काश पुलिस का यह चेहरा सीट पर रहते हुए भी आता सामने साहब

काश पुलिस का यह चेहरा सीट पर रहते हुए भी आता सामने साहब

लखनऊ (राजीव)-पुलिस का अपना अलग चेहरा है लेकिन इसका एहसास कुछ लोगों को भी तभी होता है जब उसे भी जमीनी हकीकत का एहसास तभी होता है जब खुद ही इसके भुक्तभोगी हो जाते हैं । जब पुलिस के काली करतूतों से पीड़ित और फर्जी तरीके से फंसाये जाने पर पीड़ित जब कोर्ट की शरण लेता है तो कई बार न ही मानवीय संवेदनाओं और न ही उस चेयर पर बैठे अधिकारी ही उनको दिए गए अधिकारों को सही तरीके से प्रयोग करके पीड़ित की मदद करने के बजाय उसे उसी पुलिस के सहारे छोड़ देते हैं जहां से पीड़ित होने के बाद लोग साहब के पास इस उम्मीद से पहुचते हैं कि 'साहब 'से न्याय मिलेगा । जब पुलिस की शिकायत की जाती है तो कहा जाता है विवेचना होने दीजिए और कई बार बेगुनाह को जेल में ठूंस दिया जाता है बिना इस बात को देखे हुए की पुलिस ने जो आरोप लगाए हैं उसके पास उसे साबित करने के लिए साक्ष्य क्या हैं ।

ताजा मामला एडीजे जया पाठक जो इस समय सस्पेंड चल रही हैं उनकी और पुलिस के बीच विवाद का है अब जया पाठक का परिवार अपने को पुलिस से पीड़ित बात रहा है और कुछ ऐसी ही दुहाई दे रहा है जैसे कि दुहाई रोज चौखटों पर पीड़ित देते है और उनकी कोई भी सुनवाई नही होती । अब कुल मिलाकर यह तो है रसूखदार परिवार को अब उस जमीनी हकीकत का अंदाज हो गया होगा कि आम जनता किस तरह से उस दंश को झेलती है जो आज उन्हें खुद झेलना पड़ रहा है ।

क्या था विवाद
जया पाठक के लड़के से उसके कॉलेज में पढ़ने वाले दूसरे लड़कों से विवाद और उस विवाद के बाद सस्पेंड एडीजे जया पाठक की देहरादून के प्रेमनगर थाने के पुलिसकर्मियों से हाथापाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा एडीजे को सस्पेंड किए जाने का एक्शन लिया गया जिस सिलसिले में आज लखनऊ के गोमतीनगर स्थित अपने मकान में एडीजे के पति देवेश पाठक और पुत्र रोहन पाठक ने प्रेसवार्ता में रखा अपना पक्ष

क्या कहा देवेश पाठक ने

  • मैं गाजियाबाद जा रहा था ट्रेन में खबर आई बेटे का फोन आया कि पुलिस आ गई लड़ाई हो गई थी दरोगा का फोन भी आया कि थाने लाए हैं ।थाना होस्टल के रास्ते मे ही था ।6 बच्चों को पुलिस ने बैठाया था मां बाप के आने की खबर सुनकर लड़का जब बाहर आया तो पुलिस वाले मारने लगे ।
  • हम लोगों ने मोबाइल से वीडियो बनाया तो एक पुलिसकर्मी ने धक्का दिया और ये गिर गईं ।मोबाइल से वीडियो बनाने में मेरी पत्नी का हाथ उठा होगा वो फ़ोटो वीडियो वायरल कर दी गई ।
  • बहुत ही बुरी तरह से मेरी पत्नी को गालियां दी गईं ।
  • एसएसपी देहरादून डीजीपी के पीआरओ सभी को बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई ।क्रॉस एफआईआर कर दी गई।
  • हम लोग दहशत में उन्नाव चले आए ।यहां पुलिस से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नही की गई,उन्नाव पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नही की है।मात्र गाड़ी को लेकर विवाद था ।
  • Mam का परिचय बताने के बाद एसओ नरेश राठौर बहुत चिढ़ गया ।दूसरे पक्ष में एक लड़का मेरठ में एडिशनल कमिश्नर का लड़का था ।
  • हाईकोर्ट ने किस ग्राउंड पर क्या किया है उसमें नही कह सकता मैं इतना कहना चाहता हूं कि मैं विक्टिम था और देहरादून की पुलिस ने मुझे आरोपी बना दिया ।
  • मेरा बच्चा 3rd ईयर लॉ का स्टूडेंट है मैंने उसकी पढ़ाई तक छुड़वा दी है ।
  • पुलिस किसी के दबाव में जरूर रही है ।दूसरे पक्ष से तो कॉम्प्रोमाइज भी हो गया है लेकिन पुलिस द्वारा जो वीडियो बना लिया गया उसमे एफआईआर हुई है ।


देवेश पाठक के वकील :-- 323 का प्रकरण था जो 7 साल से नीचे का अपराध होता है इसमें गिरफ्तारी नही होती है ।323 के प्रकरण में देवेश के बेटे रोहन पाठक की गिरफ्तारी की और एडीजे को जबरन थाने में बंद रखा ।

देहरादून की पुलिस और उन्नाव की पुलिस दोनों को दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा कायम करने की एप्लीकेशन दी है ।
अगर हमारी एफआईआर नही लिखी जाती है तो हम कोर्ट से एफआईआर लिखाएँगे ।

रोहन पाठक,सस्पेंड एडीजे जया पाठक के लड़के :- गाड़ी के एक्सीडेंट को लेकर लड़ाई हुई थी ।पुलिस कॉलेज आ गई थी ।मैंने अपने पैरेंट्स को देखा था और जोर से दौड़ा तो वहां मौजूद कॉन्स्टेबल ने मुझे मारना शुरू कर दिया

यह घटना हाई प्रोफाइल से जुड़ा हुआ है जो कोई नई बात नही है लेकिन जिस तरह से जूडिशियरी से जुड़े लोगों को इस दंश का सामना करना पड़ा यह नई बात कही जा सकती है । यह घटना एहसास दिलाती है कि पुलिस अपने ही रंग ढंग ने रहती है और उस पर चूंकि लगाम इन्ही अधिकारियों द्वारा नही लगाई जाती तो यह और भी घातक हो जाते हैं । अब देखने वाली बात यह है कि क्या अब अपनी सीट पर बैठ कर अपने अधिकारों और जूडिशियरी माइंड अप्लाई करने का जो आप्शन है निर्देश है उसे क्या अभी भी पालन किया जाएगा या अभी भी उस गरीब और पीड़ित व्यक्ति की आवाज को अनसुना कर दिया जाएगा ।

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