बड़ी मुश्किल में रहेंगे कुंवारे, इस साल कैसे होगा उनका विवाह

बड़ी मुश्किल में रहेंगे कुंवारे, इस साल कैसे होगा उनका विवाह
इस वर्ष नहीं हैं देव उठानी एकादशी 2017 पर नहीं हैं अबूझ विवाह मुहूर्त---
इस वर्ष कुंवारों को करना होगा लंबा इंतजार.....
प्रिय पाठकों/मित्रों, किसी भी काम की अच्छी शुरुआत व उस काम के परिणाम भी लाभदायक मिलें इसके लिए मान्यता है कि उस काम को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। अब विवाह से बड़ा कार्य मनुष्य के जीवन में भला क्या हो सकता है। विवाह ही एक ऐसी परंपरा है, जिससे मानव प्रजाति व परिवार का विस्तार होता है। उसका पारिवारिक जीवन कितना खुशहाल होगा, जीवनसाथी कैसा होगा व संबंध किस तरह रहेंगें, यह सब दंपति की कुंडलियों के साथ-साथ जिस समय, जिस घड़ी, जिस लग्न में उनका विवाह हुआ है, उस समय ग्रहों की दशा पर भी निर्भर करता है। इसलिए तो विवाह के लिए कुंडली मिलान से लेकर सात फेरे लेने तक के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हिन्दु मान्यताओं और ग्रह नक्षत्रों की गणना के अनुसार आम तौर पर विवाह के मुहूर्त देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन से शुरू होते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हिन्दू पंचाग और ग्रह नक्षत्रों की गणना के अनुसार आम तौर पर शादियों के मुहूर्त देवउठनी एकादशी(देव प्रबोधिनी) के बाद शादी-विवाह का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन अधिक मास होने के कारण इस बार विवाह के इतंजार में बैठे युवक-युवतियों एवं परिवारों को देवउठनी ग्यारस के एक माह बाद तक शुभ मुहूर्त का इतंजार करना पड़ेगा। ज्योतिषी पंचाग गणना के अनुसार हर तीन साल में तिथियों की घट-बढ़ के कारण अधिक मास पड़ता है। इस साल में देवउठनी ग्यारस के बाद देरी से मुहूर्त का संयोग बनता है। दरअसल तिथियां सूर्य के अनुसार चलती हैं। वर के लिए सूर्य बल और कन्या के लिए गुरू बल और दोनों के लिए चंद्र बल देखकर तिथि निकाली जाती है। इस साल 16 नबंबर के बाद से वृश्चिक के सूर्य होंगे।
हर साल मांगलिक कार्यों के लिए देवउठनी एकादशी से शुभ मुहूर्त प्रारंभ होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नही है। गुरू व शुक्र अस्त होने से इस वर्ष विवाह योग्य मुहूर्त नहीं हैं। 12 अक्टूबर से 6 नवंबर तक गुरु अस्त रहने से शादियों का सिलसिला 31 अक्टूबर यानी देवउठनी एकादशी से न होकर 19 नवंबर से शुरू होगा।
सूर्य जब 6 राशियों में होता है तो वैवाहिक मुहूर्त रहते हैं। ये 6 राशियां मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक, मकर और कुंभ हैं। इसी प्रकार जब सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, धनु और मीन राशि में भ्रमण कर रहा होता है, तब मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। पंचांग के अनुसार विवाह मुहूर्त सूर्य के वृश्चिक राशि में जाने के बाद ही शुरू होंगे। विवाह में गुरु और शुक्र ग्रह का विशेष महत्व होता है। इस बार देवउठनी एकादशी के बाद भी दोनों ग्रह अस्त हैं।
माना जाता है कि भगवान विष्णु के निद्रा के जागने के दिन से विरात्रि पूर्ण व्रत पूरा होने के साथ तुलसी – शालिग्राम विवाह से मंगल बंधन शुरू होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल नहीं है। दीपावली से 11वें दिन यानी देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर से विवाह शुरू नहीं होंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की नवंबर एवं दिसंबर में 13 लग्न मुहूर्तों के बाद 14 दिसंबर से 3 फरवरी तक शुक्रास्त एवं खरमास होने से एक बार फिर करीब डेढ़ माह के लिए लग्न मुहूर्त की शादियों का सिलसिला थमेगा।
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क्या है अबूझ मुहूर्त?
