जानिए कैसा रहेगा वर्ष 2018 भारत के लिए तथा भारत का अपने पड़ोसी देशों से सम्बन्ध

जानिए कैसा रहेगा वर्ष 2018 भारत के लिए तथा भारत का अपने पड़ोसी देशों से सम्बन्ध
  • राजनैतिक भविष्यवाणी वर्ष 2018 के लिए--
  • (भारत के लिए 2018 का भविष्य फल)
  • हमने इस वर्ष में क्या खोया है और क्या पाया है क्या छूट गया है? वह क्या था जिससे हम पकड़ सकते थे आदि आदि। 2017 वैसे भी काफी अहम साल रहा है। नोटबंदी शुरु तो पिछले वर्ष यानि 2016 में हुई थी लेकिन व्यापक असर 2017 में ही पड़ा है। एक बड़ा घटनाक्रम जीएसटी का भी रहा है। कई राज्यों के राजनीतिक समीकरण भी काफी चर्चित रहे। राजनीति से लेकर फिल्म जगत से जुड़ी कुछ महान हस्तियों को भी इस साल में खोना पड़ा है। ज्योतिष के नज़रिये से भी शनि और राहू जैसे ग्रहों ने भी अपनी राशि इस साल में बदली जो काफी बड़ी घटना मानी गई। ग्रहों की इसी अदला बदली से लोगों का जन जीवन काफी प्रभावित हुआ। ऐसे में 2018 में ग्रहों की दशा व दिशा का क्या प्रभाव भारत पर पड़ेगा?
आइये जानते हैं वर्ष 2018 में क्या कहती है भारत की कुंडली अनुसार राजनितिक स्थिति ---
प्रचलित मान्यता सनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ किया था तथा नव सम्वत् का प्रारंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। जलवायु और सौर प्रभावों का एक महत्वपूर्ण संगम इस समय के दौरान होता है।इस वर्ष गुड़ी पड़वा 18 मार्च 2018 (रविवार) को मनाई जाएगी। चैत्र नवरात्रि की शुभ शुरुआत इसी दिन से होगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस विक्रम संवत् 2075 का राजा का पद सूर्य तथा मंत्री का पद शनि के पास तथा समय का निवास वैश्य के घर होने के कारण विश्व में अनावृष्टि कहीं कम कहीं अधिक, अकाल और राजाओं का परस्पर युद्ध होने के संकेत मिलते हैं। हमारे पड़ोसी मुस्लिम देशों की कुंडली में काल सर्प दोष होने के कारण मुस्लिम देशों के लिए नव सम्वत् अधिक पीड़ादायक सिद्ध होगा।
हमारे देश भारत के भविष्य का निर्धारण इसके स्वतंत्रता की तारीख से किया जाता रहा है। संवत 2075 श्रावण शुक्ल 4 मंगलवार दिनांक 14-15 अगस्त 2018 की मध्यरात्रि में कर्क लग्न में भारत स्वतंत्रता के 72वें वर्ष में प्रवेश करेगा। लग्न से दशम भाव में मुंथा है। मुंथेश मंगल उच्च राशि में केंद्र में विराजमान है। मुंथा पर गुरु-मंगल की पूर्ण दृष्टि है। अतः यह वर्ष भारतीय लोकतंत्र के लिए प्रतिकारक व प्रतिष्ठाकारक रहेगा, लेकिन आंतरिक स्थितियों में वर्ष भर विरोध बना रहेगा। न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से भी कई विचलित करने वाली विरोधाभासी घटनाएं होंगी। नव वर्ष का आरंभ कन्या लग्न में हो रहा है जो कि भारत की राशि से देखा जाये तो तीसरा स्थान है। वर्ष लग्न स्वामी बुध हैं जो भारत की कुंडली के अनुसार पंचम घर के कारक हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कुल मिलाकर साल 2018 शिक्षा और नई तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी रह सकता है या अपना विशेष मुकाम हासिल कर सकता है। वर्ष लग्न के अनुसार लग्न स्वामी बुध पराक्रम भाव में विचरण करने से भारत अपने पराक्रम एवं मेहनत के बल पर विश्व में भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो सकता है।
भारत की राशि के स्वामी चंद्रमा वर्ष कुंडली में भाग्य स्थान में उच्च के होकर गोचर कर रहे हैं। यह संकेत कर रहे हैं कि भारत को 2018 में भाग्य का भी पूरा साथ मिलने के आसार हैं। वर्ष कुंडली में चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में हैं तो लग्न स्वामी बुध ज्येष्ठा नक्षत्र में यह संकेत करते हैं कि विश्व के अलग-अलग देशों में भारत की पहचान बढ़ेगी। किसी विशेष क्षेत्र में भारत विश्व का नेतृत्व भी कर सकता है। सीमा पर गीदड़ भभकी की भौंक और उस पर नेताओं के कड़वे वचनों की छौंक मन उदास करेगी। उत्तर, पूर्व और उत्तर पूर्व क्षेत्रों में भूकम्प से नुकसान होगा। पूर्व व दक्षिणी हिस्सों में प्रकृतिक आपदा से क्षति होगी। चैत्र से वैशाख के मध्य भारत का अन्तर्राष्ट्रीय जगत में सम्मान व दबदबा बढ़ेगा। पर भारत को उन से ज़्यादा कुछ हासिल इस साल भी नहीं होगा। सड़कों पर गाड़ी पर नियंत्रण में चूक से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जायेंगे। पटरियों पर ट्रेनें भी लड़खड़ाएगी। लिहाज़ा जान माल की क्षति होगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वैशाख से ज्येष्ठ माह के मध्य पश्चिमी राष्ट्रों में बेचैनी नज़र आएगी। आगज़नी से भारी क्षति होगी। योग्य लोग किनारे नज़र आयेंगे, कमतर और अयोग्य लोग प्रमोशन पायेंगे और बड़े पदों पर नज़र आयेंगे। धार्मिक नेताओं की मुसीबत इस साल भी कम नहीं होगी। कोई नया धार्मिक विवाद गरमाएगा। विवादों के बावजूद इस साल लोगों से ज़्यादा नेताओं की धर्म पर आस्था नाटकीय रूप से बढ़ेगी। 2018 एक नहीं अनेकों विवादों को जन्म देगा। किसी नामचीन व्यक्ति पर ऊँगली उठेगी। किसी बड़े व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगेंगे।
सरकारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हालांकि मंगल-सूर्य का षडष्टक योग शुभ नहीं है। सरकारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी। महंगाई, बेरोजगारी बढ़ेगी। प्राकृतिक आपदा, अतिवर्षा, बाढ़, अनावृष्टि, भूकंप, अग्निकांड, हवाई दुर्घटना, रक्तपात, हिंसा होगी। नवमेश गुरु केंद्र स्थान में है तथा नवम स्थान पर चंद्र-शुक्र की पूर्ण दृष्टि होने से बड़े भ्रष्टाचारों का खुलासा होगा।

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