क्यों सफलता सर चढ़ कर बोलती है अमिताभ बच्चन के देखिये कुंडली

अमिताभ बच्च्न की जन्म कुंडली ----
पंडित दयानंद शास्त्री -प्रस्तुत कुंडली प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन की है ये करोड़पति है अरबपति है धनी है इसमें कोई संदेह नहीं है इन्हे सब कोई जानता है भले ही ये हमें न जानते हो ये तो नायक नहीं महानायक हैं। आइये एक नजर महानायक की कुंडली पर डालते है यह पता करते है कि उपर्युक्त धन योग इनकी कुंडली में है या नहीं।
जन्म-दिनाक---11 अक्टूबर 1942
जन्म-समय---सायं-4:00,
जन्म-स्थान --- इलाहबाद (उत्तर प्रदेश)
इस महान हस्ती की जन्म कुंडली में ऐसा क्या है, जानते है:
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार
अमिताभ बच्च्न का लग्न कुंभ है। यह स्थिर व पृथ्वी तत्व प्रधान लग्न है। पृथ्वी तत्व होने से ऐसे जातक जमीन से जुडे़ होते है अर्थात जनता के मध्य रहना भी इस तत्व का कारक है। शास्त्रों के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वालों का फल- धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म होने से जातक संगीत प्रिय, सुवर्ण रत्नों से युक्त, दाता, धनी, सुखी, आशान्वित और बन्धुओं से मान्य होता है। जातक विनययुक्त, प्रतिष्ठित, शीलयुक्त, बलवान, दयालु तथा सैकड़ों व्यक्तियों का पालक किंतु धन का लोभी होता है।
आधुनिक मत से धनिष्ठा के तृतीय चरण में जन्म होने से जातक वैज्ञानिक मस्तिष्क वाला, कार्य तत्पर, अनुसंधानकर्ता, धर्म के प्रति श्रद्धा रखने वाला, प्रेम अथवा मित्रता के क्षेत्र में विश्वासपात्र, समाज अथवा संगठन का प्रेमी होता है। ऐसा जातक चंचल बुद्धि वाला, क्रोधी, जल्दी ही उत्तेजित हो जाने वाला, शीघ्र ही प्रत्युत्तर देने वाला, अपने कार्यों की प्रशंसा करने वाला तथा तकनीकी कार्यों में निपुण होता है।
कुंभ लग्न में केतु स्वभाव से जिद्दी भी बना देता है व आवाज में भारीपन आ जाता है। अमिताभ आवाज के दम पर ही फिल्मों में सफल भी रहे।
पंचम (मनोरंजन भाव) का स्वामी नीच के शुक्र के साथ है जो भाग्य के साथ सुख भाव का भी स्वामी है। इससे नीच भंग योग बन रहा है। यह योग जीवन में उतार-चढ़ाव के बाद सफलता का मुकाम देता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार
लग्न व द्वादश भाव का स्वामी वक्री है इसीलिए अमिताभ के जीवन में कई प्रतिकूल हालात आए। राजनीति में असफलता के अलावा फिल्मों में भी असफलता का दौर देखा। लेकिन अमिताभ की जीवटता ने ही उन्हें कामयाब बनाया। इसका कारण भाग्य का नीच भंग होना है। पंचम (मनोरंजन भाव) का स्वामी उच्च होकर दशमेश व पराक्रमेश के साथ होना भी इसका कारण रहा।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ज्योतिष में सिद्धांत है कि जिस भाव पर अधिकाधिक ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, वह अत्यधिक बलवान हो जाता है। अमिताभ के अष्टम भाव में उच्च के बुध को मिलाकर चार ग्रह स्थित हैं व द्वितीय भाव पर पांच ग्रहों की दृष्टि है। अष्टम भाव में चार ग्रहों की स्थिति से अष्टम भाव के राजयोग का निर्माण हो रहा है, जिसके फलस्वरूप वह