संस्कृत स्कूल के नाम पर बचा है खंडहर ,बच्चों का तो पता ही नही

संस्कृत स्कूल के नाम पर बचा है खंडहर ,बच्चों का तो पता ही नही

संस्कृत स्कूल के नाम पर बचा है खंडहर बच्चों का तो पता ही नही
गोंडा - मान्यता इंटर तक पढ़ाने को दो टीचर और स्टूडेंट के नाम पर निल स्कूल की बिल्डिंग भी बस अपनी कुछ हल्की पहचान भी किसी निरीह की तरह बयान कर रहा है ।
एक तरफ प्रदेश में रोजगार ढूंढे नही मिल रहा है वही गोण्डा एक ऐसा जिला है जहां नौकरी तो है लेकिन कोई काम नही है लेकिन वेतन बिल्कुल तय समय पर । आप को समझाने की इस तरह कोशिस करते हैं कि यह एक विद्यालय है जो आपको लिखा हुआ मिलेगा लेकिन न बच्चे मिलेंगे और न ही शिक्षक और गोण्डा का शिक्षा विभाग पूरी ईमानदारी से उन्हें वेतन भी दे रहा है वो भी बिना काम के ।
बात कर रहे हैं गोण्डा जिला मुख्यालय पर 138 वर्ष पहले स्थापित एक संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की दशा सोचनीय है।
महाराजा दिग्विजय सिंह ने 1879 में की थी ।
स्कूल के इतिहास को खंगाले तो पता चलता है इसकी नींव 1879 में रखी गई थी।

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