साल भर में वैसे तो कई दिन होते हैं जिनमें आप शुभ मुहूर्त देखकर विवाह कर सकते हैं। लेकिन कुछ मुहूर्त ऐसे होते हैं जिनमें आप बिना मुहूर्त देखे भी विवाह कर सकते हैं। ये दिन किसी भी तरह के मांगलिक कार्य के लिये बहुत ही शुभ माने जाते हैं व इन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है।
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जानिए क्यों नहीं हो पायेंगें विवाह इस वर्ष २०१७ की देव उठानी एकादशी पर---
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की ऐसा इसलिये होगा, क्योंकि गणनाओं के अनुसार वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रवेश 17 नवम्बर को होता है। सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के साथ ही 19 नवम्बर से शुभ मुहूर्त में शादियां आरंभ होंगी। अगले साल भी यानी वर्ष 2018 में भी शादियां 19 नवम्बर से आरंभ हो रही हैं। खास बात ये है कि अगले साल 19 नवम्बर को ही देवउठनी एकादशी है।
वैसे इस वर्ष शादियों के लिये नवम्बर और दिसम्बर को मिलाकर केवल 13 मुहूर्त ही हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शादियों में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। विवाह यदि शुभ योग में हो तो उसके परिणाम भी बेहतर और समृद्धिकारक होते हैं। जीवन में विवाह के बाद बदलाव आते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की स्त्री जिसे हमारी मान्यताओं में हमारा बायां अंग माना गया है, उसके आने से समृद्धि और उत्तरोत्तर तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं। इस बार 22, 23, 29 एवं 30 नवम्बर को शहर में विशेष मुहूर्त में सबसे अधिक शादियां होने वाली हैं।
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विवाह के कारक ग्रह -----
अक्षय तृतीया एवं देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त माने गए हैं, लेकिन 12 अक्टूबर से गुरू व शुक्र अस्त होने से इस बार देवउठनी एकादशी पर शादियों का मुहूर्त नही है। ये दोनों ग्रह ही विवाह के कारक माने गए हैं।
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तुला राशि में सूर्य ----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की दोनों ग्रह 6 नवंबर को उदित होंगे,परंतु विवाह नहीं होंगे। क्याेंकि इस दौरान सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर चुका होगा। सूर्य तुला राशि में हो तो भी विवाह नहीं होते। सूर्य 17 नवंबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य की राशि बदलने के बाद ही 19 नवंबर से विवाह के विशेष मुहूर्त प्रारंभ हो जाएंगे।
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विशेष मुहूर्त -----
23 नवंबर को विवाह पंचमी है। इस दिन के विवाह मुहूर्त को अति शुभ माना गया है। 25 नवंबर को त्रिपुष्कर योग रहेगा, 28 और 30 नवंबर के मुहूर्त भी विशेष शुभ रहेंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इन दोनों तिथियों के बीच 29 नवंबर को मोक्षदा एकादशी व गीता जयंती और 3 दिसंबर को पूर्णिमा व 10 दिसंबर को रुक्मिणी अष्टमी का दिन भी विवाह के लिए मंगलकारी योग में शामिल है।
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सिर्फ 15 दिन ही विवाह मुहूर्त----
नवंबर और दिसंबर में अर्थात दो माह में कुल 15 दिन ही विवाह मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद अगले वर्ष 2018 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर विवाह मुहूर्त प्रारंभ होंगे, जो मार्च में होलाष्टक प्रारंभ होने तक रहेंगे।
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19 को वृश्चिक राशि के अनुराधा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश के बाद श्रेष्ठ मुहूर्तः
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की मान्यता है कि भगवान विष्णु के निद्रा के जागने के दिन से विरात्रि पूर्ण व्रत पूरा होने के साथ तुलसी शालिग्राम विवाह से मंगल बंधन शुरू होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल नहीं है। दीपावली से 11 वें दिन यानि देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर से विवाह शुरू नहीं होंगे। ऐसा इसलिये होगा, क्योंकि गणनाओं के अनुसार वृश्चिक राशि के अनुराधा नक्षत्र में में सूर्य का प्रवेश 19 नवम्बर को होगा, सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के साथ ही 19 नवम्बर से शुभ मुहूर्त में शादियां आरंभ होंगी।