अद्वितीय प्रतिभा, गुप्त शक्ति, दैवी संपदा व गूढ़ ज्ञान से संपन्न हैं। अष्टमेश उच्च राशि का होकर अष्टम भाव में ही स्थ्ति है। ज्ञान व ईश्वर कृपा का कारक गुरु उच्च का होकर वर्गोत्तमी है तथा द्वितीयेश व लाभेश होकर कीर्ति व व्यवसाय के दशम भाव और धन के द्वितीय भाव पर दृष्टि डाल रहा है। लग्नेश केंद्र में है और दशम, एकादश तथा धन भावों की स्थिति भी उत्तम है। फलस्वरूप उन्हें कैरियर में शीघ्रता से उन्नति मिली। भाग्य भाव में चंद्र की स्थिति तथा अष्टम भाव के राजयोग से उनकी कुंडली में भाग्योन्नति और धन वृद्धि के पूर्ण संकेत हैं। धनेश व लाभेश गुरु उच्च का होकर वर्गोत्तमी है। धन भाव पर उसके कारक गुरु के अतिरिक्त चार और ग्रहों की दृष्टि के कारण अमिताभ का धन भाव विशेष बलवान हो गया है।कुम्भ लग्न और तुला राशि में जन्मे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की कुंडली ने उन्हें बहुत से उतार चढाव दिए, चार प्रमुख ग्रह अष्टम भाव में है जिसे रुकावटों और मृत्यु का भाव कहा जाता है , यही कारन रहा की वे स्वास्थ्य की परेशानिया समय समय पर झेलते रहे।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार
अमिताभ बच्चन का लग्न कुंभ है और राशि है तुला। दोनों ही वायु तत्व के मामले हैं। वायु के अंदर प्रसार बहुत होता है। इससे व्यक्ति की प्रसिद्धि वायु की तरह चारों दिशाओं में फैल जाती है। लग्न में केतु है और सप्तम के राहु बैठा है। केतु और राहु के अंदर रूप बदलने की क्षमता है। इसलिए जब किसी अभिनेता की कुंडली में केतु और राहु प्रभावशाली हो जाते हैं तो व्यक्ति अलग तरह के रोल कर पाता है। कई तरह के अभिनेय करने की शक्ति होती है।अमिताभ की कुंडली के चौथे भाव में शनि बैठा है। यही शनि उन्हें महानायक बनाता है। क्योंकि शनि यहां बहुत प्रबल है। मंगल और सूर्य के वजह से इनके स्वास्थ्य की समस्याएं आ सकती हैं। वैसे तो उन्हें किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन फिर भी वो अपनी अंगुलियों को अंगूठियों से ढ़के रहते हैं। अमिताभ अंगुलियों में नीलम पहने रहते हैं। इसे वो अपने लिए लकी मानते हैं। अमिताभ दो को अपना लकी नंबर मानते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार
अमिताभ की कुंडली में यह शर्त भी पूरी हो रही है। कैरियर में श्रेष्ठ सफलता के लिए राजयोग तथा लग्नेश व धन भाव का उत्तम होना आवश्यक होता है। इनकी कुंडली में ये सभी शर्तें पूरी हो रही हैं। पंचम भाव से पूर्व जन्म के पुण्यों का विचार किया जाता है। जिस जातक की कुंडली में पंचम भाव की स्थिति उत्तम नहीं होती, उसे भाग्य के क्षेत्र में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त पंचम भाव नवम से नवम होने के कारण भाग्य को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। नवमस्थ चंद्र को भाग्य का विशेष कारक माना जाता है। चंद्र से गुरु की केंद्र में स्थिति गजकेसरी योग का निर्माण कर रही है। इस प्रकार पंचम भाव व पंचम भाव के कारक ग्रहों की श्रेष्ठ स्थिति ने इनके भाग्य के द्वार खोल दिए। फलित के सुप्रसिद्ध ग्रंथ होरा शतक के अनुसार शुक्र बारहवें भाव में, बारहवीं राशि (अर्थात् मीन) तथा स्वराशियों से बारहवीं राशियों अर्थात् मेष व कन्या में सर्वश्रेष्ठ फल देता है। इसके अनुसार इनके शुक्र को भी कुल मिलाकर श्रेष्ठ ही कहा जाएगा। इसके अतिरिक्त यह शुक्र उच्च के बुध के साथ होने से नीच भंग राजयोग को भी जन्म दे रहा है तथा साथ ही अष्टम भाव के राजयोग में भी सहायक है व चंद्र लग्नेश भी है। इन सभी ग्रह योगों के कारण बी.