अपने पितरों को प्रसन्न करने का उपाय हैं पितृस्तोत्र 19 सितम्बर को

अपने पितरों को प्रसन्न करने का उपाय हैं पितृस्तोत्र 19 सितम्बर को
इस सर्व पितृ अमावस्या 19 सितंबर 2017(मंगलवार) को महालय/पितृपक्ष/श्राद्धपक्ष में --पितृ स्त्रोत द्वारा---
हमारे हिंदू शास्त्रों के अनुसार हमारे जो पूर्वज अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में या किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध है। पूराणों की ऐसी मान्‍यता है कि सावन मास की पूर्णिमा से ही पितृ मृत्यु लोक में आ जाते हैं और नई अंकुरित कुशा की नोकों पर विराजमान हो जाते हैं। शास्त्रानुसार वैसे तो प्रत्येक अमावस्या पितृ की पुण्य तिथि होती है परंतु आश्विन मास की अमावस्या पितृओं के लिए परम फलदायी कही गई है। इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा महालया के नाम से जाना जाता है।
जानिए पितृ मोक्ष अमावस्या का महत्व---
यह श्राद्ध के महीने में आखरी दिन होता हैं, जो कि आश्विन की आमवस्या का दिन होता हैं, इस दिन सभी तर्पण विधि पूरी करते हैं, इस दिन भूले एवम छूटे सभी श्राद्ध किये जाते हैं | इस दिन दान का महत्व होता हैं | इस दिन ब्राह्मणों एवम मान दान लोगो को भोजन कराया जाता हैं| पितृ पक्ष में पितृ मोक्ष अमावस्या का सबसे अधिक महत्व होता हैं |
सूर्य की अनंत किरणों में सर्वाधिक प्रमुख किरण का नाम 'अमा' है। उस अमा नामक प्रधान किरण के तेज से ही सूर्यदेव तीनों लोको को प्रकाशित करते हैं। उसी अमा किरण में तिथि विशेष को चंद्रदेव निवास (वस्य) करते हैं, अतः इस तिथि का नाम अमावस्या है। अमावस्या प्रत्येक पितृ संबंधी कार्यों के लिए अक्षय फल देने वाली बताई गई है।
आज के समय में व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य तिथिनुसार श्राद्ध विधि करना संभव नहीं होता ऐसे में इस दिन सभी पितरो का श्राद्ध किया जा सकता हैं | श्राद्ध में दान का बहुत अधिक महत्व होता हैं | इन दिनों ब्राह्मणों को दान दिया जाता हैं जिसमे अनाज, बर्तन, कपड़े आदि अपनी श्रद्धानुसार दान दिया जाता हैं | इन दिनों गरीबो को भोजन भी कराया जाता हैं | श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किया जाना सही माना जाता हैं इसे बंद करने के लिए अंत में सभी पितरो के लिए गया (बिहार), बद्रीनाथ जाकर तर्पण विधि एवम पिंड दान किया जाता हैं | इससे जीवन में पितरो का आशीर्वाद बना रहा हैं एवम जीवन पितृ दोष से मुक्त होता हैं |
'सर्वपितृ अमावस्या' के दिन सभी भूले-बिसरे पितरों का श्राद्ध कर उनसे आशीर्वाद की कामना की जाती है। 'सर्वपितृ अमावस्या' के साथ ही 15 दिन का श्राद्ध पक्ष खत्म हो जाता है। 'सर्वपितृ अमावस्या' पर हम अपने उन सभी प्रियजनों का श्राद्घ कर सकते हैं, जिनकी मृत्यु की तिथि का ज्ञान हमें नहीं है। वे लोग जो किसी दुर्घटना आदि में मृत्यु को प्राप्त होते हैं, या ऐसे लोग जो हमारे प्रिय होते हैं किंतु उनकी मृत्यु तिथि हमें ज्ञात नहीं होती तो ऐसे लोगों का भी श्राद्ध इस अमावस्या पर किया जा सकता है।
जो लोग किसी कारण वश तिथि विशेष को श्राद्ध करना भूल गए या जिनकी कुंडली में पितृ दोष है वे इसदिन पितरो को प्रसन्न कर अपनी जन्म कुंडली के गृह को ठीक कर सकते है क्योंकि पितृ दोष की वजह से अछे गृह भी अच्छा फल देने में असफल रह ते रहते है इस दिन आप खीर पुड़ी का ब्राह्मण को भोजन करावें , वस्त्र दक्ष्ना देवे, कौवों को खीर खिलावे, गायों को हरा चारा खिलावें, बहन बेटी भांजी को खुश करें |
यदि कोई परिवार पितृदोष से कलह तथा दरिद्रता से गुजर रहा हो और पितृदोष शांति के लिए अपने पितरों की मृत्यु तिथि मालूम न हो तो उसे सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध-तर्पणादि करना चाहिए, जिससे पितृगण विशेष प्रसन्न होते हैं और यदि पितृदोष हो तो उसके प्रभाव में भी कमी आती है।

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