बीजेपी सरकारों का रवैया एक जैसा ही घृणित जातिवादी

बीजेपी सरकारों का रवैया एक जैसा ही घृणित जातिवादी
  • महाराष्ट्र में पुणे के भीमा-कोरेगाँव क्षेत्र में जातीय हिंसा व उन्माद फैलाने के बाद दलितों पर सरकारी दमन चक्र चलाकर सैकड़ों लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करके उनकी गिरफ्तारी करने व इस गम्भीर विषय पर संसद में चर्चा मात्र के लिए भी तैयार नहीं होने पर बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की तीखी निन्दा।
  • कट्टरपंथी भगवा हिन्दुत्ववादी शक्तियाँ सरकारी शह व संरक्षण के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों व दलितों को भी अपनी जातिवादी हिंसा का शिकार बना रही हैं।
  • भीमा-कोरेगाँव की जातीय हिंसा के सम्बन्ध में राज्यसभा में चर्चा कराने की बी.एस.पी. की माँग श्री मोदी सरकार द्वारा नहीं मानना यह साबित करता है कि राज्य व केन्द्र दोनों बीजेपी सरकारों का रवैया एक जैसा ही घृणित जातिवादी है।
  • घोर साम्प्रदायिक व जातिवादी दो नेताओं के खिलाफ पुलिस एफ.आई.आर. होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं होना इस बात को प्रमाणित करता है कि महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार दोषियों को बचाने व मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही है।
  • जहाँ तक महाराष्ट्र बीजेपी सरकार द्वारा दलितों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने का मामला है तो इस सम्बंध में बी.एस.पी. का कहना है कि ऐसा घोर पक्षपातपूर्ण रवैया क्यों? बीजेपी नेताओं व मंत्रियों आदि के विरूद्ध ऐसी कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है? बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व पूर्व सांसद सुश्री मायावती

    लखनऊ- बीजेपी शासित पश्चिमी भारत के राज्य महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगाँव क्षेत्र में जातीय हिंसा व उन्माद फैलाने के बाद खासकर दलितों पर सरकारी दमन चक्र चलाकर सैकड़ों लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करके उनकी गिरफ्तारी करने व इस गम्भीर विषय पर संसद में चर्चा के लिए भी तैयार नहीं होने पर सत्ताधारी बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि कट्टरपंथी भगवा हिन्दुत्ववादी शक्तियाँ सरकारी शह व संरक्षण के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों व दलितों को भी अपनी जातिवादी हिंसा का शिकार बना रही हैं और इस प्रकार इन घटनाओं के माध्यम से अपनी सरकार की जनविरोधी गम्भीर कमियों व घोर विफलताओं पर से लोगांे का ध्यान बाँटने का प्रयास कर रही है।

मायावती ने कहा कि भीमा-कोरेगाँव की जातीय हिंसा के सम्बन्ध में राज्यसभा में चर्चा कराने की बी.एस.पी. की माँग केन्द्र सरकार द्वारा नहीं मानना यह साबित करता है कि राज्य व केन्द्र दोनों ही बीजेपी सरकारों का रवैया एक जैसा ही घृणित जातिवादी है। महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार जहाँ दलितों को संरक्षण देने में विफल रही, वहीं श्री नरेन्द्र मोदी सरकार इस सम्बन्ध में जिम्मेदारी तय करने व उस सम्बन्ध में देश को अश्वस्त करने में विफल रही है। यह सब दलितों व पिछड़ों एवं अक्लियतों के प्रति बीजेपी व नरेन्द्र मोदी सरकार की हीन, घृणित, जातिवादी व साम्प्रदायिक मानसिकता व कार्यप्रणाली को बेनकाब करता है।

गुजरात के लोगांे ने तो इस सम्बन्ध में काफी संगठित होकर बीजेपी को मुँहतोड़ जवाब वहाँ चुनाव में दे ही दिया है और अब महाराष्ट्र में भी जनमानस काफी तंग आकर उठ खड़ा हुआ है। यह सिलसिला अब रुकने वाला नहीं लगता है क्योंकि बीजेपी की सरकारों में इन वर्गों पर अत्याचार, पक्षपात, अन्याय व जातीय हिंसा का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।

पुणे जिलेे के भीमा-कोरेगाँव स्थित युद्ध स्मारक में उपेक्षित वर्गों की एक सभा को सम्बोधित करते हुये परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने दिनांक 1 जनवरी सन् 1927 को कहा था कि ब्रिटिशकाल में खासकर बम्बई सेना में महार समाज को नौकरी मिलने पर उन्होंने अपनी बहादुरी के जौहर बार-बार दिखाये हैं। जनरल मैलकम ने 1816 में अपने पत्र में लिखा है कि महार सैनिक काफी अनुशासित होकर बहुत बहादुरी से लड़ते हैं। जबकि पेशवा राज में महार समाज के लोगों का जीवन काफी अमानवीय व जानवरों से बदतर था।
मायावती ने कहा कि विजय स्तम्भ को अपने समाज व स्वाभिमान का प्रतीक मानकर वहाँ पर संगठित होना भी महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार व जातिवादी तत्वों को अच्छा नहीं लगा और उन लोगांे ने जातीय संघर्ष कराने का प्रयास किया। यह अति-निन्दनीय है।


इसके अलावा घोर साम्प्रदायिक व जातिवादी दो व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस एफ.आई.आर. होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं होना इस बात को प्रमाणित करता है कि महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार दोषियों को बचाने व मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। इससे मामला सुलझने वाला नहीं है क्योंकि दलित समाज के लोग अपने आपको सरकारी पक्षपात व अन्याय का शिकार मान रहे हैं और उनमें गहरा असंतोष व्याप्त है। गुलाम मानसिकता वाले बीजेपी एण्ड कम्पनी के सांसदों की भूमिका के बारे में भी खासकर दलितों में व्यापक आक्रोश है। आज उनकी आवाज संसद में ज़ोरदार व प्रभावी ढंग से उठाने वाला कोई नहीं है जिससे स्थिति में तनाव व्याप्त है।


जहाँ तक भड़काऊ भाषण के आरोप में महाराष्ट्र बीजेपी सरकार द्वारा दलितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का मामला है तो इस सम्बंध में बी.एस.पी. का कहना है कि ऐसा घोर पक्षपातपूर्ण रवैया क्यों?


क्या पूरा देश व दुनिया यह नहीं देख रही है कि बीजेपी के नेता व यहाँ तक के संविधान की शपथ लेने वाले बीजेपी के मंत्रिगण भी किस प्रकार धड़ल्ले से उग्र, भड़काऊ, हिंसक व यहाँ तक की देशद्रोही स्तर की गंदी बयानबाजी लगातार करते रहते हैं लेकिन उनके खिलाफ बीजेपी सरकार द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है बल्कि उन्हें हर प्रकार का सरकारी संरक्षण दिया जाता है। वास्तव में अगर सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सही कानूनी कार्रवाई करने लगे तो शायद जेलों मे जगह कम पड़ जायेगी।

Share this story