जानिए अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण के लाभ महत्व प्रभाव
डेस्क - रूद्राक्ष अष्ट देवियों का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से आठ देवियों की विशेष कृपा बनी रहती है। आठमुखी रुद्र्राक्ष पहनने से विभिन्न प्रकार के संकटों को दूर किया जा सकता है।
भगवान शिव एवं माँ पारवती के प्रिय पुत्र विघनहारक भगवान गणेश जी आठ मुखी रुद्राक्ष के प्रधानदेवता माने गए हैं | आठ मुखी रुद्राक्ष भैरोदेव का स्वरुप माना गया है |
आठ दिशाओं और आठ सिद्धियों का नेतृत्व करता है आठ मुखी रुद्राक्ष। इस रुद्राक्ष को पहनना गंगा में स्नान करने जितना महत्व रखता है। आठ मुखी रुद्राक्ष राहु ग्रह से संबंधित है।
इसे धारण करने से भैरव बाबा भी प्रसन्न्न होते हैं। इसे भैरव देव का स्वरूप भी माना गया है।
जानिए आठ मुख्ाी रूद्राक्ष के लाभ --
आठ मुखी रुद्राक्ष के लाभ
यह रुद्राक्ष के धारण करने से उच्च पद की प्राप्ति व् मन की एकाग्रता में सुधार होता है | यह रुद्राक्ष ऋद्धि सिद्धि दायक है | जीवन में जितनी भी मुश्किलें और विघन होते हैं उनको दूर करने में आठ मुखी रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है | जिस प्रकार शास्त्र अनुसार सर्वप्रथम श्री गणेश भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी निसंकोच व् बिना किसी जानकारी के भी धारण कर लेना चाहिए क्योंकि महाशिवपुराण के अनुसार आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है | जो व्यापारी किसी भी प्रकार से नापतोल में बईमानी करते हैं शास्त्रानुसार वह व्यापारी पाप के भागी बनते हैं और जो व्यक्ति अपने जीवन में पर इस्त्री के संपर्क में रहते हैं वह भी पाप के भागी होते हैं | ग्रंथों के अनुसार एैसे पापियों को भी आठ मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से पाप मुक्त होने में सहायता मिलती है | एैसा माना गया है की यह दोनों रुद्राक्षों को धारण करने वाले जातक को मृत्योपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है |
जानिए आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र---
जैसा की सात मुखी के विवरण में हमने लिखा है कि आठ मुखी के साथ धारण करना चाहिए उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी सात मुखी के साथ धारण करना चाहिए क्योंकि माँ लक्ष्मी और गणेश भगवान जी की पूजा साथ में करने का विधान है |
अगर आपकी कुंडली में राहु की दशा के कारण परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं तो आपको 8 मुख्ाी रूद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भय और अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है।
ऐसा माना जाता है कि आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति मृत्यु के पश्चात् भगवान शंकर के गणों में शामिल होता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है।
कैसे करें इस रुद्राक्ष का प्रयोग---
आठ मुखी रुद्राक्ष को सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन धारण करें। इसे धारण करने से पूर्व“ॐ हूँ नमः” मंत्र का जाप करें।
1-जिन जातकों के कोर्ट- कचहरी में मुकदमें चल रहे है ऐसे लोगों को आठमुखी रुद्राक्ष धारण करने से शीघ्र ही विजय मिलती है।
2- आठमुखी रुद्राक्ष शत्रुओं का नाश करने में काफी सक्षम होता है। अतः जो लोग अपने शत्रुओं से परेशान रहते है, उन्हें यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
3-साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम से भरपूर आठमुखी रुद्राक्ष को उन लोगों को अवश्य पहनना चाहिए जो मनुष्य शारीरिक व मानसिक रुप से कमजोर रहते है।
4- जिस परिवार में अकाल मृत्यु या दुर्घटनाएं प्रायः होती रहती है। उस घर में आठमुखी रुद्राक्ष की विधिवत् पूजा करने से लाभ होता है।
5- जिन जातकों को कमर या रीढ़ की हड्डी से सम्बन्धित कोई समस्या बनी रहती है, उन्हें रेशमी धागे में आठमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ मिलता है।
6-यह रुद्राक्ष प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बनाने में काफी प्रभावशाली साबित होता है।
7-राहु का दुष्प्रभाव दूर करने के लिए आठमुखी रुद्राक्ष को गले या भुजा में धारण करने से राहु का दोष समाप्त हो जाता है।
जानिए धारण विधिः-
किसी मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से लेकर पूर्णमासी तक विधिवत् पूजन करना चाहिए। हल्दी के चूर्ण को घोलकर अनार की कलम में ताम्रपत्र पर षणकोण यन्त्र बनाकर उसके मध्य में इस मन्त्र "श्रीं गलौं फट् स्वाहा" को लिखे ।
इसके बाद "ऊँ सर्वशक्ति कमलासनाय नमः" मन्त्र को पढ़ते हुए पुष्प अक्षत रखकर गंगाजल से परिमार्जित अष्ठमुखी रुद्राक्ष को समर्पित करे ।
गंगाजल में केसर, गोरोचन व दूध मिलाकर निम्न मन्त्र ऊँ गं गणधिपते नमः से रुद्राक्ष का अभिषेक करें।
हवन मन्त्र -