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विशेष---एक संयोग ऐसा भी की 2017 और 2018 में शादियों के महूर्त 19 नवम्बर से---
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की पाठकगण ध्यान रखें,अगले वर्ष 2018 में भी शादियां 19 नवम्बर से आरंभ हो रही हैं। विशेष बात ये है कि अगले साल 19 नवम्बर को ही देवउठनी एकादशी है। इस वर्ष शादियों के लिये नवम्बर और दिसम्बर को मिलाकर केवल 14 मुहूर्त ही हैं। शादियों में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। विवाह यदि शुभ योग में हो तो उसके परिणाम भी बेहतर और समृद्घिकारक होते हैं। जीवन में विवाह के बाद बदलाव आते हैं। इस बार 22, 23, 29 ,30 नवम्बर 01,दिसम्बर को विशेष मुहूर्त में सबसे अधिक शादियां होने वाली हैं।
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ये हैं अबूझ मुहूर्त----
सनातन धर्म में दो मुहूर्त ऐसे बताये गये हैं जिनमें विवाह करने से किसी पंडित और विद्वान से पूछने की भी जरूरत नहीं है। ग्रीष्म काल में अक्षय तृतीया को और बारिश की समाप्ति और शीत ऋतु के आरंभ होने पर देवउठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी – शालिग्राम विवाह के साथ शादियां की जायें तो मुहूर्त पूछने की आवश्यकता नहीं होती। इस साल भी ऐसे अनेक परिवार हैं, जो आगे ज्यादा मुहूर्त न होने पर खास तौर पर एकादशी के दिन शादियां करने वाले हैं। सूर्य गणना से अलग ये विवाह मुहूर्त माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की विनायक चौथ व्रत 22 नवम्बर को है। 23 नवम्बर को श्रीराम – जानकी विवाहोत्सव है, इस दिन विवाह पंचमी भी है। इस विशेष मुहूर्त में अनेक शादियां हैं। 29 नवम्बर को इसके बाद मोक्षदा एकादशी के गीता जयंति को अधिक शादियां होंगी। वैसे नवम्बर में विवाह के 08 और दिसम्बर में 06 मुहूर्त हैं। कुल मिलाकर शीत ऋतु के इन दिनों में केवल दो सप्ताह ही शादियां होंगी।
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जानिए वर्ष 2017 के शेष शुभ विवाह मुहूर्त व तिथि ----
नवंबर- 19, 20, 21, 22, 23, 28, 29 एवं 30
दिसंबर- 3, 4, 8, 9 एवं 10
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जानिए वर्ष 2018 के शुभ विवाह मुहूर्त----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जनवरी माह के विराम के बाद फरवरी में फिर शादियां आरंभ होंगी।
फरवरी 2018- 1, 4, 6, 24 एवं 28
मार्च 2018- 1, 5, 6, 8, 10 एवं 12
अप्रैल 2018- 18, 19, 20, 24, 25, 27, 28, 29 एवं 30
मई 2018- 1, 4, 5, 6, 11 एवं 12
जून 2018- 18, 21, 23, 25, 27 एवं 28
जुलाई 2018- 5, 10 एवं 11
इनके बाद अगले साल 19 नवम्बर से फिर शीत ऋतु में शादियां आरंभ होंगी।
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देवउठनी एकादशी – देवउठनी एकादशी का दिन भी विशेष रूप से विवाह के लिये मंगलकारी है। इस दिन चतुर्मास के बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं इसलिये यह तिथि अबूझ मुहूर्त मानी जाती है। इससे पहले मांगलिक कार्यों के आयोजन लगभग बंद होते हैं। इसी दिन से शुभ कार्यों के बंद दरवाजे खुलते हैं। 2017 में देवउठनी एकादशी की शुभ तिथि 31 अक्तूबर को है।
आपको बतादें कि मकर संक्रांति के बाद से अप्रैल तक विवाह के योग बनते रहेंगें उसके बाद मई से लेकर अक्तूबर तक एक लंबा विराम विवाह के अवसरों पर लग जाएगा उसके बाद नवंबर व दिसंबर में ही शुभ मुहूर्त निकलेंगें।
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तीन सप्ताह रहेगी शादियों की धूम, अभी से तैयारियां शुरू
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की पंचांगों में सुझाए गए विवाह मुहूर्त का विशेष महत्व होने से कई नवयुगल देवउठनी एकादशी पर शादी न करते हुए 19 नवंबर से शुरू हो रही मांगलिक बेला में शादियां करेंगे। 19 नवंबर से 10 दिसंबर यानी करीब तीन सप्ताह तक चलने वाले इस सिलसिले में शहर एवं जिले के मैरिज गार्डन, टेंट हाउस, बैंड-बाजों की बुकिंग अभी से शुरू हो गई है।
श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .
पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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