प्रशासनिक अधिकारियों का आदेश मायने नहीं रखता रामखेलावन वर्मा डी आई ओ एस गोंडा के आगे

प्रशासनिक अधिकारियों का आदेश मायने नहीं रखता रामखेलावन वर्मा डी आई ओ एस गोंडा के आगे

निजी हित लाभ के चक्कर में भूले अपने दायित्व, परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए दागी व मानक विहीन विद्यालयों का भेजा प्रस्ताव

गोण्डा (एच पी श्रीवास्तव)-भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे जिम्मेदार लोग पैसा कमाने के चक्कर में इस हद तक गुजर जाने में भी कोई गुरेज नहीं रहते हैं कि उन्हें अपने उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों निर्देशों का कोई मायने नहीं होता बस वह अपने को सर्वोपरि मानते हुए मनमानी करने पर तुले रहते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए विभाग की साख पर बट्टा लगा रहे हैं !
जी हां बात करें तो नकल माफियाओं के गढ़ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद में फरवरी माह में होने वाली हाई स्कूल इंटरमीडिएट की नकल विहीन परीक्षा संपन्न होने में ग्रहण सा लगता दिखाई पड़ रहा है ! जनपद में बोर्ड परीक्षा संपन्न कराने वाले शिक्षा विभाग के मुखिया जिला विद्यालय निरीक्षक गोंडा राम खेलावन वर्मा द्वारा नकलविहीन परीक्षा संपन्न कराने की सुचिता को तार-तार करने का प्रयास करते हुए दागी व मानक विहीन विद्यालयों की सूची परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए बोर्ड को भेजी गई है !

*क्या है मामला*
वर्ष 2016 -- 2017 में बोर्ड की परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जनपद में खुले मंच से कहा गया था कि यहां ठेके पर नकल होता है और डिग्रियां बिकती हैं हमें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और यह प्रथा बंद होनी चाहिए ! उसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने जनपद में नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने की एक रणनीति बनाई तथा डी आई ओ एस के कार्यों को सीमित करते हुए खुद परीक्षा की कमान संभाली और लगभग दो दर्जन विद्यालयों पर कार्रवाई करते हुए नकल माफियाओं की कमर तोड़ दी ! साथ ही उन सभी विद्यालयों को काली सूची में डालने के लिए अनुमोदित किया !
परन्तु विगत वर्ष बोर्ड की परीक्षा की कमान अपने हाथों से निकल जाने का मलाल लिए जिला विद्यालय निरीक्षक गोंडा राम खेलावन वर्मा ने वर्ष 2018 की होने वाली हाईस्कूल इंटरमीडिएट परीक्षा में केंद्र निर्धारण में जमकर खेल खेला और मानक विहीन व दागी विद्यालयों को परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए बोर्ड को प्रस्ताव भेज दिया !
एक औपचारिक मुलाकात के दौरान जब जिला विद्यालय निरीक्षक गोंडा राम खेलावन वर्मा से यह पूछा गया कि आपके यहां पिछले वर्ष परीक्षा के दौरान लगभग दो दर्जन विद्यालयों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उन्हें काली सूची में डालने के लिए अनुमोदित किया था आपके स्थलीय सत्यापन में वह विद्यालय अच्छे कैसे हो गए , कहने लगे किसी के आरोप लगा देने से हम थोड़े मान लेंगे कि वह दागी है ! वहां इस तरह की अनियमितता नहीं थी कि वह सेंटर ना बनाया जा सके ! यह पूछने पर कि क्या जिला प्रशासन का आरोप गलत था, कहने लगे कि वह जिलाधिकारी के आदमी / प्रतिनिधि थे उन्हें हम क्या कह सकते थे हमको को जो करना था किए हैं उनके द्वारा यह कह देने से कि वह चोर हैं हम थोड़े मान लेंगे और फिर यदि उन सभी विद्यालयों पर कार्रवाई करते तो अकेले हमें ही तो झेलना पड़ता ! उस समय केवल 6 विद्यालयों पर डी एम ने एफ आई आर करवाया था जिन्हें बोर्ड ने डिबायर किया है ! यह पूछने पर कि यही समझा जाए कि आपने अपने निजी हितलाभ में तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन के आदेशो को दरकिनार करते हुए उन सभी विद्यालयों पर कार्रवाई नहीं किए, कहने लगे कि भाई आप लोग जो भी समझो, आखिर हमारा भी कुछ अधिकार है ! केन्द्र निर्धारण में गलती तो पहली बार हुआ ही है हम ही नहीं पूरे प्रदेश के डी आई ओ एस की जान आफत में है ! उन्होंने बातों ही बातों में अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मैंने जिस बाबू को परीक्षा पटल दिया था कभी किसी डी आई ओ एस ने उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य उसे नहीं दिया, लोगों ने मुझे मना भी किया था लेकिन मैंने सोचा ईमानदार है मेरे हिसाब से कार्य करेगा जब वह मेरा विश्वास पात्र नहीं निकला तो मेरा विरोध सभी करेंगे ही !
सवाल यह उठता है कि आखिर जिला विद्यालय निरीक्षक गोंडा राम खेलावन वर्मा ने क्यों नहीं मानी तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन के आदेशों को जो 2017 की परीक्षा के दौरान विद्यालय में अनियमितता पाते हुए काली सूची में डालने का अनुमोदन किया था और उन्हीं विद्यालयों को एक बार फिर परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए बोर्ड को प्रस्ताव भेज दिया ! इससे यही प्रतीत होता है कि राम खेलावन वर्मा डी आई ओ यस गोंडा अपने निजी हित लाभ के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए विभाग की साख पर बट्टा लगा रहे हैं ,जो एक जांच का विषय है !

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