बी.सीके 'ऑन लाइन पोल' ने उन्हें सुपरस्टार ऑफ मिलेनियम के रूप में खयाति दिलाई।
भारतीय फिल्म जगत में अमिताभ को 1970 के दशक में एंग्री यंग मैन के रूप लोकप्रियता प्राप्त हुई। उस समय इन पर लग्नेश शनि की महादशा आरंभ हुई थी जो इनकी राशि के लिए कारक ग्रह भी है। 1973 से 1980 तक इनकी अनेकानेक फिल्में हिट हुईं। 1982 में अष्टम भाव स्थित मंगल व अन्य ग्रहों के ऊपर से शनि की साढ़ेसाती के समय कुली फिल्म की शूटिंग करते हुए इन्हें इतनी जबरदस्त चोट लगी कि यह मृत्यु के द्वार पर जा पहुंचे। अत्यधिक लोकप्रियता पा चुके अमिताभ बच्चन के देश-विदेश के लाखों चाहने वालों ने दुआ मांगी और इनकी राशि के ऊपर से होने वाले गुरु के शुभ गोचर तथा महादशानाथ व लग्नेश शनि ने इनके प्राणों की रक्षा की।
शुरुआती सफलता पूरी तरह से शनि की ही देन थी जो 1970 से 1989 तक ऊंचाई देती रही और इसी दौरान कई मुश्किलो से सामना भी करवाया जैसे इंदिराजी (Indira Gandhi) के निधन के बाद 1984 में राजनीती में प्रवेश , इस राजनितिक जीवन ने उन्हें फ़िल्मी दुनिया से दूर किया परन्तु ये मोहभंग ज्यादा दिन नहीं चल पाया, ये शनि में राहु (Politics) की अन्तर्दशा बुरा समय था , जिसने उन्हें Politics से जोड़ा ।
एंग्री यंगमैन की छवि के साथ साथ अमिताभ जी ने रोमांटिक भूमिकाओं में भी जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की , ये 2 (moon ) जन्मांक और 9th house के चन्द्रमा का का ही कमाल था. सिर्फ यही तक ही नहीं भाग्यांक 1 (sun) ने उन्हें heights दी. , यंहा तक की छोटे परदे पर एक सफल एंकर के रूप में भी स्थापित किया। एंकर की भूमिका तक पहुचने का सफर भी बहुत संघर्ष भरा रहा , 1988 -92 का शनि की दशा का अंतिम और बुध की दशा का प्रारंभिक दौर बहुत कठिन रहा।
कौन बनेगा करोड़पति (kbc) करने के पहले वे अपनी स्वयं की कंपनी Amitabh Bachchan Corp Ltd को स्थापित करने के चक्कर में आर्थिक रूप से पूरी तरह से कमजोर हो चुके थे , ये समय था 1996 -1999 के बीच का जब वे बुध (mercury ) की दशा में चन्द्र, सूर्य और मंगल की अन्तर्दशा से गुजर रहे थे , ये सभी ग्रह उनकी कुंडली (horoscope) में 8th house में विराजित है , उसके बाद आने वाली बुध-राहु की दशा के समय ने मोहबते फिल्म दिलाई और फिर वे come back के साथ छोटे परदे पर भी सफलता के झंडे गाड़ पाये। इसके बाद आपकी अभिनय क्षमता और बुलंद आवाज काफी थी सारी समस्याओ से बाहर आने के लिए, उसके बाद उन्होंने पीछे मूड कर नहीं देखा , बुध उनकी कुंडली में अमात्यकरक (सामाजिक छवि का कारक ग्रह) ग्रह है, जिसने अपनी भूमिका पूरी तरह अदा की , बुध की दशा के बाद आई लग्न लग्न में बैठे केतु की दशा (2006 से 2013 ) ने तो सफलता के सारे records ही तोड़ दिए।
