढ़ जाती है और ठीक से नींद नहीं आ पाती है। जबकि दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने पर पैरों की ऋणात्मक तरंगे वातावरण की धनात्मक तरंगों को आकर्षित करती हैं और सिर की धनात्मक तरंगे वातावरण की ऋणात्मक तरंगों को आकर्षित करती हैं जिससे हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है। इससे नींद अच्छी आती है। अत: उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए।
जब आपको रक्त से जुड़ी कोई समस्या होती है, मसलन एनीमिया या रक्ताल्पता तो डॉक्टर आपको क्या सलाह देता है? आयरन या लौह तत्व। यह आपके रक्त का एक अहम तत्व है। आपने पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों (मैगनेटिक फील्ड) के बारे में सुना होगा। कई रूपों में अपनी चुंबकीयता के कारण पृथ्वी बनी है। इसलिए इस ग्रह पर चुंबकीय शक्तियां शक्तिशाली हैं।
अगर आप उत्तर की ओर सिर करते हैं और 5 से 6 घंटों तक उस तरह रहते हैं, तो चुंबकीय खिंचाव आपके दिमाग पर दबाव डालेगा।
जब शरीर क्षैतिज अवस्था में होता है, तो आप तत्काल देख सकते हैं कि आपकी नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। शरीर यह बदलाव इसलिए लाता है क्योंकि अगर रक्त उसी स्तर पर पंप किया जाएगा, तो आपके सिर में जरूरत से ज्यादा रक्त जा सकता है और आपको नुकसान हो सकता है। अब अगर आप अपना सिर उत्तर की ओर करते हैं और 5 से 6 घंटों तक उसी अवस्था में रहते हैं, तो चुंबकीय खिंचाव आपके दिमाग पर दबाव डालेगा। अगर आप एक उम्र से आगे निकल चुके हैं और आपकी रक्त शिराएं कमजोर हैं तो आपको रक्तस्राव और लकवे के साथ स्ट्रोक हो सकता है।
या अगर आपका शरीर मजबूत है और ये चीजें आपके साथ नहीं होतीं, तो आप उत्तेजित या परेशान होकर जाग सकते हैं क्योंकि सोते समय दिमाग में जितना रक्त संचार होना चाहिए, उससे ज्यादा होता है। ऐसा नहीं है कि एक दिन ऐसा करने पर आप मर जाएंगे। मगर रोजाना ऐसा करने पर आप परेशानियों को दावत दे रहे हैं। आपके साथ किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि आपका शरीर कितना मजबूत है।
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-----पूर्व दिशा की ओर पैर करके सोना उचित नहीं माना जाता है। इससे जीवन में दोषों का प्रवेश हो सकता है। यह सूर्यदेव की दिशा है इसलिए पूर्व की और पैर नहीं करना चाहिए।
----- सोते वक्त यदि सिर दक्षिण दिशा की ओर तथा पैर उत्तर दिशा की ओर रखा जाए तो इससे पृथ्वी की ऊर्जा का प्रवाह सही बना रहता है।
----- दक्षिण दिशा की ओर सिर करने पर ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और पैरों के जरिए बाहर निकल जाती है। यह शरीर का रक्त संचरण और पाचन तंत्र मे काफी मददगार रहते हैं।
----- चूंकि पूर्व दिशा से सूर्य उदय होता है, सूर्यदेव सम्पूर्ण जगत को प्रकाश देते हैं। वे जीवन के लिए ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। अगर पूर्व की ओर सिरहाना किया जाए तो यह फलदायक होगा|
----- यदि अप मन को शांत रखना चाहते है तो दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोना चाहिए है और अवसाद तथा तनाव पर नियंत्रण करना आसान होता है।
---- यदि दक्षिण दिशा की ओर सिर कर पाना संभव ना हो तो पश्चिम दिशा की और भी किया जा सकत है इस दौरान पैर पश्चिम की ओर रहते हैं।
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आपका दिल शरीर के निचले आधे हिस्से में नहीं है, वह तीन-चौथाई ऊपर की ओर मौजूद है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ रक्त को ऊपर की ओर पहुंचाना नीचे की ओर पहुंचाने से ज्यादा मुश्किल है।
उज्जैन के वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार पारंपरिक रूप से आपसे यह भी कहा जाता है कि सुबह उठने से पहले आपको अपनी हथेलियां रगड़नी चाहिए और अपनी हथेलियों को अपनी आंखों पर रखना चाहिए। जो रक्त शिराएं ऊपर की ओर जाती हैं, वे नीचे की ओर जाने वाली धमनियों के मुकाबले बहुत परिष्कृत हैं। वे ऊपर मस्तिष्क में जाते समय लगभग बालों की तरह होती हैं। इतनी पतली कि वे एक फालतू बूंद भी नहीं ले जा सकतीं। अगर एक भी अतिरिक्त बूंद चली गई, तो कुछ फट जाएगा और आपको हैमरेज (रक्तस्राव) हो सकता है।
ज्यादातर लोगों के मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। यह बड़े पैमाने पर आपको प्रभावित नहीं करता मगर इसके छोटे-मोटे नुकसान होते हैं। आप सुस्त हो सकते हैं, जो वाकई में लोग हो रहे हैं। 35 की उम्र के बाद आपकी बुद्धिमत्ता का स्तर कई रूपों में गिर सकता है जब तक कि आप उसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत नहीं करते। आप अपनी स्मृति के कारण काम चला रहे हैं, अपनी बुद्धि के कारण नहीं।

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