सन् 1983 में साढ़ेसाती के दौरान शनि के उच्चराशि में गोचर के समय इनकी यह फिल्म रिलीज हुई और इनकी लोकप्रियता के कारण अत्यधिक सफल रही। सन् 1988 में गोचर के शनि व जन्म कुंडली के मंगल में परस्पर दृष्टि योग के समय धीरे-धीरे इनका कैरियर नीचे की ओर जाने लगा और इन्हें लगातार असफलताओं का मुंह देखना पड़ा। सन् 1976 में बुध की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा के समय इन्होंने वापसी करने का भरपूर प्रयास किया लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिल सकी। इनकी एबीसीएल कंपनी तथा इनके द्वारा बनाई गई फिल्मों में भी इन्हें असफलता ही हाथ लगी। 1996 से 1998 तक का समय इनके लिए साधारण ही रहा। उस समय भी जन्मकुंडली के मंगल व गोचर के शनि में परस्पर दृष्टि योग की स्थिति बन रही थी इसलिए इस समय इन्हें काफी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। वर्ष 2000 में अमिताभ बच्चन को स्टार प्लस के 'कौन बनेगा करोड़पति' से अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। जब सितंबर 2000 के बाद शनि नीच राशि के गोचर से बाहर आया तो नवंबर 2000 में कैनरा बैंक ने इन पर दायर किया हुआ मुकदमा वापस ले लिया। तत्पश्चात् इनके जन्मकालीन शनि पर शनि का सितंबर 2000 के बाद का गोचर अत्यंत शुभ सिद्ध हुआ और तत्पश्चात् इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और जबरदस्त वापसी की।
6th house में विराजित उच्च के गुरु ने उन्हें बहुत संस्कारित और धार्मिक विचारो वाला बनाया , 6th House पिता के profession का भी भाव होता है , गुरु का सम्बन्ध ज्ञान से और कर्क राशि का सम्बन्ध भावनाओ से होता है ये पिता के profession को कवि के रूप में दर्शाता है , साथ ही 10th house (profession / career) और 2nd house (wealth /family /attraction ) पर शुभ दृष्टि प्रदान कर धन और करियर में अत्यन्त सफलता प्रदान करे , वंही कुम्भ लग्न में हुए जन्म ने उन्हें बहुत सुलझी हुई साथ ही गहरी सोच दी , 9th house में विराजित तुला राशि के चन्द्रमा ने उनकी लोकप्रियता को न सिर्फ चार चाँद लगाये बल्कि अत्यधिक भाग्यशाली बनाया। ये चन्द्रमा, गुरु के साथ केंद्र में हो कर गज केशरी योग का निर्माण कर रहा है।
2013 दिसम्बर से आपकी शुक्र की दशा शुरू हो चुकी है जो की आपके भाग्य स्थान (9th house lord ) का स्वामी है, अवश्य ही ये शुक्र भाग्य में कुछ परिवर्तन लाएगा कुछ मीठे और कुछ खट्टे , क्योंकि ये शुक्र अपने भाव से बारहवे याने अष्टम भाव में बैठा है जो बुरा भाव माना जाता है , साथ ही दुर्घटनाओं और अवरोधों का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि जैसे जैसे शुक्र में सूर्य , चन्द्र और अन्य अंतर्दशाओं का दौर आएगा परिस्थितियां विपरीत होने का भय भी बढ़ेगा , वैसे कुंडली में उपस्थित अन्य योग आने वाले दिनों में इसी तरह ऊर्जावान बना कर परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता और ऊर्जा प्रदान करते रखेंगे।

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